'बजट' शब्द ब्रिटिश संसद से आया है। सन 1733 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ
एक्सचेकर) रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखा-जोखा पेश करने आए, तो अपना भाषण और उससे संबद्ध दस्तावेज चमड़े के एक बैग (थैले)
में रखकर लाए। चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता है। बस, इसीलिए इस परंपरा को पहले बुजेट और फिर कालांतर में बजट कहा
जाने लगा। जब वित्त मंत्री चमड़े के बैग में दस्तावेज लेकर वार्षिक लेखा-जोखा पेश
करने सदन में पहुंचते तो सांसद कहते-'बजट खोलिए, देखें इसमें क्या है।'
या 'अब वित्त मंत्री जी अपना बजट खोलें।' इस तरह 'बजट' नामकरण साल दर साल मजबूत होता गया
भारत का पहला बजट कब और किसने पेश किया?
देश का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आरके शण्मुगम चेट्टी ने पेश किया था। वे देश के पहले
वित्तमंत्री थे और इस पद पर सन 1949 तक रहे।
मोबाइल ‘सिम’ कैसे कार्य करता है?
मोबाइल फोन को काम करने के लिए एक छोटे से माइक्रोचिप की
आवश्यकता होती है, जिसे ग्राहक पहचान मापदंड (सब्स्क्राइबर
आइडैंटिफ़िकेशन मॉड्यूल) या सिम कार्ड कहा जाता है। लगभग डाक टिकट के आकार के सिम
कार्ड पर एक सिलिकन चिप लगी होती है। इस चिप पर ही सारी जानकारी डाली जाती है, जिससे मोबाइल नेटवर्क सिम कार्ड की पहचान कर सके। हर सिम
कार्ड का अपना एक अलग पहचान कोड होता है जिससे फोन कंपनी का केंद्रीय डेटाबेस
पहचान कर सके। सिम कार्ड सामान्यतया बैटरी के नीचे यूनिट के पीछे रखा जाता है और
फोन के डेटा तथा फोन के बारे में जानकारी को संग्रहीत करता है। जब ग्राहक सिम
कार्ड को हटा देता है, तो इसे पुन: दूसरे फोन
में डाल कर सामान्य रूप से उपयोग किया जा सकता है। हर सिम कार्ड पर अलग-अलग
जानकारी होती है और अलग नंबर होता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली क्यों की
जाती है?
राजमार्ग पर खर्च की गई राशि को हासिल करने के लिए। रास्तों
ने इंसान को प्रगति करना सिखाया। एक जगह से दूसरी जगह जाकर उसने न कई तरह की बातें
सीखीं, बल्कि कमाई की। पर रास्ते बनाने में श्रम और
साधन लगते हैं। आमतौर पर सरकारें रास्ते बनातीं हैं, पर उसके पास इतने
साधन नहीं होते कि यह काम वह मुफ्त में कर सके। टोल एक प्रकार से रास्ते की कीमत
है। इसे टैक्स भी कह सकते हैं जो उन लोगों से वसूला जाता है, जो उसका इस्तेमाल करते हैं। भारत में अब ज्यादातर राजमार्ग
सरकार और निजी कम्पनियों के संयुक्त प्रयास से बनाए जा रहे हैं। ऐसे में निजी
कम्पनियों को एक निश्चित अवधि तक टोल वसूलने की अनुमति दी जाती है। यह प्रथा
दुनियाभर में है। केवल राजमार्गों पर ही नहीं पुलों और सुरंगों से गुजरने वालों से
भी टोल वसूला जाता है।
इंदिरा गांधी को प्रियदर्शिनी क्यों कहा जाता
है?
इंदिरा गांधी का पूरा नाम था इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू।
कहते हैं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्हें प्रियदर्शिनी नाम दिया था। फीरोज़
गांधी से विवाह के कारण उनके नाम के साथ गांधी शब्द जुड़ गया।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
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