Sunday, April 17, 2016

ईमेल को हैकर्स से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

सुरभि सिंघल, 150, सोती गंज, बेगम ब्रिज रोड के पास, मेरठ-250001

इन दिनों अकसर बड़े स्तर पर ई-मेल हैकिंग की खबरें सुनाई पड़ती हैं। आमतौर पर बिलों के भुगतान, ऑनलाइन बैंकिंग और खरीदारी वगैरह में ई-मेल की जरूरत पड़ती है। इसी लिए इनके हैक होने का खतरा काफी होता है। इससे बचने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए।

1.जब आप मेल आईडी बनाते हैं या पासवर्ड बदलते हैं तो आप को संकेत मिलता है कि पासवर्ड लो, मीडियम या स्ट्रांग है। स्ट्रांग पासवर्ड के लिए उसमें कैपिटल और स्मॉल लेटर्स के अलावा संख्याओं और स्पेशल कैरेक्टर्स जैसे डॉलर, प्रश्न सूचक या विस्मयादिबोधक चिह्न का इस्तेमाल करें।

2.ई-मेल प्रदाता ड्युअल सिक्योरिटी का सुझाव भी देगा। यानी कि आपका मोबाइल नम्बर भी माँगेगा। इससे जब भी कोई गलत कोशिश करेगा तो उसे ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड माँगा जाएगा। यह पासवर्ड उसी मोबाइल फोन में आएगा, जो आपने दर्ज किया होगा। इस पासवर्ड को डालने पर ही मेल खुलेगा।

3.अपने मोबाइल, टैब, कंप्यूटर और अन्य डिवाइस जिसमें आप ई-मेल का इस्तेमाल करते हैं उसमें एंटी वायरस का उपयोग करें। समय-समय पर डाटा को स्कैन करें और एंटी वायरस को भी अपडेट करते रहें।

4.बीच-बीच में अपना पासवर्ड बदलते रहें। कुछ लोग एक ही पासवर्ड का प्रयोग हर जगह करते हैं। ई-मेल आईडी का पासवर्ड अन्य सेवाओं से अलग रखें। ई-मेल देखने के लिए ज्यादा से ज्यादा अपनी ही डिवाइस का इस्तेमाल करें। दूसरी जगह इस्तेमाल करने पर पासवर्ड चोरी होने का खतरा रहता है।
5.अनजान ई-मेल या स्पैम से भी मेल आईडी हैक हो सकती है। ऐसी मेल में मैलवेयर होता है जो आपके सिस्टम में दाखिल होकर डिवाइस की जानकारियाँ हैकर्स तक पहुंचा देता है।

6.ओपन वाई फाई के उपयोग से बचें। इसमें वायरस का खतरा हो सकता है।

7.ब्लूटूथ खुला न रखें। अपने फोन का ब्लूटूथ हमेशा ऑन न रखें। तभी ऑन करें जब जरूरत हो और तुरंत ऑफ कर दें।

8.दूसरे के कार्ड का उपयोग अपने फोन में न करें। पायरेटेड गाने, वीडियो और फोटोग्राफ डाउनलोड करने से भी बचें। वाई फाई हॉटस्पॉट को खुला न छोडेंमेल या एसएमएस में अपने पासवर्ड न डालें।

चींटियां एक पंक्ति में कैसे चलती हैं?
चेतना गोयल, पुत्री: सुनील गोयल, रामनगर, बस स्टैंड के सामने, राजगढ़ (अलवर) 301408 (राज.)

प्रकृति ने सभी जीव-जंतुओं को दिशा ज्ञान और आपस में सम्पर्क की सामर्थ्य दी है। मधुमक्खियाँ अपने छत्ते की के आस-पास एक तरह की महक फैलाती हैं ताकि उनकी साथी मधुमक्खियाँ रास्ते से न भटकें। चींटियाँ दिशा ज्ञान के लिए फ़ैरोमोंस रसायन की मदद लेती हैं। वे सामाजिक प्राणी हैं और मिलकर काम करती हैं। उन्हें अपने भोजन के लिए अपने बिल से दूर बाहर जाना होता है। उनके पास कोई नक्शा नहीं होता। वे अपने शरीर से एक प्रकार का सेंट जमीन पर छोड़ती जाती हैं। शेष चीटियाँ अपनी नेता के पीछे चलती जाती हैं। चींटियों की ग्रंथियों से इस रसायन का स्राव होता है। यह स्राव दूसरी चींटियों को रास्ता बताने का काम करता है। इस रसायन की महक ज्यादा देर टिकती नहीं है इसलिए पीछे आने वाली चींटियाँ उसे ताज़ा बनाए रखने के लिए उसपर फेरोमोंस लगाती हुई एक के पीछे एक चलती रहती हैं।

