हैलोवीन अमेरिका और यूरोप में 31 अक्तूबर को मनाया जाने वाला एक अवकाश है। अब भारत समेत दुनिया के बहुत से देशों में इसे मनाने लगे हैं। इस दिन लोग विचित्र किस्म की पोशाकें पहनते हैं। डरावनी फिल्में देखते हैं। भूत-प्रेत के खेल-खेलते हैं। खासतौर से कद्दू या सीताफल को काटकर उससे इंसान का चेहरा बनाकर उसके भीतर मोमबत्ती जलाते हैं। मैदान में होली की तरह से आग जलाते हैं। बच्चे घर-घर जाकर उपहार प्राप्त करते हैं। मोटे तौर पर गर्मी की समाप्ति और सर्दी के आगमन के इस पर्व में दुष्टात्माओं से छुटकारा पाने की कामना होती है। लौह युग की यूरोपीय सेल्टिक-संस्कृति में इसकी शुरुआत हुई थी।
जुगनू क्यों
चमकते हैं?
जुगनू एक प्रकार
का उड़ने वाला कीड़ा है, जिसके पेट में रासायनिक
क्रिया से रोशनी पैदा होती है। इसे बायोल्युमिनेसेंस कहते हैं। इसके शरीर में
ल्यूसिफेरिन नामक जटिल कार्बनिक यौगिक तथा ल्यूसिफेरेज नामक एन्जाइम पाया जाता है।
इस एन्जाइम, और ऑक्सीजन तथा मैग्नीशियम आयन की उपस्थिति में
ल्यूसिफेरिन पदार्थ से प्रकाश पैदा होता है। जीवधारियों के शरीर से प्रकाश उत्पन्न होना बायोल्युमिनेसेंस कहलाता है। यह
कोल्ड लाइट कही जाती है इसमें इंफ्रा रेड और अल्ट्रा वॉयलेट देनों फ्रीक्वेंसी
नहीं होतीं।
एक ओवर में छह गेंदें ही क्यों?
सच यह है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सन 1979-80 के बाद से ही सारी दुनिया में छह गेंदों के मानक ओवर का चलन शुरू हुआ
है। उसके पहले अलग-अलग समय और अलग-अलग देशों में चार, पाँच
और आठ गेंदों के ओवर भी होते रहे हैं। क्रिकेट के ज्ञात इतिहास में इंग्लैंड में
सन 1889 तक चार गेंदों का एक ओवर होता था। उसके बाद 1899 तक पाँच गेंद का ओवर हो गया। इसके बाद सन 1900
में एक पहल के बाद छह गेंदों के ओवर की शुरूआत हुई। शुरूआती वर्षों में
ऑस्ट्रेलिया में भी चार गेंद का ओवर होता था। इसके बाद जब इंग्लैंड में छह गेंद का
ओवर हुआ तो वहाँ भी छह गेंद का ओवर हो गया। पर 1922-23 के
सीज़न से ऑस्ट्रेलिया ने आठ गेंदों का एक ओवर करने का फैसला किया।
ऑस्ट्रेलिया की देखा-देखी इंग्लैंड ने भी सन 1939 में अपने घरेलू क्रिकेट में दो साल के लिए आठ गेंदों के ओवर का
प्रयोग किया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब इंग्लैंड में नियमित रूप से क्रिकेट का
सीज़न जब शुरू हुआ तब छह गेंदों के ओवर की वापसी हो गई। दक्षिण अफ्रीका में 1938-39 और फिर 1957-58 में आठ गेंद का ओवर चला। इसी तरह
पाकिस्तान में 1974-75 और 1977-78
में आठ गेंद का ओवर रहा। गेंदों की संख्या घटाने और बढ़ाने के कारणों का विवरण
दस्तावेजों में नहीं मिलता। इतना अनुमान है कि चार गेंदों का ओवर काफी छोटा लगा।
उसे कुछ और बड़ा करने के प्रयास में यह संख्या आठ तक पहुँच गई।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 5 नवंबर, 2022 को प्रकाशित
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