सऊदी
सरकार की विजन-2030 योजना एक आर्थिक-राजनीतिक कार्यक्रम का हिस्सा है. यह मानकर
चला जा रहा है कि देश अब ज्यादा समय तक पेट्रोलियम पर निर्भर नहीं करेगा.
अर्थ-व्यवस्था को नई दिशा देने और स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन और पर्यटन पर नए
सिरे से सोचने की जरूरत है. हाल में देश में सिनेमाघर फिर से खोलने की घोषणा भी इसी
के तहत की गई है.
सत्तर
के दशक में यहाँ सिनेमा पर यह मानते हुए पाबंदी लगा दी गई थी कि सिनेमा
गैर-इस्लामी है. उसके पहले वहाँ सिनेमाघर थे और फिल्मों को गैर-इस्लामी नहीं माना
जाता था. पर उसके बाद वहाँ सिनेमाघर बंद कर दिए गए. हालांकि हाल के कुछ वर्षों में
वहाँ डॉक्यूमेंट्री और शिक्षाप्रद फिल्में बनने लगी हैं, पर उनका निजी प्रदर्शन ही
हो पाता है. देश के अमीर लोग डीवीडी और सैटेलाइट टीवी पर फिल्में देखने लगे हैं. नवम्बर
2010 में वहाँ खोबार में आईमैक्स का एक थिएटर स्थापित किया गया, जिसमें ज्यादातर
विज्ञान और तकनीक से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती हैं. हाल में सरकार ने फैसला किया
है कि सन 2018 से सिनेमाघर खोले जाएंगे. आशा है कि सन 2030 तक देश में करीब 300
सिनेमाघर खुल जाएंगे.
कैलेंडर
क्यों बने और कितने प्रकार के होते हैं?
समय
को क्रमबद्ध करने की व्यवस्था का नाम कैलेंडर है. इस व्यवस्था की ज़रूरत सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक, खेती-बाड़ी, तकनीकी और
वैज्ञानिक कारणों से पैदा होती है. सब कुछ स्थिर नहीं है, बल्कि चलायमान
है. इस गति को नापने के स्केल बने. उनकी व्यवस्था कैलेंडर है. वर्ष महीने, सप्ताह, दिन, घंटे, मिनट और सेकंड
समय नापने के कुछ पैमाने हैं. यह समय चक्र चंद्रमा या सूर्य या दोनों की गतियों से
तय होता है. चंद्रमा के अपने पूर्ण आकार लेने से गायब होने तक और फिर क्रमशः पूर्ण
आकार लेने के चौदह-चौदह दिन के दो पखवाड़ों से महीने बने. इसके विपरीत पृथ्वी
द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने पर एक वर्ष बना. चन्द्र मास के बारह महीने
365 दिन नहीं लेते. इसलिए चन्द्र-व्यवस्था के कैलेंडरों में एक अतिरिक्त महीने का
चक्र भी शामिल किया गया. दुनिया भर की सभ्यताओं और संस्कृतियों ने अपने-अपने
कैलेंडर बनाए हैं.
कैलेंडर
सभ्यताओं के प्राचीनतम आविष्कार हैं. प्राचीन मिस्र, भारत, चीन और मेसोपोटामिया में कैलेंडर बन
गए थे. भारतीय कैलेंडर आमतौर पर चन्द्र या सौर-चन्द्र व्यवस्था पर केंद्रित हैं.
भारत में इन्हें पंचांग कहते हैं. पंचांग माने तिथि, वासर, नक्षत्र, योग और करण का
विवरण देने वाली व्यवस्था. वेदों में पंचांग का उल्लेख हैं. भारत में अनेक
पद्धतियों के पंचांग हैं, पर
सबसे ज्यादा प्रचलित विक्रम और शक या शालिवाहन पंचांग हैं. दुनिया में आमतौर पर
प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर है. यह ईसाई कैलेंडर है. इसके सुधरे रूप जूलियन
कैलेंडर को आमतौर पर दुनिया के ज्यादातर संगठन मान्यता देते हैं. इस्लामिक और चीनी
कैलेंडर भी अपनी-अपनी जगह प्रचलित हैं.
क्या पाकिस्तान
में मंदिर हैं?
हाँ पाकिस्तान
में बड़ी संख्या में मंदिर हैं. पाक अधिकृत कश्मीर में शारदा पीठ है, बलूचिस्तान
में हिंगलाज देवी का मंदिर है, जिसमें स्थानीय
मुसलमान भी चढ़ावा चढ़ाते हैं. उसे
नानी मंदिर कहते हैं. इस्लामाबाद में सैदपुर मंदिर है, मनसेहरा में शिव मंदिर है,पेशावर में नंदी मंदिर है. वहाँ सिखों के
गुरद्वारे भी हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध गुरुनानक देव
जी का जन्मस्थल ननकाना साहिब है. कुछ मंदिर अब भी सुरक्षित है.
क्या
चंद्रमा पर ध्वनि सुनाई देती है?
ध्वनि
की तरंगों को चलने के लिए किसी माध्यम की ज़रूरत होती है. चन्द्रमा पर न तो हवा है
और न किसी प्रकार का कोई और माध्यम है. इसलिए आवाज़ सुनाई नहीं पड़ती.
सेंधा
नमक, सादा
नमक और काला नमक में क्या फर्क है?
सादा
नमक समुद्र के या खारे पानी की झीलों के पानी को सुखाकर बनाया जाता है. पुराने
ज़माने में समुद्री नमक बोरों में भरकर और उसके क्रिस्टल रूप में बिकता था. सेंधा
नमक वस्तुत: नमक की चट्टान है, जिसे
पीसकर पाउडर की शक्ल में बनाते हैं. काला नमक मसाले (मूलत: हरड़) मिलाकर बनाया जाता
है.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - श्रीनिवास अयंगर रामानुजन और राष्ट्रीय गणित दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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