Thursday, October 17, 2019

कुर्द समस्या क्या है?


कुर्दों की आबादी मूलतः दक्षिण पूर्व तुर्की, उत्तरी सीरिया, उत्तरी इराक़ और उत्तर पश्चिम ईरान से लगे क्षेत्रों में बसी है. इनमें सुन्नी और शिया दोनों तरह के मुसलमान शामिल हैं. इनके बीच यारासनी, यजीदी, जोरोस्ट्रीयन और ईसाई समुदाय भी हैं. इनकी दो तरह की माँगें हैं. कुछ लोग आसपास के देशों में कुर्दों के स्वायत्त क्षेत्र बनाना चाहते हैं, वहीं कुछ संगठन इस पूरे क्षेत्र को मिलाकर एक अलग कुर्दिस्तान बनाना चाहते हैं. इन दिनों तुर्की के साथ कुर्दों के टकराव की दो वजहें हैं. तुर्की में रहने वाले कुर्द एक अरसे से अलग देश की लड़ाई लड़ रहे हैं. सीरिया में हाल में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ चली लड़ाई में कुर्दों के संगठन सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेज़ (एसडीएफ) ने अमेरिका का साथ दिया. उनके साथ सीरिया के कुर्दों का संगठन वाईपीजी भी था. तुर्की ने कार्रवाई तब की जब अमेरिकी सैनिक यहाँ से हट गए. एसडीएफ का मानना है कि उनकी 'पीठ में छुरा घोंपा गया' है. तुर्की को लगता है कि यदि सीरिया के कुर्द मज़बूत हो गए तो तुर्की के भीतर कुर्द आंदोलन भी मज़बूत होगा.

इस वक्त लड़ाई क्यों?
तुर्की में कुर्दों का मुख्य संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी है, जिसका कुर्द भाषा में संक्षिप्त नाम पीकेके है. इस संगठन पर पाबंदी है. तुर्की में सन 1980 की सैनिक क्रांति के बाद से कुर्द, कुर्दिस्तान और कुर्दिश शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी है. तुर्की इन्हें पहाड़ी तुर्क कहता है. देश में कुर्द भाषा के इस्तेमाल पर भी रोक है. कुर्द भाषा बोलने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है. 15 अगस्त 1984 को कुर्दों के संगठन पीकेके ने बगावत की घोषणा की थी. तब से अब तक करीब 40,000 कुर्द नागरिकों की मौत इस संघर्ष में हो चुकी है. कुर्दों ने सन 1999 में युद्ध विराम की घोषणा भी की थी, पर सरकारी दमन नहीं रुकने के कारण 1 जून 2004 को उन्होंने अपने संग्राम को फिर से शुरू करने की घोषणा की. इसके बाद भी एक-दो बार समझौते की कोशिशें हुईं, पर 25 जुलाई 2015 को पीकेके ने फिर से संघर्ष चलाने की घोषणा कर दी.

कुर्दों के साथ कौन?
अमेरिकी सेना हट गई है और यूरोपियन देशों की दिलचस्पी है नहीं. सबको अपनी-अपनी फिक्र है. कहना मुश्किल है कि इस्लामिक स्टेट का पूरी तरह सफाया हुआ भी है या नहीं. उनके हजारों लोग कैद में हैं. उन्हें कौन रखेगा?  काफी कैदी कुर्दों के पास हैं. कुर्दों के पास साधन नहीं हैं. कोई देश उनकी मदद नहीं करेगा. केवल पहाड़ ही उनके मददगार हैं. इराक में 1970 के बाद से कुर्दों का एक स्वायत्त क्षेत्र है. सन 2014 में इस्लामिक स्टेट के उदय के बाद तुर्की ने घबराकर उत्तरी इराक़ में स्वतंत्र कुर्दिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार करना शुरू कर दिया था, पर इस्लामिक स्टेट की पराजय के बाद उसे कुर्द ही दुश्मन लगते हैं.





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