हमारे देश में यह वाक्यांश राजनीति का हिस्सा है और उसी अर्थ में इस्तेमाल होता है। अलबत्ता अमेरिकन इंग्लिश में इसका इस्तेमाल पहले जबर्दस्त मोल-भाव (हार्ड बार्गेनिंग) के अर्थ में होता था। आज हम जिस राजनीतिक अर्थ में इसका इस्तेमाल करने लगे हैं, उसका मतलब है सरकार बनाने के वास्ते समर्थकों की खरीद में होने वाला मोल-भाव, जबकि उन्नीसवीं सदी के अमेरिका में घोड़ों की खरीद में होने वाले मोल-भाव के अर्थ में ही इसका इस्तेमाल होता था। उन दिनों घोड़ों की खरीद-फ़रोख्त में काफी मोल-भाव होता था। चूंकि उस मोल-भाव में चालाकियों, क्षुद्रताओं और झूठ का सहारा लिया जाता था, इसलिए अमेरिकन अंग्रेजी के इस्तेमाल में ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ के शुरुआती अर्थ बड़े तर्क-वितर्क, चतुराई से भरे मोल-भाव या हार्ड बार्गेनिंग के थे। यानी जीवन के किसी भी क्षेत्र में हुआ तर्क-वितर्क ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ था। मसलन ‘आफ्टर ए लॉट ऑफ ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ द एग्रीमेंट फाइनालाइज़्ड।’
जिन दिनों यह मुहावरा बन रहा था, वह अमेरिकी कारोबार में नैतिक मूल्यों की गिरावट का दौर था। उसे ‘गिल्डेड एज’ कहते हैं। प्रशासन की ओर से कारोबारी मूल्यों-मानकों को स्थापित करने की कोशिशें की जा रहीं थीं। सरकार ने अखबारों की फर्जी प्रसार संख्या दिखाने के खिलाफ एक कानून बनाने का प्रस्ताव किया। इस पेशकश के खिलाफ न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक सम्पादकीय लिखा, जिसमें हॉर्स-ट्रेडिंग का जिक्र है। अख़बार ने 22 मार्च 1893 के अंक में लिखा।‘यदि झूठ बोलने पर कानूनन रोक लगा दी जाएगी, तो हॉर्स-ट्रेडिंग का तो कारोबार ही ठप हो जाएगा।’ भारत की तरह अमेरिका में भी वह बदलाव का समय था। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार काफी था। वोटरों की चुनाव में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी। उन्हें लगता था कि उससे बदलाव आएगा वगैरह। ऐसे दौर में ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ का मतलब था अनैतिक व्यापार।
भारत में इस शब्द का इस्तेमाल साठ के दशक में जब पहली बार दल-बदल की समस्या सामने आई, तब अंग्रेजी के अखबारों ने शुरू किया। हालांकि भारतीय भाषाओं के अखबारों ने ‘आया राम, गया राम’ जैसे सार्थक मुहावरे गढ़े थे, पर ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ में बिक्री का बोध होता था। सामान्य नागरिक के मन में ‘बिकने को उत्सुक जन-प्रतिनिधि’ की जो छवि बनी उसे ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ वाक्यांश बेहतर व्यक्त करता है। यों राजनीति को ‘मछली बाजार’ और ‘भिंडी बाजार’ जैसे शब्द भी मिले हैं। इन सबमें बाजार शब्द पर जोर ‘बिकने-बिकाने’ पर है।
वोट शब्द कहाँ से आया?
वोट शब्द राय देने, चयन करने किसी व्यक्ति या प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के अर्थ में इस्तेमाल होता है। अंग्रेजी में यह संज्ञा और क्रिया दोनों रूपों में चलता है। अंग्रेजी में यह शब्द लैटिन के वोटम (votum) से बना है। इसका मतलब है इच्छा, कामना, प्रतिज्ञा, प्रार्थना, निष्ठा, वचन, समर्पण वगैरह। हिन्दी में इसका इस्तेमाल मत के अर्थ में लिया जाता है। अंग्रेजी की तरह हिन्दी ने भी मतदाता या निर्वाचक के लिए वोटर शब्द का इस्तेमाल स्वीकार कर लिया है। शब्दों का अध्ययन करने वाले अजित वडनेरकर के अनुसार भाषा विज्ञानी इसे प्रोटो इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द मानते हैं। अंग्रेजी का वाऊvow इसी श्रृंखला का शब्द है जिसका मतलब होता है प्रार्थना, समर्पण और निष्ठा के साथ अपनी बात कहना।
आसमान ठोस है, तरल या गैस है?
