वॉट्सएप स्मार्टफोन पर इंटरनेट के मार्फत संदेश भेजने की सेवा है। इसमें टेक्स्ट के अलावा फोटो, ऑडियो और वीडियो फाइलें भी भेजी जा सकती हैं। वॉट्सएप इनकॉरपोरेट की स्थापना सन 2009 में अमेरिकी ब्रायन एक्टन और यूक्रेन के जैन काऊम ने की थी। ये दोनों याहू के पूर्व कर्मचारी थे। यह कम्पनी माउंटेन व्यू, सेंटा क्लारा काउंटी, कैलिफोर्निया में है। सन 2014 में वॉट्सएप को फेसबुक ने खरीद लिया। इस दौरान इसके मुकाबले कुछ और सेवाएं इस बीच आ गईं हैं। जो काम एसएमएस ने मोबाइल फोन पर और स्काइप ने कम्प्यूटर पर किया, तकरीबन वैसा ही काम वॉट्सएप ने किया है। यह नाम रखने के पीछे मंशा वॉट्सअप और एप्लीकेशंस के एप को जोड़ने की रही होगी। वॉट्सअप आमतौर पर अंग्रेजी में क्या चल रहा है के लिए बोला जाता है।
सायबरस्पेस शब्द कहाँ से आया?
सायबरस्पेस शब्द का इस्तेमाल विलियम गिब्सन नामक
लेखक ने पहली बार सन 1984 में किया था। उनके उपन्यास ‘न्यूरोमेंसर’ में इंसान अपनी
चेतना पृथ्वी के कम्प्यूटर ‘मैट्रिक्स’ में जमा करके विचरण करते हैं। सायबरस्पेस
केवल कम्प्यूटर नेटवर्क में डिजिटल बिट्स के रूप में है। यों इस शब्द से पहले 1949
में गणितज्ञ नॉर्बर्ट वाइनर ने सायबरनेटिक्स शब्द का प्रयोग किया था। सायबरनेटिक्स
एक अवधारणा है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स
कंट्रोल सिस्टम्स की तुलना मनुष्य के नाड़ी-तंत्र से की जाती है। आज हम सायबरस्पेस
शब्द का इस्तेमाल इंटरनेट के लिए करने लगे हैं। जब आपका ई-मेल आने में देर लगाता
है, तब हम कहते हैं कि कहीं
सायबरस्पेस में अटक गया है।
क्रिकेट पिच किस तरह बनाते हैं?
क्रिकेट का पिच बनाते वक्त बुनियादी तौर पर तो
यह देखा जाता है कि वह लगातार खेल के बावज़ूद जल्द टूटे नहीं। पिच में दरार पड़ना
या धूल पैदा होना अच्छा नहीं माना जाता। अक्सर इस पर घास उगाई जाती है। घास अपने
नीचे की ज़मीन को जोड़कर रखती है। पर ज्यादा घास से विकेट तेज़ हो जाता है। गेंद
उसपर पड़कर तेजी से उठती है। पिच बनाते समय कई तरह की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। उनकी परतें इस तरह बिछाई जाती
हैं कि खेल की पट्टी वैसा व्यवहार करे, जैसा उसे बनाने वाले चाहते हैं। मसलन कुछ
ऐसी पिचें चाहते हैं, जिनमें पड़कर गेंद तेजी से उछलती है और कुछ पिचें ऐसी होती
हैं, जिनमें गेंद कम उछाल लेती है। घास के कारण भी उछाल बढ़ता है।
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