चुनाव
आचार संहिता का मतलब है चुनाव आयोग के वे निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक
हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ
ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही
सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश लग जाते है। देश में आदर्श आचार संहिता की शुरुआत सन
1960 के केरल विधानसभा चुनाव से हुई। शुरू में यह सामान्य से दिशा-निर्देश थे कि
क्या करें और क्या न करें। उस समय देश के मुख्य चुनाव आयुक्त थे केवीके सुन्दरम। कल्याण
सुन्दरम देश के पहले विधि सचिव और दूसरे चुनाव आयुक्त थे। सन 1962 के आम चुनाव में
आयोग ने इस कोड को सभी मान्यता प्राप्त दलों को सौंपा। साथ ही सभी राज्य सरकारों
के पास इसकी प्रति भेजी गई और अनुरोध किया गया कि इसपर राजनीतिक दलों की स्वीकृति
प्राप्त करें। धीरे-धीरे यह परम्परा पुष्ट होती गई।
पृथ्वी का सूर्य-परिक्रमा पथ गोल है या अंडाकार?
अंतरिक्ष
में पूरी तरह वृत्ताकार कक्षा कहीं नहीं मिलती। पूरी तरह वृत्ताकार न तो ग्रह होते
हैं और न नक्षत्र। तमाम अंतरिक्षीय पिंड एक-दूसरे की गुरुत्व शक्ति से प्रभावित
होते हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी पूरी परिक्रमा के दौरान घटती-बढ़ती रहती
है। दोनों के बीच न्यूनतम दूरी 14 करोड़ 71 लाख 66 हजार 462 किमी जिसे रविनीच या
पेरिहेलियोन (perihelion) कहते हैं। अधिकतम
दूरी 15,21,71,522 किमी होती है,
जिसे
अफेलियोन या सूर्योच्च (aphelion)
कहते
हैं।
पानी की बूँदें गोल क्यों होती हैं?
बूँदों के गोल होने का कारण पृष्ठ तनाव है। यों तो पानी जिस पात्र में रखा जाता है उसका आकार ले लेता है, पर जब वह स्वतंत्र रूप से गिरता है तो धार जैसा लगता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण जैसे–जैसे उसकी मात्रा धरती की ओर जाती है उसी क्रम में आकार लेती है। इसके अलावा पानी के मॉलीक्यूल एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं और यह क्रिया केन्द्र की ओर होती है, इसलिए पानी टूटता नहीं। जैसे-जैसे पानी की बूँद का आकार छोटा होता है, वह गोल होती जाती है। यों आपने कुछ बड़ी बूँद को हल्का सा नीचे की ओर लटका हुआ भी पाया होगा। ऐसा गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है।
राजस्थान
पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 8 अक्तूबर, 2022 को प्रकाशित
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