Thursday, June 30, 2016

नोटों पर महात्मा गांधी की फोटो कब से लगाई गई और क्यों?

नोटों पर राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगाने की परम्परा दुनिया भर में है. महात्मा गांधी हमारे देश के सबसे सम्मानित महापुरुषों में एक हैं, इसलिए उनका चित्र लगाया जाता है. नोटों की वर्तमान सीरीज़ को महात्मा गांधी या एमजी सीरीज़ कहा जाता है. इन नोटों को जाली नोटों से अलग रखने के लिए इनकी खास तरह की छपाई की गई है. यह 1996 से चल रही है. शुरू में 10 और 500 रुपए के नोट इस सीरीज़ में आए थे. अब 5 से 1000 तक नोट इस सीरीज़ में आ रहे हैं. कुछ समय के लिए इन्हें रोका गया था, पर 2009 में इन्हें फिर से शुरू कर दिया गया. इस विषय पर और अधिक जानकारी पाने के लिए रिजर्व बैंक की इस साइट पर जाएं

इंजेक्शन या सूई लगाने से पहले स्पिरिट क्यों लगाया जाता है?

इंजेक्शन लगाने के पहले सर्जिकल स्पिरिट का इस्तेमाल किया जाता है. यह आमतौर मिथाइल और इथाइल अल्कोहल का मिश्रण होता है. मिथाइल सैलिसाइलेट और आइडोफॉर्म का इस्तेमाल भी इस काम के लिए किया जाता है. मूलत: यह डिसइंफैक्टेंट है. यानी विषाणुओं के संक्रमण की संभावना को खत्म करने के लिए इसे लगाया जाता है.

मेट्रो ट्रेन क्या बिना चालक एवं गार्ड के चलती हैं?                                            
दुनिया में कम से कम 32 मेट्रो अपने यहाँ ड्राइवर-रहित ट्रेनें संचालित करते हैं. इससे ज्यादा ट्रेनों पर काम चल रहा है. दिल्ली मेट्रो भी जल्द बिना चालक की गाड़ियाँ चलाने वाली है. सन 1967 में लंदन की अंडरग्राउंड विक्टोरिया लाइन की शुरूआत ऑटोमेटेड ट्रेन से हुई. इसी तरह की मेट्रो गाड़ियाँ कोपेनहेगन, बार्सिलोना और पेरिस में चलती हैं. जापान, हांगकांग, ताइपेह, सिंगापुर और दुबई समेत अनेक स्थानों पर गाड़ियाँ बगैर ड्राइवर के चलतीं है. दर असल इस तरह के रेलवे में सिग्नल से लेकर संचार तक तमाम चीजें कम्प्यूटर नियंत्रित और स्वचालित हो चुकीं हैं. कई जगह एक-दो व्यक्तियों का स्टाफ दरवाजे खोलने या आपातकालीन परिस्थितियों में काम करने के लिए भी रखा जाता हैं. मोटे तौर पर देखें तो ड्राइवर को ट्रेन चलाने के लिए एक या दो बटन दबाने होते हैं. उसे अपने कंट्रोलर के निर्देशों पर यह काम करना होता है. ट्रेन कंट्रोल भी अब ऑटोमेटिक हो गया है. ट्रेन ही नहीं अब हवाई जहाज उड़ाने के अनेक काम ऑटोमेटिक होते हैं.

मछलियां और पानी में रहने वाले दूसरे जीव-जन्तु कब एवं कैसे सोते हैं.

मछलियाँ भी सोती हैं, पर उस तरह नहीं जैसा हम समझते हैं. उसकी आँख की पुतलियाँ बंद नहीं होतीं तो हमें लगता है कि वे जागती रहती हैं. अपने एक्वेरियम में आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि कई बार मछली अपेक्षाकृत शांत या गतिविधि-हीन अवस्था में होती है. वही उसकी नींद है.

छींक आते समय आंखें क्यों बंद हो जाती हैं?

छींक एक अनैच्छिक क्रिया है जो किसी वाह्य उद्दीपन या पदार्थ के श्वास नली में आ जाने के कारण होती है. इसका प्रयोजन उसे बाहर निकाल फेंकना होता है. यह प्रक्रिया एक रिफ्लेक्स है जो स्नायुओं द्वारा संचालित होती  है. क्षण भर के अंतराल में श्वास नली की हवा मांसपेशियों के संकुचन से बाहर फेंक दी जाती है. जोर-से उत्पन्न झटके का असर आंखों की मांसपेशियों पर भी पड़ता है और ‘आई-बॉल’ को बाहर की ओर का धक्का न लगे इसलिए आंखें कसकर बंद हो जाती हैं.

