अब अंतरिक्ष यात्राएं काफी लम्बी होने लगी हैं. कई-कई महीने
तक यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन पर रहना पड़ता है. उनके लिए खाने की व्यवस्था करने
के पहले देखना पड़ता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मुक्त स्पेस में उनके शरीर को किस
प्रकार के भोजन की जरूरत है. साथ ही उसे स्टोर किस तरह से किया जाए. सबसे पहले अंतरिक्ष
यात्री यूरी गागारिन को भोजन के रूप में टूथपेस्ट जैसी ट्यूब में कुछ पौष्टिक वस्तुएं
दी गईं थीं. उन्हें गोश्त का पेस्ट और चॉकलेट सॉस भी दिया गया. 1962 में अमेरिकी अंतरिक्ष
यात्री जॉन ग्लेन ने भारहीनता की स्थिति में भोजन करने का प्रयोग किया था. शुरू में
लगता था कि भारहीनता में इंसान भोजन को निगल पाएगा या नहीं. इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों
के लिए टेबलेट और तरल रूप में भोजन बनाया गया. धीरे-धीरे उनके भोजन पर रिसर्च होती
रही. उन्हें सैंडविच और टोस्ट दिए जाने लगे. अब उन्हें कई तरह के पेय पदार्थ और खाने
की चीजें भेजी जाती हैं. अलबत्ता वहाँ स्वाद की समस्या होती है. भारतीय मूल की सुनीता
विलियम्स हाल में जब भारत आईं थी तो उन्होंने बताया था कि वे अंतरिक्ष में समोसे लेकर
गई थीं. साथ ही वे पढ़ने के लिए उपनिषद और गीता भी लेकर गईं थी.
एंटी ऑक्सीडेंट क्या होते हैं और ये शरीर पर क्या प्रभाव डालते हैं?
हमारे शरीर की खरबों कोशिकाओं को पोषण की कमी और संक्रमण का ही खतरा नहीं होता है, बल्कि फ्री रेडिकल्स भी कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. यह फ्री रेडिकल्स भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया में उप-उत्पाद के रूप में निकलते हैं. इसके अलावा कुछ उस भोजन में होते हैं जो हम खाते हैं, कुछ उस हवा में तैरते रहते हैं जो हमारे आसपास मौजूद होती है. फ्री रेडिकल्स अलग-अलग आकार, माप और रासायनिक संगठन के होते हैं. फ्री रेडिकल्स कोशिकाओं को नष्ट करके हृदय रोगों, कैंसर और दूसरी बीमारियों की आशंका बढ़ा सकते हैं. एंटी ऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से कोशिकाओं को बचाते हैं.
भोजन को पचाने में कई क्रियाएं होती हैं. शरीर भोजन से अपने लिए जरूरी तत्वों को ले लेता है लेकिन उन तत्वों को अलग कर देता है जो नुकसानदेह हैं. ये विषैले तत्व कई बार शरीर से आसानी से नहीं निकलते. ऐसे में एंटी ऑक्सीडेंट उन्हें शरीर से बाहर करता है और शरीर की सफाई करता है. एंटी ऑक्सीडेंट वह अणु होते हैं जो दूसरे अणुओं के ऑक्सीडेशन को रोकते हैं. सैकड़ों नहीं हजारों पदार्थ एंटी ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं. यह विटामिन, मिनरल्स और दूसरे कई पोषक तत्व होते हैं. बीटा कैरोटिन, ल्युटिन लाइकोपीन, फ्लैवोनाइड, लिगनान जैसे एंटी ऑक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण हैं. इनके अलावा मिनरल सेलेनियम भी एक एंटी ऑक्सीडेंट की तरह कार्य करता है. विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन ई की एक एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में हमारे शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
एंटी ऑक्सीडेंट ताजे फल और सब्जियों में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इन्हें स्कैवेंजर भी कहते हैं, क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स को खाकर शरीर की सफाई करते हैं. गाजर शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट बीटा-कैरोटिन से भरपूर होती है. यह शकरकंद, शलजम और पीली एवं नारंगी रंग की सब्जियों में होता है. टमाटर में लाइकोपीन होता है. यह फेफड़े, बड़ी आंत और स्तन कैंसर से बचाता है और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखता है. चाय हमें कैंसर, हृदय रोगों, स्ट्रोक और दूसरी बीमारियों से बचाती है. हरी और काली दोनों चाय काफी लाभदायक होती हैं. लहसुन एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो कैंसर और हृदय रोगों से लड़ने में मददगार होता है और बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करता है.
मंगल ग्रह के बारे में बताएं.
मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है. पृथ्वी से यह लाल
नज़र आता है, जिस वजह से इसे "लाल
ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है. सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं-
"स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें
अधिकतर गैस ही गैस है. पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है. इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और
पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों,
रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है.
हमारे सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत ओलिम्पस मंगल पर ही है.
आसपास के मैदानी क्षेत्र से इसकी चोटी की ऊँचाई करीब 24 किलोमीटर है. अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का अपनी धुरी पर घूमना और मौसमी चक्र धरती जैसा है. इस समय मंगल ग्रह की
परिक्रमा पाँच यान मार्स ओडिसी, मार्स
एक्सप्रेस, मार्स रिकॉनेसां ऑर्बिटर, मावेन
और मंगलयान कर रहे है. दो अन्वेषण रोवर (क्यूरॉसिटी और अपरच्युनिटी) मंगल की सतह
पर हैं. लैंडर फीनिक्स,
के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल
हो गए हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है.
हम जानते हैं कि हमारी धरती दूसरे ग्रहों के साथ सूरज की
परिक्रमा करती है. इस परिक्रमा का यात्रा पथ किसी का बड़ा है और किसी का छोटा.
मंगल और हमारे बीच दूरी घटती बढ़ती रहती है. हर दो साल में मंगल पृथ्वी के करीब
आता है. इसे मंगल की वियुति कहते हैं. पन्द्रह से सत्रह साल में यह सबसे करीब यानी
साढ़े पाँच करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होता है. इसे महान वियुति कहते हैं. जब सबसे
दूर होता है तब वह दूरी तकरीबन 40 करोड़
किलोमीटर होती है. हमारे मंगलयान को मंगल की कक्षा में पहुँचने के लिए तकरीबन 69 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करनी होगी. मंगल के दो चन्द्रमा,
फ़ोबोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं.
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