अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को काबू करने के लिए
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव का जिक्र हाल में जैशे-मोहम्मद के
सरगना मसूद अज़हर को आतंकवादी घोषित करने के संदर्भ में हुआ था. यह प्रस्ताव 15
अक्तूबर, 1999 को पास हुआ था. अफ़ग़ानिस्तान में बिगड़ते हालात के मद्देनज़र सुरक्षा
परिषद ने ओसामा बिन लादेन को आतंकवादी घोषित करने के लिए इस प्रस्ताव को पास किया
था. इसके पहले सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव संख्या 1189 (1998), 1193 (1998) और 1214
(1998) पास किए थे. इन तीनों प्रस्तावों को वापस लेकर यह प्रस्ताव 1267 पास किया
गया. इसका उद्देश्य ओसामा बिन लादेन और अल कायदा से जुड़े अन्य संगठनों को
आतंकवादी घोषित करने के अलावा ऐसे संगठनों पर लागू होने वाले प्रतिबंधों की एक
वैश्विक-व्यवस्था की स्थापना करना भी था. इसके तहत अफ़ग़ानिस्तान की तत्कालीन
तालिबान सरकार पर भी प्रतिबंध लगाए गए थे. इस व्यवस्था के तहत संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद की एक समिति बनी है। इसके अलावा ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं की सूची
है, जो अल कायदा और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हैं. साथ ही ऐसे
कानूनों की रूपरेखा है, जो प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सम्बद्ध देशों को लागू करने
होते हैं. यह समिति सभी देशों से रिपोर्ट प्राप्त करती है, जिसमें इस बात का विवरण
होता है कि प्रतिबंध किस प्रकार से लागू हो रहे हैं.
क्या जैश पर प्रतिबंध है?
जैशे-मोहम्मद की स्थापना सन 2000 में पाकिस्तान
में आईएसआई की मदद से हुई थी. सन 2001 में ही प्रस्ताव 1267 के तहत उसे आतंकवादी
संगठन घोषित कर दिया गया था. यह संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए बनाया
गया था. उसे आतंकवादी साबित करने की घोषणा उसके अल कायदा के साथ रिश्तों के आधार
पर थी. इसी संगठन ने सन 2001 में जम्मू कश्मीर विधान सभा और भारतीय संसद पर हमले
किए. जनवरी 2016 में पठानकोट हवाई अड्डे पर हमले, उसी साल अफ़ग़ानिस्तान के मजारें
शरीफ स्थित भारतीय मिशन और फिर उड़ी के हमलों में उसका हाथ था. अब पुलवामा में
उसका हाथ है, जिसकी जिम्मेदारी उसने ली है. इसके अलावा अनेक छोटी-मोटी गतिविधियों
में इसका हाथ रहा है. इसका मुखिया मसूद अज़हर है, जो भारतीय जेल में कैद था और उसे
सन 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या 814 के अपहरण के बाद छुड़ाया गया था.
प्रतिबंध में होता क्या है?
यह प्रतिबंध लगने के बाद संगठनों के सभी
साधनों यानी बैंक खाते वगैरह को सरकारें अपने कब्जे में ले लेतीं हैं. सम्बद्ध
सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि इन संगठनों को किसी प्रकार की मदद न
मिलने पाए. इस प्रस्ताव के बाद 19 दिसम्बर, 2000 को सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव
1333 भी पास किया था, जिसका उद्देश्य था तालिबान को किसी प्रकार की फौजी मदद रोकना
तथा उसके कैम्पों को बन्द कराना. इस सूची में दर्ज व्यक्तियों पर यात्रा सम्बद्ध
प्रतिबंध भी होते हैं. हालांकि जैश पर प्रतिबंध के बावजूद पिछले 18-19 साल में जैश
का विस्तार ही हुआ है.
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 47वीं पुण्यतिथि - मीना कुमारी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
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