इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ)में 15 जज होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का कार्यकाल 9 साल का होता है. सदन में निरंतरता बनाए रखने के लिए हरेक तीन साल में एक तिहाई सदस्य नए आते हैं. इसके लिए इनका चुनाव होता है. चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद मिलकर करती हैं. प्रत्याशी को दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत मिलना चाहिए. कई बार एक बार में पूरा बहुमत नहीं मिलता तो मतदान के कई दौर होते हैं. किसी सदस्य का निधन होने या उनके त्यागपत्र देने के बाद भी सीट खाली होने पर चुनाव होता है. चुनाव न्यूयॉर्क में महासभा का सत्र होने पर होते हैं, जो हर साल शरद में होता है.
इन दिनों पाँच सीटों के लिए चुनाव चल रहा है. चार जजों का चुनाव हो चुका है. पाँचवें स्थान के लिए भारत के दलबीर भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच मुकाबला है. ग्यारह दौर के मतदान के बाद भी फैसला नहीं हो पाया है. महासभा में दलबीर भंडारी को बहुमत मिला है और सुरक्षा परिषद में ब्रिटिश प्रत्याशी को. अगले कई दौर तक मतदान चल सकता है. फिर भी फैसला नहीं हुआ तो दोनों सदनों के तीन-तीन प्रतिनिधि बैठकर गतिरोध तोड़ने का प्रयास करेंगे. (इन पंक्तियों के प्रकाशन के बाद ब्रिटेन ने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया और भारतीय प्रतिनिधि दलबीर भंडारी चुन लिए गए).
एनजीटी क्या है?
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल)एक विशिष्ट न्यायिक संस्था है जो पर्यावरणीय विवादों के निपटारे के लिए बनाई गई है. संसद से पारित राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत इसकी स्थापना हुई. सन 2010 में स्थापना के बाद से यह न्यायाधिकरण देश के महत्वपूर्ण पर्यावरण-रक्षक के रूप से उभर कर सामने आया है. यह एक नई अवधारणा थी, क्योंकि इसके पहले दुनिया में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने ही पर्यावरण से जुड़े मसलों के लिए विशेष अदालतें बनाईं थीं. इसके हस्तक्षेप के कारण उद्योगों और कॉरपोरेट हाउसों को मिलने वाली त्वरित अनुमतियों पर लगाम लगी है. खनन और प्राकृतिक साधनों के अंधाधुंध दोहन पर रोक लगी है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश लोकेश्वर सिंह पंटा इसके पहले अध्यक्ष थे और 20 दिसम्बर 2012 से जस्टिस स्वतंत्र कुमार इसके अध्यक्ष हैं. एनजीटी का स्वतंत्र स्वरूप इसकी खासियत है. इसे नियमों-कानूनों का उल्लंघन करने वालों को सज़ा, उन पर जुर्माना लगाने और प्रभावित लोगों को मुआवजे का आदेश देने का अधिकार है. सज़ा का यह अधिकार काफी व्यापक है. सश्रम कारावास जैसी सख्त सज़ा भी सुना सकता है.
दुनिया का पहला बल्ब कितनी देर तक जला था?
हम जानते हैं कि पहला बल्ब टॉमस अल्वा एडीसन ने बनाया था. उन्होंने इस बल्ब में मोटे सूती धागे का फिलामेंट बनाया था, तो जलने के बाद कार्बन में बदल गया था. यह बल्ब 19 अक्तूबर, 1879 में जलना शुरू हुआ था. यह लगातार रोशनी देता रहा और कुल मिलाकर 48 घंटे और 40 मिनट तक इसने रोशनी दी और 21 अक्तूबर, 1879 को इसका फिलामेंट टूट गया और यह बुझ गया. बाद वाली तारीख इसके आविष्कार की तारीख मानी जाती है.
क्या बल्ब का आविष्कार वास्तव में एडीसन ने किया था?