आप जिस आसमान को देखते हैं वह बाहरी अंतरिक्ष का एक हिस्सा है। धरती से दिन में यह नीले रंग का नजर आता है। इसकी वजह है हमारा वातावरण जिससे टकराकर सूरज की किरणों का नीला रंग फैल जाता है। पर यह आसमान धरती से देखने पर ही नीला लगता है। किसी अन्य ग्रह से देखने पर ऐसा ही नहीं दिखेगा, बल्कि आमतौर पर काला नजर आएगा।यह ठोस नहीं है, पर इसमें ठोस, तरल और गैसीय पदार्थ प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। यह अनंत है। दुनिया के बड़े से बड़े टेलिस्कोप से भी आप इसका बहुत छोटा हिस्सा देख पाएंगे।राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
जिन दिनों यह मुहावरा बन रहा था, वह अमेरिकी कारोबार में नैतिक मूल्यों की गिरावट का दौर था। उसे ‘गिल्डेड एज’ कहते हैं। प्रशासन की ओर से कारोबारी मूल्यों-मानकों को स्थापित करने की कोशिशें की जा रहीं थीं। सरकार ने अखबारों की फर्जी प्रसार संख्या दिखाने के खिलाफ एक कानून बनाने का प्रस्ताव किया। इस पेशकश के खिलाफ न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक सम्पादकीय लिखा, जिसमें हॉर्स-ट्रेडिंग का जिक्र है। अख़बार ने 22 मार्च 1893 के अंक में लिखा।‘यदि झूठ बोलने पर कानूनन रोक लगा दी जाएगी, तो हॉर्स-ट्रेडिंग का तो कारोबार ही ठप हो जाएगा।’ भारत की तरह अमेरिका में भी वह बदलाव का समय था। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार काफी था। वोटरों की चुनाव में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी। उन्हें लगता था कि उससे बदलाव आएगा वगैरह। ऐसे दौर में ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ का मतलब था अनैतिक व्यापार।
भारत में इस शब्द का इस्तेमाल साठ के दशक में जब पहली बार दल-बदल की समस्या सामने आई, तब अंग्रेजी के अखबारों ने शुरू किया। हालांकि भारतीय भाषाओं के अखबारों ने ‘आया राम, गया राम’ जैसे सार्थक मुहावरे गढ़े थे, पर ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ में बिक्री का बोध होता था। सामान्य नागरिक के मन में ‘बिकने को उत्सुक जन-प्रतिनिधि’ की जो छवि बनी उसे ‘हॉर्स-ट्रेडिंग’ वाक्यांश बेहतर व्यक्त करता है। यों राजनीति को ‘मछली बाजार’ और ‘भिंडी बाजार’ जैसे शब्द भी मिले हैं। इन सबमें बाजार शब्द पर जोर ‘बिकने-बिकाने’ पर है।
वोट शब्द कहाँ से आया?
वोट शब्द राय देने, चयन करने किसी व्यक्ति या प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के अर्थ में इस्तेमाल होता है। अंग्रेजी में यह संज्ञा और क्रिया दोनों रूपों में चलता है। अंग्रेजी में यह शब्द लैटिन के वोटम (votum) से बना है। इसका मतलब है इच्छा, कामना, प्रतिज्ञा, प्रार्थना, निष्ठा, वचन, समर्पण वगैरह। हिन्दी में इसका इस्तेमाल मत के अर्थ में लिया जाता है। अंग्रेजी की तरह हिन्दी ने भी मतदाता या निर्वाचक के लिए वोटर शब्द का इस्तेमाल स्वीकार कर लिया है। शब्दों का अध्ययन करने वाले अजित वडनेरकर के अनुसार भाषा विज्ञानी इसे प्रोटो इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द मानते हैं। अंग्रेजी का वाऊvow इसी श्रृंखला का शब्द है जिसका मतलब होता है प्रार्थना, समर्पण और निष्ठा के साथ अपनी बात कहना।
आसमान ठोस है, तरल या गैस है?
आप जिस आसमान को देखते हैं वह बाहरी अंतरिक्ष का एक हिस्सा है। धरती से दिन में यह नीले रंग का नजर आता है। इसकी वजह है हमारा वातावरण जिससे टकराकर सूरज की किरणों का नीला रंग फैल जाता है। पर यह आसमान धरती से देखने पर ही नीला लगता है। किसी अन्य ग्रह से देखने पर ऐसा ही नहीं दिखेगा, बल्कि आमतौर पर काला नजर आएगा।यह ठोस नहीं है, पर इसमें ठोस, तरल और गैसीय पदार्थ प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। यह अनंत है। दुनिया के बड़े से बड़े टेलिस्कोप से भी आप इसका बहुत छोटा हिस्सा देख पाएंगे।राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित