शीशे से आपका आशय दर्पण से है तो यह समझें कि पहले दर्पण की अवधारणा ने जन्म लिया, जो प्रकृति ने हमें ठहरे हुए पानी के रूप में दी थी। उसमें मनुष्य को अपनी छवि दिखाई दी। अपनी छवि को देखने की मनोकामना का ही प्रभाव था कि पत्थर युग में चिकने पत्थर में भी इंसान को अपना प्रतिबिंब नज़र आने लगा था। इसके बाद यूनान, मिस्र, रोम, चीन और भारत की सभ्यताओं में धातु को चमकदार बनाकर उसका इस्तेमाल दर्पण की तरह करने की परंपरा शुरू हुई। पर प्रकृति ने उससे पहले उन्हें एक दर्पण बनाकर दे दिया था। यह था ऑब्सीडियन। ज्वालामुखी के लावा के जमने के बाद बने कुछ काले चमकदार पत्थर एकदम दर्पण का काम करते थे। बहरहाल धातु युग में इंसान ने ताँबे की प्लेटों को चमकाकर दर्पण बना लिए। प्राचीन सभ्यताओं को शीशा बनाने की कला भी आती थी। ईसा की पाँचवीं सदी में चीन के लोगों ने चाँदी और मरकरी से शीशे के एक ओर कोटिंग करके दर्पण बना लिए थे। हमारे यहाँ स्त्रियों के गहनों में आरसी भी एक गहना है, जो वस्तुतः चेहरा देखने वाला दर्पण है।
रेशम का आविष्कार?
रेशम प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा
है। यह प्रोटीन रेशों में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin)
होता है। ये रेशे कुछ कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाए जाते हैं। सबसे
उत्तम रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है।
रेशम का आविष्कार चीन में ईसा से 3500 साल पहले हो गया था। इसका श्रेय चीन की महारानी ली-ज़ू को दिया जाता
है। प्राचीन मिस्र की ममियों में और प्राचीन भारत में भी रेशम मिलता है। रेशम कला
या सेरीकल्चर को चीनी महारानी ने छिपाने की कोशिश की, पर पहले कोरिया और फिर यह कला भारत पहुँची।
रेशम एक प्रकार का महीन चमकीला और
दृढ़ तंतु या रेशा जिससे कपड़े बुने जाते हैं । यह तंतु कोश में रहनेवाले एक
प्रकार के कीड़े तैयार करते हैं। रेशम के कीड़े कई तरह के होते हैं। अंडा फूटने पर
ये बड़े पिल्लू के आकार में होते हैं और रेंगते हैं। इस अवस्था में ये पत्तियाँ
बहुत खाते हैं। शहतूत की पत्ती इनका सबसे अच्छा भोजन है। ये पिल्लू बढ़कर एक
प्रकार का कोश बनाकर उसके भीतर हो जाते हैं। उस समय इन्हें 'कोया' कहते हैं। कोश के भीतर ही यह कीड़ा वह तंतु निकालता है, जिसे रेशम कहते हैं। कोश के भीतर रहने
की अवधि जब पूरी हो जाती है, तब कीड़ा रेशम को काटता हुआ निकलकर उड़ जाता है। इससे कीड़े पालने
वाले निकलने के पहले ही कोयों को गरम पानी में डालकर कीड़ों को मार डालते हैं और
तब ऊपर का रेशम निकालते हैं।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में
30 जुलाई, 2022 को प्रकाशित
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