Thursday, July 4, 2019

डेटा प्रवाह क्या है?


आमतौर पर मैसेज, सोशल मीडिया पोस्ट, ऑनलाइन ट्रांसफर और इंटरनेट सर्च हिस्ट्री आदि के लिए डेटा शब्द का उपयोग किया जाता हैं. यानी किसी किस्म की सूचनाएं, जिन्हें कंप्यूटर में एकत्र करके रखा जाता है और जरूरत के अनुसार उनका इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसी सूचनाएँ जो लोगों की आदतों और ज़रूरतों को बताती हैं. उनका कारोबारी महत्व भी होता है. कंपनियाँ लोगों की आदतों को ध्यान में रखकर विज्ञापन जारी करती हैं. सरकारें और पार्टियाँ अपनी नीतियों को बनाने में और चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए ऐसी सूचनाओं का उपयोग करते हैं. डेटा का प्रवाह और परिवहन ऐसी जटिल प्रक्रिया है जिस पर अंकुश लगाना कठिन होता है. इसका एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक देश से दूसरे देश तक प्रवाह बहुत तेजी से होता है. ऐसे में डेटा का विनियमन जरूरी होता है. भारत और चीन डेटा स्थानीयकरण के पक्ष में हैं, तो अमेरिकी सरकार तथा कंपनियाँ निर्बाध डेटा प्रवाह के पक्ष में हैं. अभी हमारा डेटा-क्षेत्र बहुत बड़ा नहीं है लेकिन भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जिसमें भविष्य को लेकर अधिक संभावनाएँ हैं.
भारत की नीति क्या है?
भारत डेटा स्थानीयकरण के पक्ष में है. यानी कोई कंपनी भारतीय डेटा को बाहर न ले जाए और न उसका उपयोग करे. देश में अभी इस विषय पर कोई कानून नहीं है, लेकिन 2018 में एक कानून का मसौदा तैयार किया गया था. यह मसौदा न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में बनी समिति के सुझावों पर आधारित है. सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि प्रस्तावित कानून के तहत सूचनाओं को देश से बाहर ले जाने की मंजूरी दी जा सकती है. भारत के डेटा संरक्षण विधेयक का दुनियाभर में इंतजार है. इस कानून से भारत में फेसबुक, गूगल और अमेज़न जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत के लोगों की सूचनाओं का संचय और प्रोसेसिंग भारत में ही करनी होगी. चीन पहले से ही ऐसे कानून बना चुका है.
वैश्विक स्थिति
गत 28-29 जून को हुए जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निर्बाध वैश्विक डेटा प्रवाह के लिए तैयार किए गए ओकासा घोषणापत्र पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया. अमेरिका और जापान सहित दुनिया के विकसित देशों ने इसपर दस्तखत किए हैं, पर भारत और चीन ने इसपर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है. दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देश भी भारत के साथ हैं. भारत का कहना है कि पूँजी और दूसरे माल की तरह डेटा भी सम्पदा है. उसके निर्बाध प्रवाह से हमारे राष्ट्रीय हितों को ठेस लग सकती है. इस विषय पर विश्व व्यापार संगठन को नियम बनाने चाहिए.

1 comment:

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