शासन की संसदीय प्रणाली. इसे यह नाम लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिंस्टर के कारण दिया गया है, जो ब्रिटिश संसद का सभास्थल है. सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर लंदन का इलाका है, जो टेम्स नदी के किनारे है. यह इमारत एक शाही महल है. पहला शाही महल 11वीं सदी में बनाया गया था. 1512 में आग से नष्ट होने से पहले वेस्टमिंस्टर पैलेस सम्राट का लंदन निवास होता था. इसके बाद से इसे संसद भवन मान लिया गया. 13वीं सदी में यहां संसद की सभाएं होने लगी थीं. इस भवन में 1834 फिर भयानक में आग लगी. सन 1840 में इसका पुनर्निर्माण शुरू हुआ,जो 30 साल तक चला. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1941 में लंदन पर हुई बमबारी में भी इस इमारत को नुकसान पहुँचा. इसकी एक पहचान है क्लॉक टॉवर, जिसका विशाल घंटा बिग बेन के नाम से प्रसिद्ध है. सन 1987 से यह इमारत यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा है.
बिग बेन
बिग बेन विशाल घंटे का नाम है और उस क्लॉक टावर का भी, जिसमें यह घंटा लगा है. सन 2012 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की हीरक जयंती के मौके पर इस घंटाघर का नाम एलिजाबेथ टावर रख दिया गया. इस टावर का डिजाइन ऑगस्टस प्यूजिन ने तैयार किया था. इसका निर्माण 1859 में पूरा हुआ. उस वक्त यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सही समय देने वाली क्लॉक टावर मानी गई. यह टावर 315 फुट ऊँची है और इसमें सबसे ऊपर तक जाने के लिए बनी सीढ़ी के 334 पायदान हैं. इस घड़ी की सूइयों का व्यास 23 फुट का है. 31 मई 2009 को इस घड़ी की 150वीं जयंती मनाई गई थी.
बिग बेन
बिग बेन विशाल घंटे का नाम है और उस क्लॉक टावर का भी, जिसमें यह घंटा लगा है. सन 2012 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की हीरक जयंती के मौके पर इस घंटाघर का नाम एलिजाबेथ टावर रख दिया गया. इस टावर का डिजाइन ऑगस्टस प्यूजिन ने तैयार किया था. इसका निर्माण 1859 में पूरा हुआ. उस वक्त यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सही समय देने वाली क्लॉक टावर मानी गई. यह टावर 315 फुट ऊँची है और इसमें सबसे ऊपर तक जाने के लिए बनी सीढ़ी के 334 पायदान हैं. इस घड़ी की सूइयों का व्यास 23 फुट का है. 31 मई 2009 को इस घड़ी की 150वीं जयंती मनाई गई थी.
संसदीय अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य सरकार को पराजित करना होता है. यह प्रस्ताव विपक्ष लाता है. इसके विपरीत विश्वास का मत प्रायः सरकार के गठन के बाद पेश किया जाता है. इसे सत्तापक्ष लाता है. ब्रिटिश संसद में सम्राट के और भारतीय संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर वोट भी विश्वास मत की तरह है. उसमें किसी प्रकार का संशोधन सरकार को गिराने जैसा होता है. जब संसद अविश्वास प्रस्ताव पास करे या सरकार विश्वास मत हासिल करने में विफल रहती है, तो उसे इस्तीफा देना चाहिए. इसके अलावा सदन को भंग करने और आम चुनाव कराने का अनुरोध भी सरकार कर सकती है. इस अनुरोध पर फैसला परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यदि दूसरा पक्ष सरकार बनाने की स्थिति में हो तो उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है. यदि सत्तापक्ष बहुमत में है और फिर भी वह संसद को भंग करने का अनुरोध करे तो सम्राट या राष्ट्रपति उसे स्वीकार कर लेते हैं. संसदीयप्रणाली मेंसरकार खुद इस्तीफा देने का फैसला करे या मजबूर होतो सम्राट विरोधी दल से पूछते हैं कि क्या वह सरकार बनाने के लिए तैयार है. भारत में भी यही व्यवस्था है.
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