भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही
क्रिकेट टेस्ट मैचों की सीरीज में इस बार डीआरएस सिस्टम को ट्रायल के तौर पर लागू
किया जा रहा है. इसका पूरा नाम है यूडीआरएस यानी अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम.
इसमें कोई खिलाड़ी अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकता है. इस तकनीक के तीन मुख्य
कारक हैं. 1.हॉक-आई, 2.हॉट स्पॉट, 3.स्निकोमीटर. वीडियो रिप्ले में बॉल ट्रैकर, हॉक-आई, हॉट स्पॉट, पिच मैपिंग जैसी तकनीक मदद से फैसले का रिव्यू किया जाता है. इस सिस्टम का
पहली बार इस्तेमाल सन 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच मैच में प्रायोगिक रूप से
किया गया. आधिकारिक रूप से इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल (आईसीसी) ने 24 नवंबर 2009 को
न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच से इसे लागू किया. एकदिनी क्रिकेट में
इसका इस्तेमाल जनवरी 2011 में इंग्लैंड के ऑस्ट्रेलिया दौरे से हुआ. शुरू में
आईसीसी ने इसे सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य किया, पर बाद में इस बात पर
सहमति हुई कि इसका इस्तेमाल तभी होगा, जब एक-दूसरे से खेलने वाली दोनों टीमें इसपर
सहमत होंगी. सितम्बर 2013 में आईसीसी ने घोषणा की कि टेस्ट मैच के दौरान किसी भी
टीम को 80 ओवरों के एक दौर में दो रेफरल मिलेंगे. इसके पहले नियम था कि टीम को एक
पाली में दो विफल रेफरल मिलेंगे.
01 जनवरी को नया साल मनाना कब
शुरू हुआ?
नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को होता है. अलग-अलग संस्कृतियों के अपने कैलेंडर और
अपने नव वर्ष होते हैं. दुनिया के देश अलग-अलग समय पर नया साल मनाते हैं. नए साल
का उत्सव 4000 साल से भी पहले बेबीलोन में मनाया जाता था. तब
यह पर्व 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की
तिथि थी. प्राचीन रोम में नव वर्षोत्सव तभी मनाया जाता था. रोम के बादशाह जूलियस
सीजर ने ईसा पूर्व 45 वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, तब विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए साल का उत्सव मनाया गया. ऐसा करने के लिए
जूलियस सीजर को उससे पिछला साल यानी ईसा पूर्व ईसवी 46 को 445 दिन का करना पड़ा था.
हिब्रू मान्यताओं के अनुसार ईश्वर ने दुनिया को सात दिन में बनाया. इन सात दिनों
के बाद नया वर्ष मनाया जाता है. यह दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है.
हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के पहले दिन आता है. चीनी कैलेंडर के अनुसार
पहले महीने का पहला चन्द्र दिवस नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. यह आमतौर पर 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है.
फॉग और स्मॉग में क्या अंतर है?
कोहरा यानी फॉग नमी वाली हवा में
बनता है. इसके बनने की प्रक्रिया बादलों जैसी होती है. गर्म हवा के मुकाबले ठंडी
हवा ज्यादा नमी ग्रहण करती है. पानी के कण ही कोहरे की शक्ल में नजर आते हैं. भाप
से भी हवा नमी लेती है. बादल का वह भाग जो जमीन के करीब होता है, वस्तुतः कोहरा ही
होता है. कोहरा कई तरह से बनता है. मोटे तौर पर इसे दो एडवेक्शन फॉग और रेडिएशन
फॉग नाम दिए जाते हैं. स्मॉग शब्द स्मोक से बना है. यानी जब नम हवा में धुआँ भी
शामिल हो जाता है तो उसे स्मॉग कहते हैं. फॉग में कुछ स्मॉग और स्मॉग में फॉग भी
मिला होता है. इसलिए दोनों के बीच कई बार विभाजक रेखा खींचना मुश्किल होता है. जब
प्रदूषणकारी धुएं की बहुतायत हो तो उसे स्मॉग कहेंगे.
एनसीसी की स्थापना कब हुई?
एनसीसी की स्थापना 1948 में भारतीय संसद से पास एक अधिनियम के अंतर्गत हुई. इसका उद्देश्य था देश के
युवा वर्ग का चरित्र निर्माण करना, उनमें साहस, भाईचारे, अनुशासन, नेतृत्व, खेल की भावना, निस्वार्थ सेवा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का समावेश करना. सन 1965 और 1971
के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सेना के बाद सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एनसीसी
के कैडेट्स पर थी. सभी छात्र और छात्राएं एनसीसी में शामिल हो सकते हैं.
सड़क पर बाईं ओर चलने
का नियम क्यों है?
दुनिया के सभी देशों में बाईं और
चलने का नियम नहीं है. दुनिया के 163 (दो तिहाई) देशों में ट्रैफिक दाईं और चलता
है और एक तिहाई देशों (76) में बाईं ओर. इनमें से ज्यादातर देश कभी ब्रिटेन के उपनिवेश हुआ
करते थे. अमेरिका में वाहन सड़क पर दाईं और चलते हैं. पुराने ज़माने में बाईं और
चलने की पद्धति इसलिए बनी क्योंकि घुड़सवारों के लिए बाईं तरफ़ से घोड़े पर चढ़ना
आसान होता है जिससे उनका दायां हाथ तलवार चलाने के लिए खाली रहे.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
गत 25 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में हमारा विदेशी मुद्रा
रिजर्व 365.49 अरब डॉलर था.
प्रॉक्सी युद्ध
प्रॉक्सी माने किसी के बदले काम करना. मुख्तारी, किसी का प्रतिनिधित्व. वह चाहे वोट देना हो या
युद्ध लड़ना. दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर लड़ना या लड़ाना. यह युद्ध दो गुटों के
बीच हो सकता है. या एक किसी का प्रॉक्सी युद्ध दूसरे से लड़ा जाए.
सिटी ऑफ टूथपिक्स
अमेरिका के एक कलाकार स्टैन मनरो ने टूथपिक्स को गोंद से
जोड़कर इमारतें,
पुल और सड़कें
बनाकर एक अद्भुत संसार की रचना की है. इसे टूथपिक सिटी कहा जाता है. उन्होंने
दुनिया की प्रसिद्ध इमारतों को इसमें शामिल किया है. ये मॉडल न्यूयॉर्क के
म्यूजियम ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, सायरेक्यूज़ में रखे गए हैं. इसमें ताजमहल है, ईफेल टावर और कम्बोडिया का अंगकोरवाट भी है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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