रेडियम नमक जैसा
अयस्क है जो पृथ्वी पर बहुत कम मात्रा में पाया जाता है. वस्तुतः यह यूरेनियम
अयस्क में मिलता है, पर उसमें इसकी मात्रा बहुत कम होती है. एक टन यूरेनाइट या
पिचब्लेंड में एक ग्राम के सातवां अंश रेडियम होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि
शुद्ध रेडियम से लगभग 1,600 वर्ष तक लगातार प्रकाशित होता रहता है. फिर धीरे-धीरे
क्षीण होकर लगभग दो हजार वर्ष बाद यह शीशे में बदल जाता है. रेडियो एक्टिव तत्वों में
इसका मुख्य स्थान है. पिचब्लेंड अयस्क मुख्यत: अफ्रीका में कांगो के कटैंगा प्रांत
में तथा कनाडा और पश्चिम अमेरिका में
मिलता है. इसके अतिरिक्त यूरोप के कुछ स्थानों में, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा मैडागास्कर में भी इसके अयस्क मिलते हैं.
भारत के केरल राज्य में मोनोजाइट अयस्क बहुत मात्रा में मलता है. हुई. रेडियम
क्लोराइड के रूप में इसकी खोज का श्रेय पेरिस के वैज्ञानिक दम्पति मैरी क्यूरी और
पियरे क्यूरी को जाता है. 1898 में उन्होंने पिचब्लेंड अयस्क से इसे अलग किया.
1902 में इसका विशुद्ध यौगिक बना और 1910 में रेडियम धातु का निर्माण हुआ.
ग्रेट विक्टोरिया
रेगिस्तान कहाँ है?
द ग्रेट विक्टोरिया
रेगिस्तान ऑस्ट्रेलियन रेगिस्तानों में से एक है. इस रेगिस्तान का क्षेत्रफल
338,000 वर्ग किमी है. इस विशाल रेगिस्तान में रेतीले टीलों की भरमार है. इस
रेगिस्तान की यह विशेषता है कि यहाँ वनस्पति बहुतायत से होती है. ब्रिटेन ने 1952
में जब एटम बम बनाया तो उसका परीक्षण यहाँ आकर किया.
तिल्लाना क्या है?
तिल्लाना: उत्तरी
भारत में प्रचलित तराना के समान ही कर्नाटक संगीत में तिल्लाना शैली होती है. यह
भक्ति प्रधान गीतों की गायन शैली है. प्राचीन समय में जिस गान में सार्थक शब्दों
के स्थान पर निरर्थक या शुष्काक्षरों का प्रयोग होता था वह निर्गीत या बहिर्गीत
कहलाता था. तनोम, तननन या दाड़ा दिड़-दिड़ जैसे
निरर्थक अक्षरों वाला गान निर्गीत कहलाता था. आजकल का तराना निर्गीत की कोटि में
आएगा.
मूँछ रखने की प्रथा
पुरुषों में कब से शुरू हुई?
प्रश्न मूँछ रखने का
नहीं बल्कि न रखने का या उन्हें सजाने का है. मनुष्य ने पत्थर युग में पत्थर को
घिसकर उस्तरे बना लिए थे और दाढ़ी बनाना शुरू कर दिया था. दाढ़ी बनाने का मतलब यह
है कि उसने मूँछ को भी तरतीब दी होगी. ईसा के तीन सौ साल पहले के एक प्राचीन ईरानी
चित्र में घोड़े पर सवार एक व्यक्ति दिखाया गया है, जिसके मूँछ है. हमारी ज्यादातर
प्राचीन प्रतिमाओं में शेव किए हुए चेहरे नजर आते हैं. इसका मतलब सभ्यता के जन्म
से पहले इनसान ने शेविंग शुरू कर दी थी. पर मूँछों और दाढ़ी दोनों को पुराने वक्त
से ही रौब-दाब के साथ जोड़ा गया था.
नाम से जाहिर है
इसका रिश्ता मूँछ से है. कुछ साल पहले से पुष्कर के मेले में एक ऐसी ही
प्रतियोगिता होने लगी है. जैसलमेर के मरु महोत्सव में ऐसी एक प्रतियोगिता होती है.
सन 1990 से 'वर्ल्ड बियर्ड ऐंड मुस्टैश चैंपियनशिप' भी चल रही है जो पिछले साल यानी 2013 में नवंबर में जर्मनी
में हुई थी. अगली चैंपियनशिप सितंबर 2014 में पोर्टलैंड अमेरिका में और 2015 की
लियोगैंग, ऑस्ट्रिया में हुई.
एंटोमॉलोजी क्या है?
कीट विज्ञान
(एंटोमॉलोजी Entomology) प्राणिविज्ञान का एक अंग है जिसके अंतर्गत कीटों
अथवा षट्पादों का अध्ययन आता है. षट्पाद (षट्=छह, पाद=पैर) श्रेणी को
ही कभी-कभी कीट की संज्ञा देते हैं.
गरम पानी अभयारण्य
का क्या इतिहास है?
गरम पानी अभयारण्य
असम के कारबी आंगलोंग जले में है. यह गोलाघाट से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर है. यह
देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक है. आकार में यह सिर्फ 6.05 वर्ग
किलोमीटर में बसा है. यहाँ हाथी, जंगली भैंसा, बघेरा, कई प्रकार के लंगूर और
पक्षियों तथा साँपों की कई प्रजातियाँ निवास करती है. ऑर्किड फूलों की 51
प्रजातियाँ यहाँ हैं, इनमें कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ हैं. इसकी आधिकारिक रूप से
स्थापना 1952 में की गई. पर प्रकृति ने इसे लाखों साल से अभयारण्य बना रखा था. इसे
अभयारण्य बनाने का एक कारण यह भी था कि यहाँ मनुष्यों की बस्तियाँ बसाना सम्भव ही
नहीं था. सन 1994 में यहाँ प्रोजेक्ट टाइगर भी शुरू किया गया. इसका नाम गरम पानी
इसलिए है, क्योंकि यहाँ गरम पानी के झरने है और चश्मे हैं.
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