चींटियों के दो स्पर्शश्रंगिकाएं या एंटीना होते हैं जिनसे वे सूंघने या टोह लेने का काम करती हैं। रानी चींटी भोजन की तलाश में निकलती है तो फ़ैरोमोंस छोड़ती जाती है। दूसरी चींटियाँ अपने एंटीना से उसे सूंघती हुई रानी चींटी के पीछे-पीछे चलती हैं। जब रानी चींटी फ़ैरोमोन बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी चुन लेती हैं। फ़ैरोमोंस का इस्तेमाल दूसरी जगह भी होता है। कोई चींटी कुचल जाए तो चेतावनी के फ़ैरोमोन का रिसाव करती है जिससे बाकी चींटियाँ सतर्क हो जाती हैं।

असम, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा-इन सात राज्यों के समूह को ‘सेवन सिस्टर्स स्टेट्स’ नाम क्यों दिया गया है?
नंद किशोर शर्मा, श्रीरामपुर, अयोध्या, पो.: वैनी, जिला: समस्तीपुर-848131 (बिहार)

इन राज्यों की भौगोलिक स्थिति इन्हें एक प्रकार की एकता प्रदान करती है। ऐसा नहीं कि इनके बीच जातीय और धार्मिक एकरूपता है। अनेकता के बावजूद उत्तर पूर्व के इन राज्यों में सांस्कृतिक, आर्थिक और भौगोलिक एकता है। इसलिए इन्हें पूर्वोत्तर की सात-बहनें या 'सेवन-सिस्टर्स' कहा जाता है। इन सातों राज्यों का कुल क्षेत्रफल 2,55, 511 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भूभाग का तकरीबन सात फीसदी है। सन 1947 में देश की स्वतंत्रता के समय इस इलाके में तीन राज्य ही थे। सबसे बड़ा राज्य असम था। इसके बाद मणिपुर और त्रिपुरा दो रजवाड़े थे। राज्यों के पुनर्गठन के कारण असम में से तीन और राज्यों का गठन हुआ। यह गठन भाषाई और जातीय आधार पर था। सन 1963 में नगालैंड बना, सन 1972 में मेघालय पूर्ण राज्य और उसी साल मिजोरम केन्द्र शासित क्षेत्र बना। साथ ही मणिपुर और त्रिपुरा पूर्ण राज्य बने, जो पहले केन्द्र शासित क्षेत्र थे। सन 1987 में अरुणाचल के साथ मिजोरम को भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया। इस प्रकार ये सात राज्य हैं। ये राज्य सांस्कृतिक रूप से परस्पर जुड़े हुए हैं। इस कारण पत्रकारीय व्यवहार में इन्हें सात बहनें कहा जाने लगा।

ह्विसिल ब्लोवर से तात्पर्य क्या है?
तसनीम कौसर, पुत्री: शमीमा खातून, मुहल्ला: फैजुल्लाह खान, पोस्ट: लाल बाग, जिला: दरभंगा-846004 (बिहार)

ह्विसिल ब्लोवर एक तरह से समाज का चौकीदार है। ऐसा व्यक्ति जो किसी गैर-कानूनी, गलत या आपराधिक गतिविधि की जानकारी मिलने पर सामाजिक हित में हस्तक्षेप करता है। वैसे ही जैसे चौकीदार सीटी बजाकर सावधान करता है। एस जमाने में इसके लिए मुखबिर, खुफिया खबरची या ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल होता था। पर ये शब्द नकारात्मक थे. सत्तर के दशक में अमेरिकी एक्टिविस्ट रैल्फ नैडर ने इसके लिए ह्विसिल ब्लोवर शब्द का इस्तेमाल शुरू किया। दुनिया के तमाम देशों में ह्विसिल ब्लोवरों को संरक्षण देने के कानून बनाए गए हैं। भारत में भी ह्विसिल ब्लोवर संरक्षण अधिनियम-2011 संसद के विचाराधीन है।

कादम्बिनी के जनवरी 2016 के अंक में प्रकाशित

2 comments:

  1. आदरणीय जोशीजी ड्युअल सिक्योरिटी अर्थात two step verification सब से अच्छा विकल्प है और अगर आप चाहें तो एक क्लिक से चुनाव कर सकते हैं की इस कंप्यूटर पर भविष्य में two step verification के बिना ही लोगिन करें तो आप किसी दूसरे कंप्यूटर से लोगिन करेंगे तो ही two step verificationएक्टिवेट होगा। आप इसे जरूर एक्टिवेट क्र लें।

    ReplyDelete
  2. बढ़िया उपयोगी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...