Thursday, April 13, 2017

मंत्रियों की संख्या का भी कोई नियम है?

1 जनवरी 2004 के पहले तक भारत में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या से जुड़ा कोई नियम नहीं था. प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों के विवेक पर निर्भर था कि वे कितने सदस्यों को मंत्रिपरिषद में शामिल करते हैं. उपरोक्त तिथि से लागू 91 वें संविधान संशोधन के बाद अब मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या, जिसमें प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, सदन के कुल सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती. संविधान के अनुच्छेद 75 (1क) के अनुसार मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या सदन के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी. इसी तरह संविधान के अनुच्छेद 164 (1क) के अनुसार राज्य में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी.

सांसद-विधायक बने बगैर भी मंत्री बन सकते हैं?


हाँ बन सकते हैं. संविधान के अनुच्छेद 75 और 164 के अंतर्गत कोई व्यक्ति छह महीने तक संसद या विधान परिषद के किसी सदन का सदस्य बने बगैर मंत्रिपरिषद का सदस्य बना रह सकता है. इस दौरान या तो उसे किसी सदन की सदस्यता लेनी होगी, अन्यथा इस अवधि के बाद उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.

नक्षत्र क्या होते हैं? क्या हम वहाँ तक जा सकते हैं?

नक्षत्र यानी स्टार या सितारे जो ऊर्जा पैदा करते हैं. सौरमंडल के बाहर के नक्षत्रों की बात बाद में करें, पहले अपने सूर्य के बारे में जानकारी हासिल करें. हमारे सूर्य के गोले में पृथ्वी जैसे 13 लाख ग्रह समा सकते हैं. सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सैल्शियस है. उसके केंद्र में तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सैल्शियस है. इसलिए किसी भी प्राणी या यंत्र का वहाँ तक पहुँचना सम्भव नहीं है. हाँ उसके अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान भेजे जाते हैं, जो ज्यादा से ज्यादा नजदीक जाते हैं. नासा जिस सोलर प्रोब प्लस को भेजने की योजना बना रहा है वह सूर्य की सतह के करीब 60 लाख किलोमीटर निकट तक जा पाएगा. भारत भी अगले कुछ वर्षों में आदित्य नाम से एक यान भेजने की योजना बना रहा है.

रेशम का आविष्कार कब और कैसे हुआ?

रेशम प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा है. यह प्रोटीन रेशों में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin) होता है. ये रेशे कुछ कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाए जाते हैं. सबसे उत्तम रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है. moth caterpillars. रेशम का आविष्कार चीन में ईसा से 3500 साल पहले हो गया था. इसका श्रेय चीन की महारानी लीज़ू (Hsi-Ling-Shih, Lei-Tzu) को दिया जाता है. प्राचीन मिस्र की ममियों में और प्राचीन भारत में भी रेशम मिलता है. रेशम कला या सेरीकल्चर को चीनी महारानी ने छिपाने की कोशिश की, पर पहले कोरिया और फिर यह कला भारत पहुँची. रेशम एक प्रकार का महीन चमकीला और दृढ़ तंतु या रेशा जिससे कपड़े बुने जाते हैं . यह तंतु कोश में रहनेवाले एक प्रकार के कीड़े तैयार करते हैं. रेशम के कीड़े कई तरह के होते हैं. अंडा फूटने पर ये बड़े पिल्लू के आकार में होते हैं और रेंगते हैं. इस अवस्था में ये पत्तियाँ बहुत खाते हैं. शहतूत की पत्ती इनका सबसे अच्छा भोजन है. ये पिल्लू बढ़कर एक प्रकार का कोश बनाकर उसके भीतर हो जाते हैं. उस समय इन्हें 'कोया' कहते हैं. कोश के भीतर ही यह कीड़ा वह तंतु निकालता है, जिसे रेशम कहते हैं. कोश के भीतर रहने की अवधि जब पूरी हो जाती है, तब कीड़ा रेशम को काटता हुआ निकलकर उड़ जाता है. इससे कीड़े पालने वाले निकलने के पहले ही कोयों को गरम पानी में डालकर कीड़ों को मार डालते हैं और तब ऊपर का रेशम निकालते हैं.

खारे और मीठे पानी की मछलियों की संरचना फर्क होती है?

मछलियाँ कई प्रकार की होती हैं. कई मछलियाँ केवल मीठे पानी में होती हैं और कई खारे पानी में. उनके शरीर की त्वचा तथा गलफड़े (गिल्स) जरूरत भर के पानी को सोख लेते हैं. मछली के गलफड़े उसे आवश्यक ऑक्सीजन पहुँचाते हैं. खारे पानी में रहने वाली मछलियों के गलफड़े पानी का शोधन करके नमक को अलग कर देते हैं. सैल्मन परिवार की मछली दोनों प्रकार के पानी में रह सकती है. उसके शरीर की संरचना में खारे पानी के शोधन की व्यवस्था होती है.

बार्बी गुड़िया का जन्म कब हुआ?

बार्बी गुड़िया को सबसे पहले 9 मार्च 1959 को न्यूयॉर्क टॉय फेयर में पेश किया गया था. उसका पूरा नाम है बार्बी मिलिसेंट रॉबर्ट्स.

प्रभात खबर में प्रकाशित

3 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. बहुत अच्छी जानकारी ,,

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  3. दस प्रतिशत है जी राज्य में

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