‘साइबर क्राइम’ क्या है? एक आम व्यक्ति इंटरनेट पर अपने आर्थिक लेन-देन अथवा व्यक्तिगत निजता को सुरक्षित रखने के लिए साइबर क्राइम से अपनी सुरक्षा किस प्रकार कर सकता है?
विनोद कुमार लाल, 48, आर्यपुरी, साकेत बुक्स, रातू रोड, रांची-834001 (झारखंड)
साइबर अपराध गैरकानूनी गतिविधियाँ हैं जिनमें कंप्यूटर या तो एक उपकरण या लक्ष्य या दोनों है। साइबर अपराध सामान्य अपराधों जैसे ही हैं जैसे चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी, मानहानि और शरारत। चूंकि कम्प्यूटर के कारण इन अपराधों में तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है इसलिए इनकी प्रकृति अलग हो जाती है। यानी कंप्यूटर का दुरुपयोग इसकी बुनियाद है। इन अपराधों के लिए भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 है, जिसका 2008 में संशोधन किया गया। साइबर अपराधों को दो तरह वर्गीकृत कर सकते हैं। एक, लक्ष्य के रूप में कंप्यूटर। यानी दूसरे कंप्यूटरों पर आक्रमण करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना। मसलन हैकिंग, वायरस आक्रमण आदि। दो, शस्त्र के रूप में कंप्यूटर का इस्तेमाल। यानी अपराध करने के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना। उदाहरणार्थ: साइबर आतंकवाद, बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, ईएफ़टी धोखाधड़ी, अश्लीलता आदि।
साइबर अपराधों से बचने के लिए सावधानी और तकनीकी समझ की जरूरत होगी। खासतौर से हैकिंग आदि से बचने के उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए।
क्या कारण है कि कच्चे हरे फल पकने पर
पीले दिखाई देते हैं?
संचित मिश्रा, 78/114, जीरो रोड, आर्य
समाज मंदिर के ठीक सामने (चौक), इलाहाबाद-211003
फलों के पकने की प्रक्रिया उनके स्वाद, खुशबू और
रंग में भी बदलाव लाती है। यह उनकी आंतरिक रासायनिक क्रिया के कारण होता है। ज्यादातर
फल मीठे और नरम हो जाते हैं और बाहर से उनका रंग हरे से बदल कर पीला, नारंगी,
गुलाबी और लाल हो जाता है। फलों के पकने के साथ उनमें एसिड की मात्रा बढ़ती है, पर
इससे खट्टापन नहीं बढ़ता, क्योंकि साथ-साथ उनमें निहित स्टार्च शर्करा में तबदील
होता जाता है। फलों के पकने की प्रक्रिया में उनके हरे रंग में कमी आना, चीनी की
मात्रा बढ़ना और मुलायम होना शामिल है। रंग का बदलना क्लोरोफिल के ह्रास से जुड़ा
है। साथ ही फल के पकते-पकते नए पिंगमेंट भी विकसित होते जाते हैं।
कंप्यूटर की क्षमता नापने की इकाइयों
केबी, एमबी, जीबी, टीबी, में आपस में क्या संबंध होता है?
अनमोल मेहरोत्रा, 13/380, मामू-भांजा (ख्यालीराम हलवाई के सामने) अलीगढ़ (उ.प्र.)
ये स्टोरेज की इकाइयाँ हैं। किलो बाइट
(केबी), मेगा बाइट (एमबी), गीगा बाइट (जीबी) और टेरा बाइट (टीबी)। सामान्यतः
अंग्रेजी गणना पद्धति में संख्याएं हजार पर बदलती है। 8 बिट का एक बाइट होता। 1000
बाइट का एक किलो बाइट। 1000किलो बाइट का एक मेगा बाइट। 1000 मेगा बाइट का एक गीगा बाइट और 1000
गीगा बाइट का एक टेरा बाइट। कंप्यूटर प्रणाली में ये संख्याएं बाइनरी सिस्टम में
हैं 2-4-8-16-32-64-128-256-512-1024। इस वजह से आधार बना 1024। बाइनरी नंबर
सिस्टम में 8 बिट के
बराबर 1 बाइट होता है, 1024 बाइट के बराबर एक किलो बाइट, 1024 किलो
बाइट बराबर 1 मेगा बाइट, 1024 मेगा बाइट बराबर 1 गीगा बाइट और 1024 गीगा
बाइट बराबर 1 टेरा बाइट होता है। यह इकाई पेटा बाइट, एक्सा बाइट, जेटा बाइट और
योटा बाइट तक जाती हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल
के तीन किशोर बिनॉय, बादोल, दिनेश
(जिनके नाम से कलकत्ता में पार्क है) के विषय में विस्तार से बताइए?
मनिकना मुखर्जी, 98, सिविल लाइंस, झांसी-284001 (उ.प्र.)
कोलकाता के प्रसिद्ध बीबीडी बाग (बिबादि
बाग़) का नाम तीन युवा क्रांतिकारियों पर रखा गया है, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम में जान दे दी थी। इनके नाम थे बिनॉय (विनय) बसु, बादोल (बादल) गुप्त और
दिनेश गुप्त। तीनों क्रांतिकारी आंदोलन में सक्रिय थे। उन्होंने अंग्रेजी राज की
पुलिस के उन अधिकारियों को निशाना बनाया जो जनता पर अत्याचार करने के लिए बदनाम
थे। इनमें जेल महानिरीक्षक कर्नल एनएल सिम्पसन भी था।
तीनों ने 8 दिसम्बर 1930 को कोलकाता के
डलहौजी स्क्वायर इलाके में स्थित रायटर्स बिल्डिंग यानी सचिवालय भवन में घुसकर
सिम्पसन को गोली से उड़ा दिया। दोनों ओर से गोली चली जिसमें कुछ पुलिस अधिकारी
घायल हुए। इसके बाद पुलिस ने तीनों को घेर लिया। तीनों ने तय किया कि पुलिस के हाथ
नहीं पड़ना है। बादोल ने पोटेशियम सायनाइड खा लिया। बिनॉय और दिनेश ने अपने रिवाल्वरों
से खुद को गोली मार ली। बिनॉय को अस्पताल ले जाया गया जहाँ 13 दिसम्बर 1930 को
उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय बिनॉय की उम्र 22 साल, बादोल की 18 और दिनेश की
19 साल थी। तीनों की आहुति ने बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन में जान दी। स्वतंत्रता
के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने डलहौजी स्क्वायर का नाम तीनों के नाम पर रख दिया।
कादम्बिनी के फरवरी 2016 अंक में प्रकाशित
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