वायरल शब्द मौसमी बुखार या कम्प्यूटर वायरस का आभास कराता है। अंग्रेजी में ‘गो वायरल’ वाक्यांश का इस्तेमाल सन 2000 के बाद शुरू हुआ है। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में वायरल शब्द 1989 में शामिल हुआ था। वायर फीवर का आशय था एक व्यक्ति से दूसरे को प्रभावित कर तेजी से फैलने वाला बुखार। इसके इसी आशय को इंटरनेट संस्कृति ने पकड़ा। यानी किसी चीज का बड़ी तेजी से फैलना। इक्कीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में इंटरनेट ने सामाजिक सम्पर्क को अभूतपूर्व तेजी दी। किसी भी चित्र, वीडियो, कविता या पत्र को मेल या टेक्स्ट मैसेज की मदद से हजारों, लाखों लोगों तक सेकंडों में पहुँचाया जा सकता है। टेक्नोलॉजी ने सोशल मीडिया को जन्म दिया। फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डिन, यू-ट्यूब और इंस्टाग्राम ने नेटीजंस की एक पीढ़ी तैयार कर दी है। ये लोग मोबाइल या कैमरे से कोई वीडियो/ फोटो खींच कर सोशल साइट पर अपलोड कर देते हैं। यह रोचक होता है तो देखते ही देखते लाखों लोग इसे शेयर कर देते हैं। इसे वायरल होना कहते हैं।
दुनिया की सबसे पुरानी द्विभाषी शब्द सूचियों के उदाहरण प्राचीन मेसोपोटामिया के अक्कादी साम्राज्य में मिलते हैं। आधुनिक सीरिया के एब्ला क्षेत्र में मिट्टी की पट्टिकाएं मिली हैं, जिनमें सुमेरी और अक्कादी भाषाओं में शब्द लिखे गए हैं। ये पट्टियाँ 2300 वर्ष ईपू की बताई जाती हैं। यों शब्दकोशों के शुरुआती अस्तित्व से अनेक देशों और जातियों के नाम जुड़े हैं। शब्दकोश का मतलब शब्द संग्रह, द्विभाषी कोश और पर्यायवाची कोश होता है। इन सबके विकास का अपना अलग इतिहास है। भारत में सबसे पुराना शब्द संग्रह प्रजापति कश्यप का 'निघंटु' है। उसका रचना काल 700 या 800 साल ईपू है। उसके पूर्व भी 'निघंटु' की परंपरा थी। निघंटु पर महर्षि यास्क की व्याख्या निरुक्त दुनिया के प्राचीनतम शब्दार्थ कोशों (डिक्शनरी) एवं विश्वकोशों (एनसाइक्लोपीडिया) में शामिल है। इस शृंखला की सशक्त कड़ी है छठी या सातवीं सदी में लिखा अमर सिंह कृत नामलिंगानुशासन या त्रिकांड जिसे हम अमरकोश के नाम से जानते हैं। चीन में भी ईसवी सन के हजार साल के पहले से ही कोश बनने लगे थे। उस श्रुति-परंपरा का प्रमाण बहुत बाद में उस पहले चीनी कोश में मिलता है, जिसकी रचना 'शुओ वेन' ने पहली दूसरी सदी ई० के आसपास की थी। कहा जाता है कि हेलेनिस्टिक युग के यूनानियों ने यूरोप में सर्वप्रथम कोश रचना आरंभ की। यूनानियों का महत्व समाप्त कम होने और रोमन साम्राज्य के वैभव काल में तथा मध्यकाल में भी बहुत से लैटिन कोश बने।
दुनिया की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक कौन सी है? यह इतनी लोकप्रिय क्यों है?
इस बात को दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक कौन सी है। इसका कारण यह है कि इसका हिसाब रख पाना मुश्किल है। मोटे तौर पर माना जाता है कि बाइबिल, कुरान शरीफ, महाभारत, श्रीमत् भगवत गीता और रामायण से लेकर माओ जे दुंग की सूक्तियाँ जैसी किताबें दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में है। जब से छपाई का आविष्कार हुआ है किताबों के प्रकाशन ने तेजी पकड़ी है, पर तब से अब तक इसका हिसाब किताब नहीं रखा गया है। दुनिया में हर साल सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची बनाई जाती है, पर किताबों के वर्ग अलग-अलग होते हैं। कुछ उपन्यास होते हैं, कुछ कहानियाँ। जैसे चार्ल्स डिकेंस की द टेल ऑफ टू सिटीज़ पहली बार 1859 में प्रकाशित हुई थी। तब से अब तक उसकी 20 करोड़ से ज्यादा प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इसी तरह हैंस क्रिश्चियन एंडरसन की द फेयरी टेल्स दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल है। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली सन्दर्भ पुस्तक है जिसमें विश्व कीर्तिमानों का संकलन है। यह पुस्तक अमेरिका के 'सार्वजनिक पुस्तकालयों से सर्वाधिक चोरी जाने वाली पुस्तक' भी है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और सुचित्रा सेन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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