Tuesday, December 20, 2022

एसएसएलवी किसे कहते हैं?

स्मॉल सैटेलाइट लांच वेहिकल का अंग्रेजी संक्षिप्त रूप है एसएसएलवी। हाल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने पहले एसएसएलवी का प्रक्षेपण किया था। यह रॉकेट छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए बनाया गया है। यह 500 किलोग्राम के उपग्रह को निम्न-भू कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) पर या 300 किलोग्राम के उपग्रह को सूर्य-तुल्यकालिक (सन सिंक्रोनस) कक्षा पर स्थापित कर सकता है। इस रॉकेट को काफी कम समय में तैयार किया जा सकता है और इसकी लागत भी काफी कम है। इसे पाँच-छह लोगों की टीम 72 घंटे में तैयार कर सकती है, जबकि पीएसएलवी और जीएसएलवी को तैयार करने में 70-80 दिन लगते हैं।

भारत के एसएसएलवी की पहली परीक्षण उड़ान गत 7 अगस्त को हुई थी। हालांकि इसका प्रक्षेपण सही हुआ, पर कुछ कारणों से यह अपने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित नहीं कर पाया। इसका पहला प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से किया गया, पर इन रॉकेटों के प्रक्षेपण के लिए तमिलनाडु में कुलशेखरपत्तनम के पास एक नया एसएसएलवी लांच कांप्लेक्स बनाया जा रहा है। ऐसे रॉकेटों के प्रक्षेपण के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड नाम से एक नया कंसोर्शियम भी बनाया गया है। आज कल दुनिया में 90 फीसदी से ज्यादा छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण हो रहा है, इसलिए इस छोटे रॉकेट को गेमचेंजर बताया जा रहा है। अमेरिका के स्पेसएक्स ऐसे उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है।

अंतरिक्ष में सबसे भारी यान कौन सा है?

इस वक्त पृथ्वी की कक्षा में धरती से भेजा गया सबसे भारी उपग्रह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन है, जिसका वज़न 4,40,725 किलोग्राम है, जो 2020 में पूरा हुआ। इस पूरे स्पेस स्टेशन को एकसाथ अंतरिक्ष में नहीं भेजा गया है। इसके सबसे पहले हिस्से को सन 1998 में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था। तब से  सामान्यतः यह स्टेशन धरती से सामान्यतः 330 से 435 किलोमीटर की दूरी पर रहते हुए अपनी परिक्रमा पूरी करता है। यह हर रोज धरती के 15.54 चक्कर पूरे करता है।

श्री और सर्वश्री

श्री एक व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होगा. मसलन श्री राजीव कुमार जब हम कई नाम एकसाथ लिखें तो शुरू में सर्वश्री लिखकर काम चलाते हैं। आशय है कि सभी श्री। मसलन सर्वश्री रमेश, सुरेश, महेश और राकेश।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 27 अगस्त, 2022 को प्रकाशित


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