शास्त्रीय संगीत में घरानों का प्रचलन कब शुरू हुआ?

शास्त्रीय संगीत में घरानों का प्रचलन सोलहवीं सदी में ग्वालियर घराने से शुरू हुआ. घराना उस संगीत परिवार का प्रचलन, सामाजिक स्तर को दर्शाता है. इसका सामाजिक महत्व होता है. संगीत घराने परिवार का हर सदस्य शास्त्रीय संगीत का ज्ञाता होता है. हिन्दुस्तानी संगीत के कुछ प्रसिद्ध घराने हैं आगरा, ग्वालियर, इंदौर, जयपुर, किराना और पटियाला.

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Thursday, June 23, 2016

टेस्ट क्रिकेट में लाल रंग की गेंद का ही प्रयोग क्यों होता है?

क्रिकेट के खेल का संचालन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल करती है, पर इसके नियमों का कस्टोडियन मैरिलेबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) है. चूंकि नियमों का नियंता एमसीसी है इसलिए गेंद के रंग और आकार आदि का निर्णय भी उसी का है. क्रिकेट की गेंद परम्परा से ही लाल है. फैसला करने वालों ने इसे लाल क्यों माना इसपर कोई आधिकारिक विवरण मुझे नहीं मिला. दो बातें समझ में आती हैं. एक तो यह कि चमड़े की अधिकतर वस्तुएं लाल या काली होती हैं. क्रिकेट की गेंद चमड़े से मढ़ी होती है. इसका लाल रंग भी कई बार कालिमा, नीलिमा और पीलिमा लिए होता है.

एक दिनी क्रिकेट के प्रादुर्भाव के बाद से गेंद का रंग लाल से सफेद किया गया है, पर वह टेस्ट और प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में लाल ही होती है. एक दिनी क्रिकेट में गेंद का रंग सफेद रखने के पीछे सबसे बड़ा कारण आँखों को नज़र आने लायक बनाना था. एक दिनी क्रिकेट दिन और रात में खेला जाता है. रात को कृत्रिम रोशनी में लाल रंग की गेंद देखने में दिक्कत थी. दिन में लाल रंग देखना आसान होता है. उसकी लाल पॉलिश ज्यादा देर तक चढ़ी रहती है और उसपर घास का हरा रंग चढ़ नहीं पाता. यों जुलाई 2009 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की महिलाओं के बीच एक मैच में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल भी हो चुका है.

अष्ट धातु क्या है?

अष्टधातु नाम से ही स्पष्ट है कि यह आठ धातुओं की बात है. इसमें आठ धातु हैं सोना, चांदी, तांबा, रांगा, जस्ता, सीसा, लोहा और पारा. सुश्रुत संहिता में केवल सात धातुओं का उल्लेख है. शायद सुश्रुत पारे को धातु नहीं मानते होंगे.  बहरहाल अष्टधातु परम्परा से भारतीय संस्कृति में पवित्र माने जाते रहे हैं. हमारे यहाँ प्रतिमाओं का निर्माण अष्टधातु से किया जाता था. भारतीय फलित ज्योतिष में नवग्रहों के प्रभाव घटाने या बढ़ाने के लिए अष्टधातु की अंगूठी, कड़े आदि पहनने का विधान है.

कोल्ड ड्रिंक्स पर लिखा एफपीओ क्या होता है?

केवल पेय ही नहीं, किसी भी प्रकार की प्रसंस्करित खाद्य या पेय सामग्री को पैकेज कर बेचने के लिए भारत में इस निशान को लगाना अनिवार्य है. यह इस बात को बताता है कि पैकेजबंद सामग्री को तैयार करते वक्त फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट-2006 के मानकों को पूरा किया गया है. यह मानक हालांकि फ्रुट प्रोडक्ट्स ऑर्डर (एफपीओ) के अंतर्गत 1955 से चला आ रहा है, पर सन 2006 के कानून के बाद देश में खाद्य सामग्री की प्रोसेसिंग का उद्योग शुरू करने के पहले एफपीओ लाइसेंस लेना ज़रूरी है. 

एटीएम की मशीन सबसे पहले कहाँ बनी?
   
