नवोन्मेष, नवाचार से मिलता-जुलता शब्द है स्टार्ट-अप. अंग्रेजी में
इसके माने हैं अचानक उदय होना, उगना, आगे बढ़ना वगैरह. इसके कारोबारी माने हैं नये और अनजाने
बिजनेस मॉडल की खोज. इस अर्थ में नये किस्म के कारोबार में जुड़ी नयी कम्पनियों को
स्टार्ट-अप कम्पनी कहते हैं. भारत में ई-रिटेल से जुड़ी ज्यादातर नयी कम्पनियाँ
स्टार्ट-अप हैं. इनके मालिक और प्रबंधक नये हैं. उनका काम करने का तरीका नया है.
यह शब्द बीसवीं सदी के अंतिम वर्षों में डॉट-कॉम ‘बूम’ और ‘बबल’ के वक्त ज्यादा
लोकप्रिय हुआ. इन कम्पनियों के साथ विफलता और सफलता का भारी उतार-चढ़ाव और जोखिम
भी जुड़ा है. साथ ही इसके साथ इंटरनेट की नयी तकनीक का इस्तेमाल भी जुड़ा है. भारत
में यह नया चलन है. अमेरिका में बिजनेस प्लान करना, नयी कम्पनी बनाना, उसके मार्फत भारी सफलता
पाने का चलन पहले से है. अमेरिका के बिजनेस और इंजीनियरी संस्थानों से निकल कर
छात्र कारोबार शुरू करने के बारे में सोचता है. भारत में अभी तक नौजवान नौकरी को
वरीयता देते हैं. अब स्थितियाँ बदल रहीं हैं.
परम्परागत की जगह नए कारोबार के आविष्कार में फायदे की गुंजाइश भी ज्यादा है.
स्टार्टअप इंडिया क्या है?
स्टार्टअप इंडिया भारत
सरकार की एक पहल है. 15 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से
अपने भाषण में इसका उल्लेख किया था. औपचारिक रूप से यह 16 जनवरी, 2016 को शुरू
हुआ. यह कार्यक्रम मूलतः तीन आधारों पर टिका है: 1. सरलीकरण और सहायता,
2.आर्थिक सहयोग और प्रोत्साहन, 3.उद्योग और शैक्षणिक संस्थाओं की भागीदारी. इस पहल
के साथ-साथ इस बात का प्रयास भी हो रहा है कि ऐसी गतिविधियाँ रोकी जाएं, जो
उद्यमियों की राह में रोड़े अटकाती हैं. मसलन लाइसेंस, भूमि अधिग्रहण की अनुमति,
पर्यावरणीय स्वीकृति वगैरह. गत 1जनवरी, 2019 को संशोधित स्टार्टअप इंडिया की
परिभाषा में ऐसे उद्योग आते हैं, जिनका मुख्यालय भारत में हो और जो दस साल से कम
समय पहले शुरू हुए हों और जिनका सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपये से कम का हो. सरकार ने नए
आइडिया के साथ कारोबार शुरू करने वालों के लिए ‘स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप
इंडिया’ का नारा दिया है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा
कि स्टार्टअप के लिए एक नया टीवी चैनल शुरू किया जाएगा.
इसमें सुविधाएं क्या हैं?
स्टार्टअप के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन आधारित कंप्लायंस
होगा. पेटेंट एप्लीकेशन फीस में 80 पर्सेंट की छूट मिलेगी. सरकार देशभर में इन्क्यूबेशन सेंटर खोलेगी. तीन साल तक स्टार्टअप
का कोई इंस्पेक्शन नहीं किया जाएगा. शेयर मार्केट वैल्यू से ऊपर के इन्वेस्टमेंट
पर टैक्स में छूट मिलेगी. लाभ होने पर भी तीन साल तक स्टार्टअप्स
को आयकर में छूट मिलेगी. प्रमुख शहरों में पेटेंट के लिए कंसल्टेशन की फ्री व्यवस्था
की जाएगी. सार्वजनिक और सरकारी खरीद में स्टार्टअप को छूट मिलेगी. फास्ट एक्जिट
पॉलिसी बनाई जाएगी. कैपिटल गेन टैक्स की छूट मिलेगी. 10 हजार करोड़ रुपए का फंड
बनाया जाएगा, जिसमें से प्रत्येक
साल 2500 करोड़ रुपए का
फंड स्टार्टअप्स को मिलेगा. अटल इनोवेशन मिशन की शुरुआत. इसके तहत स्टार्टअप को प्रतियोगी
बनाना होगा. सरकार बच्चों में इनोवेशन बढ़ाने के लिए भी कार्यक्रम शुरू करेगी.
इसके लिए इनोवेशन कोर प्रोग्राम शुरू होगा.
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