ध्वनि की तरंगों को चलने के लिए किसी माध्यम की ज़रूरत होती है. चन्द्रमा पर न तो हवा है और न किसी प्रकार का कोई और माध्यम है. इसलिए आवाज़ सुनाई नहीं पड़ती.
लिनक्स कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम है जैसे माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज़ है. पर यह ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है यानी निःशुल्क उपलब्ध है. साथ ही विंडोज की तरह लाइसेंस भी नहीं लेना पड़ता. फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम होने के कारण लिनक्स के साथ पायरेसी का भी कोई झंझट नहीं होता. इसमें एंटी वायरस की ज़रूरत नहीं होती है. दरअसल यह एक प्रकार का आंदोलन है जो ज्ञान के व्यावसायीकरण के खिलाफ है. चूंकि कम्प्यूटर के ज्यादातर काम विंडोज़ धारित हैं, इसलिए लोग लिनक्स का इस्तेमाल करने में झिझकते हैं. इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ बुनियादी बातों की जानकारी की जरूरत होगी.
लिनक्स का कोई भी ऑफिस नहीं है, कोई भी कम्पनी या व्यक्ति इसका मालिक नहीं है. पर दुनिया भर के प्रोग्रामर इसमें अपना योगदान देते हैं. दुनिया के इतिहास में इससे बड़ा, इस प्रकार का आन्दोलन, कभी नहीं हुआ. वह भी जो एक अमेरिका से बाहर के विश्वविद्यालय के छात्र ने शुरू किया. एन्डी टेनेनबाम, एम्स्टर्डम में कम्पयूटर विज्ञान के प्रोफेसर हैं. उन्होंने मिनिक्स नाम का प्रोग्राम लिखा. इसमें भी कुछ कमियाँ थीं. लिनूस टोरवाल्ड फिनलैण्ड के हेलसिन्की विश्वविद्यालय में कम्पयूटर विज्ञान के छात्र थे. उन्होंने मिनिक्स की कमी को दूर करने के लिए एक प्रोग्राम लिखा जो कि बाद में ‘लिनूस का यूनिक्स’ या छोटे में लिनक्स कहलाया. इसका सबसे पहला कोर या करनल उन्होंने 1991 में इन्टरनेट में पोस्ट किया. तब तक रिचर्ड स्टालमेन का 'जीएनयू' प्रोजेक्ट शुरू हो चुका था. लिनूस टोरवाल्ड ने इससे बहुत सारे प्रोग्राम अपने लिनक्स में लिए. इसलिए रिचर्ड स्टालमेन का कहना है कि इसे 'जीएनयू-लिनक्स' कहना चाहिये. पर यह नाम, शायद लम्बा रहने के कारण चल नहीं पाया.
लिनक्स के सॉफ्टवेयर के लिए प्रायोगिक तौर पर पैसा नहीं लिया जा सकता, पर इसका मतलब यह नहीं है कि इससे पैसा नहीं कमाया जा सकता. बहुत सारी कम्पनियाँ इस पर सर्विस देकर पैसा कमा रही हैं और चल रही हैं. रेड हैट तथा सूसे (नौवल) इनमें मुख्य हैं.
सेंधा नमक, सादा नमक और काला में क्या फर्क है?
सादा नमक समुद्र के या खारे पानी की झीलों के पानी को सुखाकर बनाया जाता है. पुराने ज़माने में समुद्री नमक बोरों में भरकर और उसके क्रिस्टल रूप में बिकता था. सेंधा नमक वस्तुत: नमक की चट्टान है, जिसे पीसकर पाउडर की शक्ल में बनाते हैं. काला नमक मसाले (मूलत: हरड़) मिलाकर बनाया जाता है.
मुक्केबाजी या कुश्ती में 51 किलोग्राम या 66 किलोग्राम वर्ग का क्या अर्थ होता है?
मुक्केबाज़ी, कुश्ती और जूडो, कराते और भारोत्तोलन जैसी प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के शरीर का वज़न भी महत्वपूर्ण होता है. इसलिए इनमें खिलाड़ियों को अलग-अलग वज़न के आधार पर वर्गीकृत करते हैं. उदाहरण के लिए लंदन ओलिम्पिक की पुरुष वर्ग की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में दस वर्ग इस प्रकार थे 1.लाइट फ्लाईवेट 49 किलोग्राम तक, 2.फ्लाईवेट 52 किलो तक, 3.बैंटमवेट 56 किलो, 4.लाइट वेट 60 किलो, 5.लाइट वेल्टर 64 किलो, 6.वेल्टर 69 किलो, 7.मिडिल 75 किलो, 8.लाइट हैवी 81 किलो, हैवी 91 और सुपर हैवी 91 किलो से ज्यादा. महिलाओं के वर्ग का वर्गीकरण दूसरा था. इसी तरह कुश्ती का वर्गीकरण महिला और पुरुष वर्ग में अलग-अलग था.
मिट्टी के बर्तन में पानी ठंडा क्यों रहता है?
जब किसी तरल पदार्थ का तापमान बढ़ता है तो भाप बनती है. भाप के साथ तरल पदार्थ की ऊष्मा भी बाहर जाती है. इससे तरल पदार्थ का तापमान कम रहता है. मिट्टी के बर्तन में रखा पानी उस बर्तन में बने असंख्य छिद्रों के सहारे बाहर निकल कर बाहरी गर्मी में भाप बनकर उड़ जाता है और अंदर के पानी को ठंडा रखता है. बरसात में वातावरण में आर्द्रता ज्यादा होने के कारण भाप बनने की यह क्रिया धीमी पड़ जाती है, इसलिए बरसात में यह असर दिखाई नहीं पड़ता. प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
No comments:
Post a Comment