एटीएम का अर्थ होता है ऑटोमेटेड टैलर मशीन. इसका जन्म सेल्फ सर्विस की धारणा के साथ हुआ है, जिससे काम आसान हो और अनावश्यक कर्मचारियों को लगाना न पड़े. इस मशीन के आविष्कार का श्रेय आर्मेनियाई मूल के अमेरिकन लूथर जॉर्ज सिमियन को मिलना चाहिए. यों इसके विकास में कुछ और लोगों का भी हाथ है. एटीएम की परिकल्पना उसने 1939 में ही कर ली थी और बैंकमैटिक नाम से एक मशीन बनाई. जिसे पेटेंट मिला फरवरी 1963 में. इस बीच उसने सिटी बैंक ऑफ न्यूयॉर्क(आज का सिटी बैंक) के अधिकारियों को इस बात के लिए राजी किया कि वे इस मशीन को परीक्षण के तौर पर लगाकर देखें. सिटी बैंक ने छह महीने के ट्रायल पर मशीन लगाई, पर उसे लोकप्रियता नहीं मिली. इसकी लोकप्रियता जापान से बढ़ी वह भी क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के कारण. एटीएम के साथ-साथ चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक और अन्य कई वस्तुओं के डिस्पेंसर भी उसी दौरान बने हैं.   

भारत में पिनकोड की शुरुआत कब हुई?

पिनकोड माने पोस्टल इंडेक्स नम्बर. भारत में यह 15 अगस्त 1972 में लागू किया गया. इसके अंतर्गत देश को आठ भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा गया है. सेना डाकघर और फील्ड डाकघर नवाँ क्षेत्र है. पिनकोड की पहली संख्या भौगोलिक क्षेत्र को और पहली दो संख्याएं राज्य को, उसके बाद शहर या शहरी इलाके को, मुहल्लों, कॉलोनियों वगैरह को व्यक्त करतीं हैं. प्राय: बड़े राज्यों के नाम आबंटित पहली दो संख्याएं ही ज्यादा होतीं हैं. बिहार-झारखंड की पहली दो संख्याएं 80 से 85 हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के पिनकोड नम्बर 20 से 28 हैं.

एक किलो शहद के लिए कितने फूलों की जरूरत होती है??

मधुमक्खियाँ जैसा कि आप जानते हैं श्रम और श्रम विभाजन का बेहतरीन उदाहरण हैं. एक श्रमिक मक्खी औसतन एक दिन में तकरीबन दस उड़ानें भरकर शहद लाती है. हर ट्रिप में वह तकरीबन 1000 फूलों पर बैठती है. इस तरह तकरीबन 65,000 ट्रिप में 6.5 करोड़ फूलों की यात्रा से एक किलोग्राम शहद तैयार होता है.  


प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Sunday, June 19, 2016

जहर क्या होता है? यह कैसे काम करता है? इसके प्रयोग से मृत्यु क्यों हो सकती है?

जहर वह है जो किसी जैविक गतिविधि में रुकावट डाले या उसे पूरी तरह रोके। जिन परिस्थितियों में जीवन पनपता है उन्हें मिटाता है। जिसके ग्रहण करने से शरीर क्रिया पर दुष्प्रभाव पड़ता है वह जहर है। हम इन्हें कई रूपों में देखते हैं, पर कम से कम इन्हें दो रूपों में इन्हें आसानी सा समझ सकते हैं। एक आविष यानी जिसे ग्रहण करने से नुकसान होता है और दूसरे जीव विष जो दंश डंक के रूप में होता है। यह विष मूलत: एक प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था है।

जहर को हम मौत के साथ जोड़ते हैं। हत्या, आत्म हत्या या मृत्यु दंड से। जहर का प्याला जो सुकरात को पिलाया गया या जहर का इंजेक्शन जो कई देशों में सजा-ए-मौत के काम आता है। गैस चैम्बर, जिसमें जहरीली गैस मौत देती है। कीट नाशक, दीमक समाप्त करने वाली दवाएं। दरअसल वैज्ञानिकों के लिए जहर अपने कुछ गुणों के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे उनके इस्तेमाल को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। हम जिन्हें एंटी बायोटिक दवाएं कहते हैं, वे भी एक प्रकार का जहर हैं। वे शरीर में रोग फैलाने वाले विषाणुओं को मारते हैं। पैरासिटॉमाल हमारे लिए उपयोगी है, पर कुत्ते-बिल्लियों के लिए खतरनाक जहर है। आधुनिक विष विज्ञान के जनक पैरासेल्सस ने लिखा है हर चीज़ जहर है, हर चीज़ में ज़हर है। सिर्फ मात्रा से तय होता है कि विष क्या है और औषधि क्या है।
   
शब्दकोश का आविष्कार किसने, कब किया?                   

