Monday, July 16, 2018

मॉनसून सत्र

इससे आशय भारतीय संसद के मॉनसून सत्र से है. आमतौर पर हर साल हमारी संसद के तीन सत्र होते हैं. बजट (फरवरी-मई), मॉनसून (जुलाई-अगस्त) और शीतकालीन (नवंबर-दिसंबर). इस साल मॉनसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा. इसबार मॉनसून सत्र के दौरान ही राज्यसभा के नए उप-सभापति का चुनाव होना है. पिछले उप-सभापति पीजे कुरियन का कार्यकाल 1 जुलाई को समाप्त हो गया.

संसद के दोनों सदनों की बैठक राष्ट्रपति आमंत्रित करते हैं. हरेक अधिवेशन की अंतिम तिथि के बाद छह मास के भीतर आगामी अधिवेशन के लिए सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करना होता है. सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करने की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, पर व्यवहार में इस आशय के प्रस्‍ताव की पहल सरकार द्वारा की जाती है. इन तीन के अलावा संसद के विशेष सत्र भी बुलाए जा सकते हैं.

संसद भवन
भारत का संसद भवन नई दिल्ली में स्थित है. सन 1911 में घोषणा की गई कि भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली ले जाई जाएगी.मशहूर ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लैंडसीयर लुट्यन्स ने दिल्ली की ज्यादातर नई इमारतों की रूपरेखा तैयार की थी. इसके लिए उन्होंने सर हरबर्ट बेकर की मदद ली. संसद भवन की इमारत 1927 में तैयार हुई. इसे बनने में छह वर्ष लगे थे. इसकी आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी.18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसरॉय और गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया.

यह गोलाकार इमारत 560 फुट (170 मीटर) व्यास यानी कि लगभग 6 एकड़ क्षेत्र पर बनी है. इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई. भवन का केन्द्रीय तथा प्रमुख भाग उसका विशाल वृत्ताकार केन्द्रीय कक्ष है. इसके तीन ओर लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पहले प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) हैं. इन तीनों कक्षों के चारों ओर चार मंजिला वृत्ताकार भवन है, जिसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों, राजनीतिक दलों, लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयोंऔर संसदीय कार्य मंत्रालय के दफ्तर हैं.

संसदीय विशेषाधिकार

संसद के दोनों सदनों, उनके सदस्यों और समितियों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्‍त है.इन्हें इसलिए दिया गया है ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें. सबसे महत्‍वपूर्ण विशेषाधिकार है सदन और समितियों में स्वतंत्रता के साथ विचार रखने की छूट.सदस्य द्वारा कही गई किसी बात के संबंध में उसके विरूद्ध किसी न्यायालय में कार्रवाई कार्यवाही नहीं की जा सकती.कोईसदस्य उस समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जबकि उस सदन या समिति की बैठक चल रही हो, जिसका वह सदस्य है. अधिवेशन से 40 दिन पहले और उसकी समाप्ति से 40 दिन बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.

संसद परिसर में केवल अध्‍यक्ष/सभापति के आदेशों का पालन होता है. विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने वाले को भर्त्सना, ताड़ना या निर्धारित अवधि के लिए कारावास की सज़ा दी जा सकती है. सदस्यों के मामले में सदन अन्य दो प्रकार के दंड दे सकता है. सदन की सदस्यता से निलंबन या बर्खास्तगी. दांडिक क्षेत्र सदनों तक और उनके सामने किए गए अपराधों तक ही सीमित न होकर सदन की सभी अवमाननाओं पर लागू होता है.

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जगदीशचन्द्र माथुर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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