तन्दूर शब्द
फारसी शब्द तन्नूर से बना है। तन्दूर भारत-पाकिस्तान, पश्चिमी और मध्य एशिया के देशों में सबसे
ज्यादा प्रचलित है। सबसे पुराने तन्दूरों के अवशेष सिंधु घाटी की सभ्यता में मिले
हैं। उससे पुराने अवशेष भी इसी इलाके में मिले हैं। स्वाभाविक है कि तन्दूरी खाना
इसी इलाके में शुरू हुआ होगा। पुराने ज़माने में आग के अलाव में खाना सीधे पकाया
जाता था। उस आग को घेरकर चारों ओर मिट्टी की दीवारें बनाने का विचार आया होगा।
धीरे-धीरे इन दीवारों का इस्तेमाल भी होने लगा।
क्या राष्ट्रीय
चिह्न की तरह राज्यों के चिह्न भी हैं?
जिस तरह हमारे राष्ट्रीय
चिह्न हैं लगभग उसी तर्ज पर कुछ राज्यों ने भी अपने राजचिह्न बनाए हैं और दूसरे
प्रतीक भी तय किए हैं। कुछ राज्यों में अशोक चिह्न को राज्य का चिह्न बनाया है।
उत्तर प्रदेश के राजकीय चिह्न में
दो मछलियाँ, तीर कमान तथा दो नदियों
का संगम दिखाया गया है। बिहार में दो स्वस्तिक चिह्नों के बीच बोधिवृक्ष राजचिह्न
है। मध्य प्रदेश के राजचिह्न में अशोक स्तम्भ के साथ वटवृक्ष है। महाराष्ट्र के
चिह्न में दीपाधार है। तमिलनाडु का राजचिह्न है श्रीविल्लिपुत्तूर अंडाल
मंदिर। इसी तरह राज्यों के अलग-अलग पक्षी, पशु, वृक्ष, फूल वगैरह हैं। कर्नाटक का अपना राज्य नृत्य
यक्षगान और राज्य गान भी है।
छुई-मुई की पत्तियों को
स्पर्श करने से वे सिकुड़ क्यों जाती हैं?
लाजवंती को आमतौर
पर छुई-मुई के नाम से जाना जाता
है। इस
पौधे का वानस्पतिक नाम मिमोसा प्यूडिका है। इस पौधे की पत्तियां अत्यंत संवेदनशील
होती है। छुई-मुई की पत्तियां किसी बाहरी वस्तु के स्पर्श से
मुरझाती हैं। ये पत्तियां कोई कीड़ा, लकड़ी यहां तक कि तेज हवा चलने और पानी की बूंदों के स्पर्श मात्र
से ही मुरझा जाती है। आसपास ढोल बजाने से भी इसकी पत्तियाँ मुरझाने लगती है। यह संयुक्त
पत्तियों वाला पौधा है। इसमे छोटी-छोटी पत्तियां या पर्णक
होते हैं जिनको सामान्यतया पत्तियां ही समझा जाता है। ये छोटी-छोटी पत्तियां (पर्णक) मुख्य पत्ती के बीचों-बीच स्थित मध्य शिरा के दोनों तरफ लगी होती हैं।
यह पौधा अपनी प्रतिक्रिया इन छोटी-छोटी पत्तियों को आपस में
चिपका कर अथवा खोलकर व्यक्त करता है जिसे छुई-मुई का मुरझाना या शर्माना भी कहते हैं।
इसकी पत्तियाँ कई
कोशिकाओं की बनी होती हैं। इनमें द्रव पदार्थ भरा रहता है। यह द्रव कोशिका की
भित्ति को दृढ़ रखता है तथा पर्णवृन्त को खड़ा रखने में
सहायक होता है। जब इन कोशिकाओं के द्रव का दाब कम ही जाता है तो पर्णवृन्त तथा
पत्तियों की कोशिका को दृढ़ नहीं रख पाता। जैसे ही कोई व्यक्ति इसकी पत्तियों को
छूता है एक संदेश पत्तियों और उनके आधार तक पहुँचता है। इससे पत्तियों के निचले
भाग की कोशिकाओं में द्रव का दाब गिर जाता है जबकि ऊपरी भाग की कोशिका के दाब में
कोई परिवर्तन नहीं होता है, अतः पत्तियाँ
मुरझा जाती है।
देखा गया है कि इस
पौधे में जहां पहले स्पर्श होता है, वहां की पत्तियां पहले
बंद होती हैं। इस गुण की वजह से छुई-मुई का पौधा पशुओं द्वारा चरने से बच जाता है
क्योंकि पशु के किसी अंग के हल्के स्पर्श से ही पूरा पौधा मुरझा जाता है। इससे पशु
पौधे को बेजान समझ कर आगे बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पौधा भी
हमारी तरह रात को सोता है।
मोबाइल
पोर्टेबिलिटी क्या है?
मोबाइल नम्बर
पोर्टेबिलिटी उस सुविधा का नाम है, जिसके तहत आप अपने मोबाइल टेलीफोन सेवा प्रदाता को बदलने के
बावजूद पुराने टेलीफोन नम्बर को अपने पास रख सकते हैं। यह सुविधा अब दुनिया भर में
दी जा रही है। भारत में यह सुविधा जनवरी 2011 से दी जा रही है। उसके पहले यह अमेरिका, कनाडा, यूरोप के देशों, ऑस्ट्रेलिया, जापान, पाकिस्तान, ताइवान, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे तमाम देशों में मिल
रही थी।
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