Friday, March 15, 2019

पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान?


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पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान उन्हें कहते हैं, जिनका विकास 21वीं सदी के शुरूआती वर्षों में हुआ है. कुछ विशेषताओं के कारण उन्हें पाँचवीं पीढ़ी के विमान माना जाता है. अमेरिकी कम्पनी लॉकहीड मार्टिन के अनुसार पाँचवीं पीढ़ी के विमान पूरी तरह स्टैल्थ होने चाहिए. स्टैल्थ या लोपन क्षमता यानी नजर में न आना. लो प्रोबेबिलिटी ऑफ इंटरसेप्ट रेडार (एलपीआईआर), उच्च क्षमतावान एयरफ्रेम, एडवांस्ड एवियॉनिक्स फीचर और उच्च क्षमतावान इंटीग्रेटेड कम्प्यूटर सिस्टम्स जो युद्धक्षेत्र में जमीन पर स्थित केन्द्रों, साथ में चल रहे विमानों, टोही विमानों और शत्रु के विमानों पर नजर रखने वाले एवॉक्स से निरंतर जुड़े रहें. इस परिभाषा के हिसाब से दुनिया के पाँचवीं पीढ़ी का विमान लॉकहीड मार्टिन का एफ-22 रैप्टर, उनका ही एफ-35 लाइटनिंग-2, चीन का चेंग्दू जे-20, शेनयांग जे-31, जापान का मित्सुबिशी एक्स-2 शिनशिन और रूस का सुखोई-57 और तुर्की का टीएआई टीएफएक्स आता है. इनमें से ज्यादातर विमान विकास के दौर में हैं. भारत में तेजस के बाद बनने वाले एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट में भी ये सुविधाएं होंगी. व्यावहारिक रूप से अमेरिकी एफ-22 रैप्टर और एफ-35 को ही पूरी तरह पाँचवीं पीढ़ी के विमान माना जा सकता है. 

पीढ़ी निर्धारण कैसे?

पहली पीढ़ी के लड़ाकू विमान सबसोनिक थे. यानी कि उनकी स्पीड आवाज की गति से कम होती थी. ये सब 1950 के पहले के विमान थे. 1950 के बाद ट्रांससोनिक विमान आए, जिनकी गति आवाज की गति के आसपास थी. तीसरी पीढ़ी में अमेरिका के एफ-100 और एफ-8 और रूस के मिग-19 जैसे विमानों को शामिल किया जाता है, जो सुपरसोनिक थे. साठ के दशक के बाद अमेरिका के एफ-104, रूस के मिग-21 और फ्रांस के मिराज-3 को सुपरसोनिक शृंखला में चौथी पीढ़ी के विमान कहा जा सकता है, जो ध्वनि से दुगनी और ज्यादा गति से उड़ान भरने के अलावा कई प्रकार के मिसाइलों से लैस थे. इसके बाद विमानों में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैंड एरे (एईएसए) रेडार, बियांड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइलों, फ्लाई बाई वायर और नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर का जमाना आया. इनके कारण इन्हें 4+ पीढ़ी के विमान कहा जाता है. हमारा तेजस भी ऐसा ही विमान है, जिसमें एईएसए रेडार, बीवीआर मिसाइल, हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट जैसी सुविधाएं हैं.

क्या छठी पीढ़ी भी है?

ज़ाहिर है कि पाँचवीं पीढ़ी के बाद जो तकनीकी विकास होगा, वह छठी पीढ़ी के खाते में जाएगा. पाँचवीं पीढ़ी के विमानों में धातुओं और एलॉय के मुकाबले कम्पोज़िट मैटीरियल का इस्तेमाल ज्यादा होता है. इससे उनका वज़न कम होता है साथ ही रेडार क्रॉस सेक्शन यानी कि रेडार की पकड़ कम होती है. इनमें सेंसर लगे हैं, जो आने वाले मिसाइलों की पहचान करके उन्हें रास्ते में ही ध्वस्त करते हैं. अमेरिकी कम्पनियों को उम्मीद है कि वे 2025-30 के बीच छठी पीढ़ी के विमान तैयार कर लेंगी. हाल में मानव रहित विमानों की तकनीक विकसित होने के बाद सम्भावना है कि छठी पीढ़ी के विमान मानव-रहित हों.



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