शब्दकोश, पर्यायवाची कोश, संदर्भ कोश, ज्ञानकोश और किसी एक विषय की जानकारी देने वाले कोश बनाने का उद्देश्य एक ही स्थान पर तमाम सूचनाएं एकत्र करके देना है। शब्दकोश में शब्द की व्युत्पत्ति, उसके एक से अधिक अर्थ, समान अर्थ वाले दूसरे शब्दों से उसका भेद, उच्चारण, सामासिक रूप, प्रयोग आदि विवरण भी होता है। दुनिया में सबसे पहले शब्दकोश कहाँ बना अबी यह कह पाना मुश्किल है। हाँ भारत दुनिया की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। शब्दकोश के सृजन में भी हमारे पूर्वजों का योगदान है।

हिन्दी विकीपीडिया के अनुसार सबसे पहले शब्द संकलन भारत में बने। शब्दकोश की पूर्ववर्ती शब्दावली यानी ग्लॉसरी है। अबतक प्राप्त शब्दावलियों में सुमेरियन से अक्कादियन भाषा का कोश मिट्टी की पट्टिकाओं के रूप में मिला है, जो ईसा से 2300 साल पुराना बताया जाता है। हित्ती भाषा की शब्दावली भी हैं जो ईसा से एक हजार साल पुरानी हैं। भारत में सबसे पुरानी शब्दावली निघंटु के रूप में मिलती है। जब वैदिक संस्कृत लोगों के लिए दुरूह होने लगी तब शब्दों के संग्रह किए गए जिन्हें निघंटु कहा गया। आज जो निघंटु उपलब्ध है वह यास्क का है। माना जाता है कि यास्क के समय में चार-पाँच निघंटु और थे। यास्क का समय आठवीं सदी ईपू है। यह भी माना जाता है कि महर्षि कश्यप का निघंटु दुनिया का पहला शब्दकोश था। चीनी भाषा के प्राचीनतम शब्दकोश की प्रति तीसरी शताब्दी ईपू की है। अरबी और फारसी के शब्दकोश भी ईपू के हैं।

 संस्कृत के शब्दकोशों की परम्परा में अमर सिंह कृत लिंगानुशासन है जिसे आमतौर पर अमरकोश कहा जाता है। संस्कृत में कोशों की लम्बी श्रृंखला है। मुसलमानों के आगमन के बाद भी यह परम्परा चलती रही। खालिकबारी नाम के प्रसिद्ध ग्रंथ में हिंदी, फारसी और तुर्की के शब्द हैं। शिवाजी ने भी फारसी-संस्कृत शब्दावली बनाई। अंग्रेजों के आने के बाद हिन्दी के अपने शब्दकोश बने। इनमें पहला जे फरगुसन का ए डिक्शनरी ऑफ हिन्दुस्तानी लैंग्वेज है, जो 1773 में लंदन में छपा था।


राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, June 16, 2016

धरती का वज़न कितना है?

पृथ्वी का वज़न कहने के बजाय द्रव्यमान कहना बेहतर होगा, क्योंकि वज़न गुरुत्वाकर्षण से तय होता है. उदाहरण के लिए एक गेंद का वज़न पृथ्वी पर जितना है वह चंद्रमा पर केवल उसका छठा हिस्सा होगा लेकिन द्रव्यमान वही रहता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का द्रव्यमान लगभग 60 करोड़ खरब टन है. यानी 6 के बाद आपको 21 शून्य लगाने पड़ेंगे. वज़न का अनुमान इस आधार पर लगाया जाता है कि पृथ्वी के आस-पास के पदार्थों के लिए उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति कितनी है. 

सौर परिवार में कौन सा ग्रह सबसे तेज परिक्रमा करता है?

अंतरराष्ट्रीय खगोल शास्त्री संघ यानी आईएयू के अगस्त 2006 में पारित प्रस्ताव के मुताबिक सौरमंडल में अब सिर्फ़ आठ ग्रह हैं. बुधशुक्रपृथ्वीवृहस्पतिशनियूरेनस और नेप्च्यून. बुध सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है. बुध ग्रह सबसे तेज़ गति से घूमता है. इसे सूर्य का चक्कर लगाने में 88 दिन लगते हैं. इसकी औसत गति 47.36 किलोमीटर प्रति सेकंड है.

और सबसे गर्म ग्रह कौन सा है?

सबसे गर्म ग्रह है शुक्र. हालांकि बुध ग्रह सूरज के सबसे क़रीब है इसलिए उसे सबसे गर्म होना चाहिए, लेकिन सूरज के इतने क़रीब होने की वजह से उसका वायुमंडल नष्ट हो चुका है. इसलिए वह गर्मी को रोक नहीं पाता. शुक्र का वायुमंडल मुख्यतः कार्बन डाईऑक्साइड से भरा हुआ है. सूरज की गर्मी इसमें प्रवेश तो करती है लेकिन निकल नहीं सकती. इस तरह से यह एक भट्टी का रूप ले लेती है. शुक्र की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस रहता है. सुबह के समय पूर्व दिशा में जो सबसे चमकदार तारा दिखाई देता है वह शुक्र ही है. सूर्यास्त के समय यह पश्चिम में नज़र आता है.

स्पेक्ट्रम क्या होता है?

स्पेक्ट्रम शब्द के अनेक अर्थ हैं. इसका पहला वैज्ञानिक इस्तेमाल प्रकाश विज्ञान या ऑप्टिक्स में हुआ. रोशनी की किरण जब किसी प्रिज़्म से होकर गुज़रती है तो रोशनी में शामिल विविध रंग एक क्रम से शुरू होकर दूसरे में खत्म होते हैं. वर्णक्रम यानी रंगों का क्रम. विचार के अर्थ में स्पेक्ट्रम का अर्थ होता है वैचारिक विविधता. पर इन दिनों हम जिस अर्थ में इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं वह है वेवलेंग्थ या फ्रीक्वेंसी. टेलीकम्युनिकेशंस में फ्रीक्वेंसी.

एमटीसीआर का मतलब क्या है?

भारत का मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) का सदस्य बनना अब तय है. पिछले हफ्ते भारत ने इस ग्रुप की सदस्यता प्राप्त करने की अंतिम बाधाएं पार कर लीं. एमटीसीआर का मकसद बैलिस्टिक मिसाइल तथा हथियार ले जाने वाले दूसरे डिलीवरी सिस्टम की तकनीक के आदान-प्रदान को नियंत्रित करना है, जिनका रासायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है. इस वक्त इस ग्रुप में 34 देश शामिल हैं. सभी देश प्रमुख मिसाइल निर्माता देश हैं. इसकी स्थापना 1987 में हुई. आखिरी बार बल्गारिया 2004 में इस समूह का सदस्य बना था. भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान इस समूह के सदस्य नहीं है. एमटीसीआर का सदस्य न होने के नाते भारत की मिसाइल तकनीक तक सीमित पहुंच थी. सदस्य बनने के बाद भारत पर लगा अंकुश हट जाएगा. इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए जरूरी तकनीक मिल सकेगी. साथ ही अमेरिका से ड्रोन तकनीकी पाना आसान हो जाएगा.

और एनएसजी क्या है?

न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी 48 देशों का वह अंतरराष्ट्रीय ग्रुप है जिसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और सदस्य देशों द्वारा मिलकर परमाणु तकनीक का इस्तेमाल शांतिपूर्ण कार्यों पर करना है. ऊर्जा उत्पादन का यह कार्य परमाणु सामग्री के आदान प्रदान से ही संभव है इसलिए केवल शांतिपूर्ण काम के लिए इसकी आपूर्ति की जाती है. इसका सदस्य बनने के लिए सभी सदस्य देशों का सहमति जरूरी है. एनएसजी की सदस्यता से मिलने पर भारत परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीक और यूरेनियम सदस्य देशों से बिना किसी समझौते के हासिल कर सकेगा. हालांकि इस ग्रुप ने भारत पर परमाणु ऊर्जा तकनीक से जुड़ी पाबंदियाँ पहले ही हटा ली हैं. सदस्यता मिलने से भारत की स्थिति बेहतर हो जाएगी.
   
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Friday, June 10, 2016

ग्रैंड स्लैम का मतलब क्या है?

ग्रैंड स्लैम का मतलब है एकसाथ कई प्रतियोगिताओं को जीतना. इसका आज सबसे ज्यादा इस्तेमाल लॉन टेनिस में होता है. अलबत्ता पिछली सदी में इसका प्रयोग गोल्फ और कांट्रैक्ट ब्रिज में भी होता था. बहरहाल आज दुनिया में टेनिस की चार सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं को एक ही कैलेंडर वर्ष में जीतने पर खिलाड़ी को ग्रैंड स्लैम विजेता कहा जाता है. चार ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट, जिन्हें मेजर भी कहा जाता है वे हैं ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ्रेंच ओपन, विम्बलडन तथा यूएस ओपन जो हर साल इसी क्रम में खेली जाती हैं. ऑस्ट्रेलियन ओपन और यूएस ओपन दोनों हार्ड कोर्ट पर खेले जाते हैं, जबकि फ्रेंच ओपन मिट्टी पर खेला जाता है और विम्बलडन घास पर.

विम्बलडन क्या है?
विम्बलडन प्रतियोगिता दुनिया में सबसे पुराना टेनिस टूर्नामेंट है. इसे दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता माना जाता है. सन 1877 के बाद से यह प्रतियोगिता लन्दन के उपनगर विम्बलडन के ऑल इंग्लैण्ड क्लब में होती है. यह एकमात्र प्रतियोगिता है, जो  आज भी खेल की मूल सतह, घास, पर खेली जाती है, जिससे लॉन टेनिस को इसका नाम मिला. यह प्रतियोगिता जून के अंत में और जुलाई के प्रारंभ में दो सप्ताहों से अधिक समय के लिए खेली जाती है. इसमें महिलाओं और पुरुषों के सिंगल्स फाइनल क्रमशः दूसरे शनिवार और रविवार को खेले जाते हैं.

भारत में घरेलू बिजली सप्लाई 230 वोल्ट में और अमेरिका में 110. ऐसा क्यों?

जिस तरह किसी पाइप के मार्फत पानी एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाया जाता है उसी तरह बिजली के सर्किट में इलेक्ट्रॉन और दूसरे चार्ज कैरियर्स को आगे बढ़ाने का काम किया जाता है. पानी पर जितना ज्यादा प्रेशर होगा उतनी ज्यादा मात्रा में पानी दूसरे बिन्दु पर पहुँचेगा. आसानी से समझने के लिए वोल्टेज को प्रेशर मानें. ज्यादा वोल्टेज से ज्यादा बिजली का प्रवाह होगा. यह सामान्य सी बात है. इसी वजह से एक शहर से दूसरे शहर तक बिजली भेजने के लिए हाई वोल्टेज का इस्तेमाल होता है. हाई वोल्टेज को सम्हालने के लिए केबल की क्षमता भी उसी के अनुरूप होती है.

अमेरिका में घरों में सप्लाई 120 वोल्ट में होती है और यूरोप तथा भारत सहित अनेक देशों में 230 वोल्ट में. इसके अलावा 100, 140, 150 या दूसरे मानक भी हो सकते हैं. मोटी बात यह है कि जितने हाई वोल्ट पर बिजली सप्लाई होगी उतना लाइन लॉस कम होगा. चूंकि हाई वोल्टेज में दुर्घटना की वोल्टेज में समानता नहीं है. इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, भारत, पाकिस्तान, नेपाल जैसे देशों में 230 वोल्ट में सप्लाई होती है. जापान में 100 और कनाडा में 120 में.


विश्व का सबसे जहरीला सांप कहां पाया जाता है?

साँप की करीब तीन हजार प्रजातियों में से अधिकतर विष-विहीन या मामूली जहर वाली होती हैं. सबसे ज्यादा संख्या में मिलने वाले जहरीले सांपों में वाइपर और किंग कोबरा हैं. ये दोनों प्रजातियाँ भारत में मिलतीं हैं. सबसे जहरीला मानने का कारण यह है कि सर्प दंश से होने वाली सबसे ज्यादा मौतें इनके कारण होतीं हैं. अफ्रीका का ब्लैक माम्बा भी काफी जहरीला साँप है. यों इन साँपों के मुकाबले ज्यादा जहरीले ऑस्ट्रेलिया के टाइगर स्नेक और इनलैंड टेपन हैं. पर इनकी संख्या कम है.


प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

Sunday, June 5, 2016

स्टेम सेल क्या है एवं इसका चिकित्सा विज्ञान में क्या उपयोग है?

