Sunday, October 20, 2019

संसद के कितने सत्र होते हैं?


आमतौर पर हर साल हमारी संसद के तीन सत्र होते हैं। बजट (फरवरी-मई), मॉनसून (जुलाई-अगस्त) और शीतकालीन (नवंबर-दिसंबर)। संसद के दोनों सदनों की बैठक राष्ट्रपति आमंत्रित करते हैं। हरेक अधिवेशन की अंतिम तिथि के बाद छह मास के भीतर आगामी अधिवेशन के लिए सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करना होता है। सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, पर व्यवहार में इस आशय के प्रस्‍ताव की पहल सरकार द्वारा की जाती है। इन तीन के अलावा संसद के विशेष सत्र भी बुलाए जा सकते हैं।
इस साल सत्रहवीं लोकसभा के निर्वाचन के बाद पहला सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलेगा। इसमें नए सदस्यों को शपथ दिलाने के अलावा लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव और दोनों सदनों की बैठक में राष्ट्रपति के सम्बोधन के बाद सबसे महत्वपूर्ण काम बजट का होगा। 4 जुलाई को लोकसभा में सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगी। 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट पेश करेंगी। इसके पहले वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट सोलहवीं लोकसभा में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी 2019 को पेश किया था।

संसद भवन कब बना?
भारत का संसद भवन नई दिल्ली में स्थित है। सन 1911 में घोषणा की गई कि भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली ले जाई जाएगी। मशहूर ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लैंडसीयर लुट्यन्स ने दिल्ली की ज्यादातर नई इमारतों की रूपरेखा तैयार की थी। इसके लिए उन्होंने सर हरबर्ट बेकर की मदद ली। संसद भवन की इमारत 1927 में तैयार हुई। इसे बनने में छह वर्ष लगे थे। इसकी आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी। 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसरॉय और गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया।
यह गोलाकार इमारत 560 फुट (170 मीटर) व्यास यानी कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र पर बनी है। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई थी। भवन का केन्द्रीय तथा प्रमुख भाग उसका विशाल वृत्ताकार केन्द्रीय कक्ष है। इसके तीन ओर लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पहले प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) हैं। इन तीनों कक्षों के चारों ओर चार मंजिला वृत्ताकार भवन है, जिसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों, राजनीतिक दलों, लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयों और संसदीय कार्य मंत्रालय के दफ्तर हैं।

संसदीय विशेषाधिकार क्या होते हैं?
संसद के दोनों सदनों, उनके सदस्यों और समितियों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्‍त है। इन्हें इसलिए दिया गया है ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। सबसे महत्‍वपूर्ण विशेषाधिकार है सदन और समितियों में स्वतंत्रता के साथ विचार रखने की छूट। सदस्य द्वारा कही गई किसी बात के संबंध में उसके विरूद्ध किसी न्यायालय में कार्रवाई कार्यवाही नहीं की जा सकती। कोई सदस्य उस समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जबकि उस सदन या समिति की बैठक चल रही हो, जिसका वह सदस्य है। अधिवेशन से 40 दिन पहले और उसकी समाप्ति से 40 दिन बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
संसद परिसर में केवल अध्‍यक्ष/सभापति के आदेशों का पालन होता है। विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने वाले को भर्त्सना, ताड़ना या निर्धारित अवधि के लिए कारावास की सज़ा दी जा सकती है। सदस्यों के मामले में सदन अन्य दो प्रकार के दंड दे सकता है। सदन की सदस्यता से निलंबन या बर्खास्तगी। दांडिक क्षेत्र सदनों तक और उनके सामने किए गए अपराधों तक ही सीमित न होकर सदन की सभी अवमाननाओं पर लागू होता है।




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