Thursday, June 16, 2016

धरती का वज़न कितना है?

पृथ्वी का वज़न कहने के बजाय द्रव्यमान कहना बेहतर होगा, क्योंकि वज़न गुरुत्वाकर्षण से तय होता है. उदाहरण के लिए एक गेंद का वज़न पृथ्वी पर जितना है वह चंद्रमा पर केवल उसका छठा हिस्सा होगा लेकिन द्रव्यमान वही रहता है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का द्रव्यमान लगभग 60 करोड़ खरब टन है. यानी 6 के बाद आपको 21 शून्य लगाने पड़ेंगे. वज़न का अनुमान इस आधार पर लगाया जाता है कि पृथ्वी के आस-पास के पदार्थों के लिए उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति कितनी है. 

सौर परिवार में कौन सा ग्रह सबसे तेज परिक्रमा करता है?

अंतरराष्ट्रीय खगोल शास्त्री संघ यानी आईएयू के अगस्त 2006 में पारित प्रस्ताव के मुताबिक सौरमंडल में अब सिर्फ़ आठ ग्रह हैं. बुधशुक्रपृथ्वीवृहस्पतिशनियूरेनस और नेप्च्यून. बुध सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है. बुध ग्रह सबसे तेज़ गति से घूमता है. इसे सूर्य का चक्कर लगाने में 88 दिन लगते हैं. इसकी औसत गति 47.36 किलोमीटर प्रति सेकंड है.

और सबसे गर्म ग्रह कौन सा है?

सबसे गर्म ग्रह है शुक्र. हालांकि बुध ग्रह सूरज के सबसे क़रीब है इसलिए उसे सबसे गर्म होना चाहिए, लेकिन सूरज के इतने क़रीब होने की वजह से उसका वायुमंडल नष्ट हो चुका है. इसलिए वह गर्मी को रोक नहीं पाता. शुक्र का वायुमंडल मुख्यतः कार्बन डाईऑक्साइड से भरा हुआ है. सूरज की गर्मी इसमें प्रवेश तो करती है लेकिन निकल नहीं सकती. इस तरह से यह एक भट्टी का रूप ले लेती है. शुक्र की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस रहता है. सुबह के समय पूर्व दिशा में जो सबसे चमकदार तारा दिखाई देता है वह शुक्र ही है. सूर्यास्त के समय यह पश्चिम में नज़र आता है.

स्पेक्ट्रम क्या होता है?

स्पेक्ट्रम शब्द के अनेक अर्थ हैं. इसका पहला वैज्ञानिक इस्तेमाल प्रकाश विज्ञान या ऑप्टिक्स में हुआ. रोशनी की किरण जब किसी प्रिज़्म से होकर गुज़रती है तो रोशनी में शामिल विविध रंग एक क्रम से शुरू होकर दूसरे में खत्म होते हैं. वर्णक्रम यानी रंगों का क्रम. विचार के अर्थ में स्पेक्ट्रम का अर्थ होता है वैचारिक विविधता. पर इन दिनों हम जिस अर्थ में इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं वह है वेवलेंग्थ या फ्रीक्वेंसी. टेलीकम्युनिकेशंस में फ्रीक्वेंसी.

एमटीसीआर का मतलब क्या है?

भारत का मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) का सदस्य बनना अब तय है. पिछले हफ्ते भारत ने इस ग्रुप की सदस्यता प्राप्त करने की अंतिम बाधाएं पार कर लीं. एमटीसीआर का मकसद बैलिस्टिक मिसाइल तथा हथियार ले जाने वाले दूसरे डिलीवरी सिस्टम की तकनीक के आदान-प्रदान को नियंत्रित करना है, जिनका रासायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है. इस वक्त इस ग्रुप में 34 देश शामिल हैं. सभी देश प्रमुख मिसाइल निर्माता देश हैं. इसकी स्थापना 1987 में हुई. आखिरी बार बल्गारिया 2004 में इस समूह का सदस्य बना था. भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान इस समूह के सदस्य नहीं है. एमटीसीआर का सदस्य न होने के नाते भारत की मिसाइल तकनीक तक सीमित पहुंच थी. सदस्य बनने के बाद भारत पर लगा अंकुश हट जाएगा. इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए जरूरी तकनीक मिल सकेगी. साथ ही अमेरिका से ड्रोन तकनीकी पाना आसान हो जाएगा.

और एनएसजी क्या है?

न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी 48 देशों का वह अंतरराष्ट्रीय ग्रुप है जिसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और सदस्य देशों द्वारा मिलकर परमाणु तकनीक का इस्तेमाल शांतिपूर्ण कार्यों पर करना है. ऊर्जा उत्पादन का यह कार्य परमाणु सामग्री के आदान प्रदान से ही संभव है इसलिए केवल शांतिपूर्ण काम के लिए इसकी आपूर्ति की जाती है. इसका सदस्य बनने के लिए सभी सदस्य देशों का सहमति जरूरी है. एनएसजी की सदस्यता से मिलने पर भारत परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीक और यूरेनियम सदस्य देशों से बिना किसी समझौते के हासिल कर सकेगा. हालांकि इस ग्रुप ने भारत पर परमाणु ऊर्जा तकनीक से जुड़ी पाबंदियाँ पहले ही हटा ली हैं. सदस्यता मिलने से भारत की स्थिति बेहतर हो जाएगी.
   
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

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