  
स्टेम सेल बहुकोशिकीय जीवों के शरीर की कोशिकाएं हैं। इनकी विशेषता है माइटोटिक सेल डिवीज़न के तहत इनका बढ़ना। नाभि-रज्जु (अम्ब्लिकल कॉर्ड) या अस्थि मज्जा(बोन मैरो) से रक्त कोशिका लेकर उनके कल्चर के बाद शरीर के क्षतिग्रस्त अंगों का इलाज सम्भव है। इनकी सहायता से शरीर के भीतर अनेक अंगों को  फिर से विकसित किया जा सकता है। साठ के दशक में टोरंटो विवि के अर्नेस्ट ए मैक्युलॉक और जेम्स ई टिल ने इस सिलसिले में बुनियादी अनुसंधान किया था। तब से चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल ने क्रांति ला दी है। 

ऑस्ट्रेलिया को Oz और दक्षिणी अफ्रीका को PROTEAS क्यों लिखा जाता है?

आस्ट्रेलिया को संक्षेप में Aussie या ऑज़ी कहते हैं। इसे और छोटा करके Oz भी लिखते हैं। आमतौर पर हम जिसे जेड कहते हैं उसका उच्चारण ज़ी होता है। यानी ओज़ी। दक्षिण अफ्रीका को प्रोटिएस कहने की वजह है फूलों की एक प्रजाति जिसका नाम है प्रोटिएस। इसे दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रीय फूल माना जाता है। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के प्रतीक चिह्न में भी यह फूल शामिल है। यों पहले दक्षिण अफ्रीका की टीम को स्प्रिंगबोक भी कहा जाता था। स्प्रिंगबोक दक्षिण अफ्रीका के हिरनों की एक प्रजाति है। यह हिरन हवा में बहुत ऊँचा उठ जाता है। इसी तरह आस्ट्रेलिया की टीम को कैंगरू या कंगारू भी कहा जाता है।
    
कैलेंडर क्यों बने और कितने प्रकार के होते हैं?

समय को क्रमबद्ध करने की व्यवस्था का नाम कैलेंडर है। इस व्यवस्था की ज़रूरत सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक, खेती-बाड़ी, तकनीकी और वैज्ञानिक कारणों से पैदा होती है। सब कुछ स्थिर नहीं है, बल्कि चलायमान है। इस गति को नापने के स्केल बने। उनकी व्यवस्था कैलेंडर है। वर्ष महीने, सप्ताह, दिन, घंटे, मिनट और सेकंड समय नापने के कुछ पैमाने हैं। यह समय चक्र चंद्रमा या सूर्य या दोनों की गतियों से तय होता है। चंद्रमा के अपने पूर्ण आकार लेने से गायब होने तक और फिर क्रमशः पूर्ण आकार लेने के चौदह-चौदह दिन के दो पखवाड़ों से महीने बने। इसके विपरीत पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने पर एक वर्ष बना। चन्द्र मास के बारह महीने 365 दिन नहीं लेते। इसलिए चन्द्र-व्यवस्था के कैलेंडरों में एक अतिरिक्त महीने का चक्र भी शामिल किया गया। दुनिया भर की सभ्यताओं और संस्कृतियों ने अपने-अपने कैलेंडर बनाए हैं।

कैलेंडर सभ्यताओं के प्राचीनतम आविष्कार हैं। प्राचीन मिस्र, भारत, चीन और मेसोपोटामिया में कैलेंडर बन गए थे। भारतीय कैलेंडर आमतौर पर चन्द्र या सौर-चन्द्र व्यवस्था पर केंद्रित हैं। भारत में इन्हें पंचांग कहते हैं। पंचांग माने तिथि, वासर, नक्षत्र, योग और करण का विवरण देने वाली व्यवस्था। वेदों में पंचांग का उल्लेख हैं। भारत में अनेक पद्धतियों के पंचांग हैं, पर सबसे ज्यादा प्रचलित विक्रम और शक या शालिवाहन पंचांग हैं। दुनिया में आमतौर पर प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर है। यह ईसाई कैलेंडर है। इसके सुधरे रूप जूलियन कैलेंडर को आमतौर पर दुनिया के ज्यादातर संगठन मान्यता देते हैं। इस्लामिक और चीनी कैलेंडर भी अपनी-अपनी जगह प्रचलित हैं।


राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

Thursday, June 2, 2016

ऑस्ट्रेलिया को Oz और दक्षिण अफ्रीका को PROTEAS क्यों लिखते हैं?

आस्ट्रेलिया को संक्षेप में Aussie या ऑज़ी कहते हैं. इसे और छोटा करके Oz भी लिखते हैं. आमतौर पर हम जिसे जेड कहते हैं उसका उच्चारण ज़ी होता है. यानी ओज़ी. दक्षिण अफ्रीका को प्रोटिएस कहने की वजह है फूलों की एक प्रजाति जिसका नाम है प्रोटिएस. इसे दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रीय फूल माना जाता है. दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के प्रतीक चिह्न में भी यह फूल शामिल है. यों पहले दक्षिण अफ्रीका की टीम को स्प्रिंगबोक भी कहा जाता था. स्प्रिंगबोक दक्षिण अफ्रीका के हिरनों की एक प्रजाति है. यह हिरन हवा में बहुत ऊँचा उठ जाता है. इसी तरह आस्ट्रेलिया की टीम को कैंगरू या कंगारू भी कहा जाता है.    

थॉमस और उबर कप

थॉमस कप बैडमिंटन की पुरुष टीम चैम्पियनशिप है और उबर कप महिला वर्ग की टीम चैम्पियनशिप है. इन्हें विश्व चैम्पियनशिप माना जा सकता है. थॉमस कप का सुझाव अपने समय के श्रेष्ठ ब्रिटिश खिलाड़ी सर जॉर्ज एलन टॉमस या थॉमस ने दिया था. उनके नाम पर ही इस प्रतियोगिता का नाम है. पहली प्रतियोगिता सन 1948-49 में हुई थी. पहले यह हर तीन साल में होती थी, पर सन 1982 से यह हर दो साल में होने लगी है. सबसे पहली चैम्पियनशिप मलेशिया ने जीती. उबर कप का आयोजन 1956–1957 में पहली बार हुआ. शुरू में यह तीन साल में एक बार होती थी. फिर 1984 से यह हर दो वर्षों के अंतराल पर होने लगी. इसका आयोजन स्थल और समय थॉमस कप के साथ मिला दिया गया.

उबर कप का नाम पूर्व ब्रिटिश महिला खिलाड़ी बेट्टी उबर के नाम पर पड़ा था, जिन्होंने 1950 में महिलाओं के लिए इस तरह की प्रतियोगिता के आयोजन की बात सोची थी. सन 2016 में कुनशान, चीन में हुई प्रतियोगिता में डेनमार्क की टीम थॉमस कप चैम्पियन बनी और इंडोनेशिया की टीम उप विजेता. उबर कप चीन की टीम ने जीता जिसने फाइनल में दक्षिण कोरिया को हराया.

हेलिकॉप्टर के रोटर और हवाई जहाज़ के प्रोपेपलर

हेलिकॉप्टर की पंखड़ी ऊपर होती है और हवाई जहाज़ की सामने. दोनों हवा में उड़ने का काम करते हैं, पर दोनों के सिद्धांत अलग होते हैं. हेलिकॉप्टर के पंखे रोटर कहलाते हैं जो घूमते हैं. हवाई जहाज के पंख बाईं और दाईं ओर होते हैं और स्थिर रहते हैं. घूमते नहीं हैं. हवाई जहाज अपने पंखों के सहारे हवा में तैरता है और उसके इंजन उसे आगे ले जाते हैं. हेलिकॉप्टर के रोटर उसे ऊपर उठाने और आगे पीछे ले जाने का काम भी करते हैं. हेलिकॉप्टर आगे-पीछे और दाएं बाएं जा सकता है. एक जगह रुका भी रह सकता है. हवाई जहाज ऐसा नहीं कर सकता है. वह सीधा चलता है और उसे दाएं या बाएं जाने के लिए घूमना पड़ता है. उसके सामने लगे प्रोपेपलर ब्लेड उसे आगे बढ़ाने में मदद करते हैं. हवाई जहाज का इंजन हवा खींचकर उसे पीछे की ओर फेंकता है तो वह आगे बढ़ता. पंखों पर हवा के दबाव से वह ऊपर उठता है.

स्टेम सेल क्या है एवं इसका चिकित्सा विज्ञान में क्या उपयोग है?

स्टेम सेल बहुकोशिकीय जीवों के शरीर की कोशिकाएं हैं. इनकी विशेषता है माइटोटिक सेल डिवीज़न के तहत इनका बढ़ना. नाभि-रज्जु (अम्ब्लिकल कॉर्ड) या अस्थि मज्जा(बोन मैरो) से रक्त कोशिका लेकर उनके कल्चर के बाद शरीर के क्षतिग्रस्त अंगों का इलाज सम्भव है. इनकी सहायता से शरीर के भीतर अनेक अंगों को  फिर से विकसित किया जा सकता है. साठ के दशक में टोरंटो विवि के अर्नेस्ट ए मैक्युलॉक और जेम्स ई टिल ने इस सिलसिले में बुनियादी अनुसंधान किया था. तब से चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल ने क्रांति ला दी है. 

प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...