Thursday, October 24, 2019

साइप्रस-विवाद क्या है?


भूमध्य सागर में तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है साइप्रस. यह यूरोप, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के बीच की कड़ी है. साइप्रस में यूनानी और तुर्क मूल के लोगों के बीच टकराव है. यहाँ सन 1964 के बाद से शांति स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र की सेना तैनात है. तुर्की ने 1974 में साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा करके उत्तरी साइप्रस के तुर्क गणराज्य के नाम से एक अलग देश बना दिया. भू-राजनीति के लिहाज से यह द्वीप चार हिस्सों में विभाजित है. सबसे प्रमुख है साइप्रस गणराज्य, जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है और जिसके अधीन इस द्वीप का 60 फीसदी भूभाग है. यह देश यूरोपियन यूनियन का सदस्य भी है. दूसरा है उत्तरी साइप्रस. जिसे केवल तुर्की की मान्यता है. कुछ समय के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी इसे मान्यता दी थी, लेकिन अमेरिका के दबाव पर उन्होंने मान्यता रद्द कर दी. उत्तरी तुर्की के अधीन द्वीप का 33 फीसदी भूभाग है. दोनों के बीच 4 फीसदी भूभाग पर संयुक्त राष्ट्र की सेना तैनात है. इसके अलावा द्वीप में करीब ढाई सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अक्रोत्तिरी और धेकेलिया के दो ब्रिटिश प्रशासित क्षेत्र हैं, जिनका इस्तेमाल फौजी अड्डे के रूप में होता है.
तुर्की की भूमिका क्या है?
साइप्रस अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से व्यापारिक रास्ते के लिए बेहद अहम था. 333 ईसा पूर्व में यूनानी शासक सिकंदर ने इस पर कब्जा किया.  बाद में रोमनों ने इस पर कब्जा कर लिया. सातवीं सदी के बाद से इसे अरबों के हमले झेलने पड़े. तुर्की के उस्मानिया साम्राज्य ने 1571 में साइप्रस को हथिया लिया. ब्रिटेन ने 1878 में इसपर कब्जा किया. अंततः साइप्रस को 1960 में आजादी मिली, पर उसे ग्रीस में नहीं मिलाया गया.1963 में साइप्रस में रहने वाले ग्रीक और तुर्कों के बीच झगड़ा शुरू हो गया. इसके बाद 1964 में वहाँ संयुक्त राष्ट्र की सेना वहां तैनात कर दी गई. यह सेना वहां अब भी तैनात है. 1974 में तुर्की के हमले के बाद साइप्रस दो हिस्सों में बँट गया. दक्षिण का हिस्सा ग्रीक बोलने वाले लोगों का और उत्तर का तुर्की बोलने वालों का.
यह खबरों में क्यों है?
संयुक्त राष्ट्र में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान के पाकिस्तान-समर्थक भाषण के बाद हाल में जब पीएम मोदी ने यूनान, आर्मेनिया और साप्रस के राष्ट्र प्रमुखों से भेंट की, तब प्रेक्षकों का ध्यान इस बात पर गया. यह भेंट तुर्की के लिए एक संदेश थी. तीनों देशों की तुर्की के साथ ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा है. साइप्रस के अलावा आर्मेनिया के साथ भी तुर्की का टकराव है. आर्मेनिया भी उस्मानिया साम्राज्य के अधीन था. एक सदी पहले 1915 से 1918 के बीच आर्मेनिया में हुए भीषण नरसंहार के कारण तुर्की के प्रति कड़वाहट है. इस नरसंहार में करीब 15 लाख लोग मारे गए थे.

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