स्वस्तिक शब्द सु+अस्ति+क
से बना है. यानी शुभ करने वाला. यह चिह्न विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं
में मिलता है. इसमें चारों दिशाओं में जाती रेखाएं होती हैं जो दाईं ओर मुड़ जाती
हैं. हिन्दुओं के व्रतों,
पर्वों, त्यौहारों, पूजा एवं हर मांगलिक अवसर
पर कुंकुम से स्वास्तिक अंकित किया जाता है. इसका सामान्य अर्थ शुभ, मंगल एवं कल्याण करने
वाला है. जैन और बौद्ध सम्प्रदाय में लाल, पीले एवं श्वेत रंग से अंकित स्वस्तिक का प्रयोग होता रहा
है. सिन्धु घाटी की सभ्यता में ऐसे स्वास्तिक चिह्न मिले हैं. स्वस्तिक श्रीगणेश
का प्रतीक भी है. इस प्रकार सभी मंगल-कार्यों में सबसे पहले बनाया जाता है. इसे
रसोईघर, तिजोरी, स्टोर, प्रवेशद्वार, मकान, दुकान, पूजास्थल एवं कार्यालय हर
जगह बनाते हैं. भारतीय संस्कृति में लाल रंग का महत्व है और सिंदूर, रोली या कुंकुम से इसे
बनाया जाता है. धन चिह्न बनाकर उसकी चारों भुजाओं के कोने से समकोण बनाने वाली एक
रेखा दाहिनी ओर खींचने से स्वास्तिक बन जाता है. रेखा खींचने का कार्य ऊपरी भुजा
से प्रारम्भ करना चाहिए.
क्या कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं? ऐसा क्यों?
हाँ ऐसा देखा गया है कि मच्छर कुछ लोगों के प्रति ज्यादा
आकर्षित होते हैं. वैज्ञानिक 300 से 400 ऐसी गंधों को खोज रहे हैं जो हमारे शरीर
से निकलती हैं और जिनके प्रति मच्छर आकर्षित होते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि
मच्छरों के सिर या उनके बदन पर बने एंटेना जैसे अंगों पर ऐसे प्रोटीन होते हैं जो
मनुष्य की त्वचा से निकलने वाले कुछ खास रसायनों या गंध के प्रति ज्यादा आकर्षित
होते हैं. ये रसायन हमारे शरीर की स्वाभाविक क्रिया के कारण बनते हैं, पर ये मच्छरों के लिए ऐसे
नियॉन साइन जैसा काम करते हैं जो अंधेरे में भी चमकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है
कि हमारी साँस से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, शरीर के तापमान, गर्भवती स्त्रियों, नशे का सेवन करने वालों
और रक्त के प्रति भी मच्छर आकर्षित होते हैं. रक्त के अलग-अलग वर्गों से निकलने
वाली गंध भी अलग-अलग होती है. गर्भवती स्त्रियाँ सामान्य स्त्री की तुलना में
ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड साँस से छोड़ती हैं. इसके कारण मच्छर ज्यादा आकर्षित
होते हैं. इस प्रकार के अध्ययन अभी चल ही रहे हैं.
बॉडी मास इंडेक्स क्या होता है?
बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई का मतलब है वह सूचकांक जो
व्यक्ति की ऊँचाई और वजन का संतुलन बताता है. इससे पता लगता है कि व्यक्ति का वजन
जरूरत से कम या ज्यादा तो नहीं. इसका आविष्कार बेल्जियम के वैज्ञानिक एडॉल्फ
केटेलेट ने सन 1830 से 1850 के बीच कभी किया था. इसे निकालने का आसान तरीका है कि
व्यक्ति अपने वजन को अपनी ऊँचाई के वर्ग मीटर से भाग दे तो जो अंक आएगा वह उसका
बीएमआई होगा. आमतौर पर यह 18.5 से 25 के बीच रहना चाहिए. 18.5 से कम का मतलब है
व्यक्ति का वजन जरूरत से कम है और 25 से ज्यादा का मतलब है कि ज्यादा है. आदर्श
बीएमआई 20.85 है.
हरी मिर्च से मुँह क्यों जलता है?
मुँह तो मिर्च से भी जलता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि
इसके तीखेपन के पीछे ‘कैपसाईपिनोइड’ पदार्थ है जो मिर्च को फफूंद से बचाता है.
इंडियाना यूनिवर्सिटी के डेविड हाक के नेतृत्व में शोध करने वाले दल ने बोलीविया
जाकर मिर्च के पौधे में कैपसाइसिन या ‘कैपसाईपिनोइड’ तत्व की जांच की. उन्होंने
पाया कि उत्तरी क्षेत्र में मात्र 15 से 20 प्रतिशत मिर्च में ही यह तीखा पदार्थ मौजूद था. वहीं दूसरी
ओर दक्षिणी हिस्से में स्थिति अलग थी. इस इलाके में करीब 100 प्रतिशत मिर्च के पौधों
में इस तीखे पदार्थ के होने से मिर्च बहुत तीखी थी. यह तीखापन अलग-अलग मिर्चों में
अलग-अलग होता है. मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड, साइट्रिक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व
होते है जो हमारे स्वास्थ्य के साथ–साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होते
हैं.
रेलगाड़ी या बस में चलते हुए हमें बिजली के तार ऊपर-नीचे
होते हुए क्यों नजर आते हैं?
तार तो अपनी जगह पर ही होते हैं, पर धरती की सतह पर वे
समान ऊँचाई पर नहीं होते. चूंकि सामान्य स्थिति में या धीरे-धीरे चलने पर हमें
उनके उतार-चढ़ाव का ज्ञान नहीं हो पाता. पर हम तेज गति से चलते हैं तो उन तारों का
ऊँच नीच हमें तेजी से दिखाई पड़ता है.
क्या ब्लॉग है! एकदम खज़ाना।
ReplyDeleteआप वही प्रमोद जोशी हैं जो नंदन में अंतरिक्ष की सैर जैसा कुछ लेख लिखते थे ?