वास्तव में एडीसन निर्विवाद रूप से इसके आविष्कारक नहीं हैं. इसके एक और दावेदार है ब्रिटिश वैज्ञानिक जोसफ स्वान. जोसफ स्वान ने गंधक के तेजाब में डूबे सूती धागे के फिलामेंट से एक बल्ब ब्रिटेन के न्यूकैसल में दिसम्बर 1878 में जलाकर दिखाया था. यानी एडीसन के बल्ब के करीब दस महीने पहले. एडीसन ने आरोप लगाया कि स्वान ने उनके विचार को चुराकर यह आविष्कार किया है. यह मामला अदालत में गया. मुकदमा काफी लम्बा चला. स्वान के पास लड़ने के लिए पैसा नहीं था. उन्होंने एडीसन से समझौता कर लिया और एडीसन एंड स्वान इलेक्ट्रिक कम्पनी बनी. यह कम्पनी एडीसन के पैसे से बनी थी और इसे एडीस्वान नाम से भी जाना जाता है।
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
इन दिनों पाँच सीटों के लिए चुनाव चल रहा है. चार जजों का चुनाव हो चुका है. पाँचवें स्थान के लिए भारत के दलबीर भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच मुकाबला है. ग्यारह दौर के मतदान के बाद भी फैसला नहीं हो पाया है. महासभा में दलबीर भंडारी को बहुमत मिला है और सुरक्षा परिषद में ब्रिटिश प्रत्याशी को. अगले कई दौर तक मतदान चल सकता है. फिर भी फैसला नहीं हुआ तो दोनों सदनों के तीन-तीन प्रतिनिधि बैठकर गतिरोध तोड़ने का प्रयास करेंगे. (इन पंक्तियों के प्रकाशन के बाद ब्रिटेन ने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया और भारतीय प्रतिनिधि दलबीर भंडारी चुन लिए गए).
एनजीटी क्या है?
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल)एक विशिष्ट न्यायिक संस्था है जो पर्यावरणीय विवादों के निपटारे के लिए बनाई गई है. संसद से पारित राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत इसकी स्थापना हुई. सन 2010 में स्थापना के बाद से यह न्यायाधिकरण देश के महत्वपूर्ण पर्यावरण-रक्षक के रूप से उभर कर सामने आया है. यह एक नई अवधारणा थी, क्योंकि इसके पहले दुनिया में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने ही पर्यावरण से जुड़े मसलों के लिए विशेष अदालतें बनाईं थीं. इसके हस्तक्षेप के कारण उद्योगों और कॉरपोरेट हाउसों को मिलने वाली त्वरित अनुमतियों पर लगाम लगी है. खनन और प्राकृतिक साधनों के अंधाधुंध दोहन पर रोक लगी है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश लोकेश्वर सिंह पंटा इसके पहले अध्यक्ष थे और 20 दिसम्बर 2012 से जस्टिस स्वतंत्र कुमार इसके अध्यक्ष हैं. एनजीटी का स्वतंत्र स्वरूप इसकी खासियत है. इसे नियमों-कानूनों का उल्लंघन करने वालों को सज़ा, उन पर जुर्माना लगाने और प्रभावित लोगों को मुआवजे का आदेश देने का अधिकार है. सज़ा का यह अधिकार काफी व्यापक है. सश्रम कारावास जैसी सख्त सज़ा भी सुना सकता है.
दुनिया का पहला बल्ब कितनी देर तक जला था?
हम जानते हैं कि पहला बल्ब टॉमस अल्वा एडीसन ने बनाया था. उन्होंने इस बल्ब में मोटे सूती धागे का फिलामेंट बनाया था, तो जलने के बाद कार्बन में बदल गया था. यह बल्ब 19 अक्तूबर, 1879 में जलना शुरू हुआ था. यह लगातार रोशनी देता रहा और कुल मिलाकर 48 घंटे और 40 मिनट तक इसने रोशनी दी और 21 अक्तूबर, 1879 को इसका फिलामेंट टूट गया और यह बुझ गया. बाद वाली तारीख इसके आविष्कार की तारीख मानी जाती है.
क्या बल्ब का आविष्कार वास्तव में एडीसन ने किया था?
वास्तव में एडीसन निर्विवाद रूप से इसके आविष्कारक नहीं हैं. इसके एक और दावेदार है ब्रिटिश वैज्ञानिक जोसफ स्वान. जोसफ स्वान ने गंधक के तेजाब में डूबे सूती धागे के फिलामेंट से एक बल्ब ब्रिटेन के न्यूकैसल में दिसम्बर 1878 में जलाकर दिखाया था. यानी एडीसन के बल्ब के करीब दस महीने पहले. एडीसन ने आरोप लगाया कि स्वान ने उनके विचार को चुराकर यह आविष्कार किया है. यह मामला अदालत में गया. मुकदमा काफी लम्बा चला. स्वान के पास लड़ने के लिए पैसा नहीं था. उन्होंने एडीसन से समझौता कर लिया और एडीसन एंड स्वान इलेक्ट्रिक कम्पनी बनी. यह कम्पनी एडीसन के पैसे से बनी थी और इसे एडीस्वान नाम से भी जाना जाता है।
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
Very informative post,specially the selection procedure for the International court was beyond my knowledge.
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