भारत ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय एकदिनी मैच 23 जुलाई 1974 को इंग्लैंड के विरुद्ध हैडिंग्ले में खेला। यह प्रूडेंशियल ट्रॉफी का पहला मैच था। इसमें इंग्लैंड ने भारत को चार विकेट से हराया।
ओलिंपिक में क्रिकेट क्यों नहीं?
1896 में एथेंस में हुए पहले ओलिम्पिक खेलों में क्रिकेट को भी शामिल किया गया था, पर पर्याप्त संख्या में टीमें न आ पाने के कारण, क्रिकेट प्रतियोगिता रद्द हो गई। सन 1900 में पेरिस में हुए दूसरे ओलिम्पिक में चार टीमें उतरीं, पर बेल्जियम और नीदरलैंड्स ने अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद सिर्फ फ्रांस और इंग्लैंड की टीमें बचीं। उनके बीच मुकाबला हुआ, जिसमें इंग्लैंड की टीम चैम्पियन हुई। अब उम्मीद की जा रही है कि 2024 के ओलिम्पिक खेलों में टी-20 क्रिकेट को शामिल किया जाए।
फैट जीन क्या है?
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने ‘एफटीओ’ नामक विशेष कोशिका खोज निकाली, जिसकी वजह से मोटापा, हृदयघात और मधुमेह जैसी बीमारियां देखने को मिलती हैं। जिनके शरीर में यह खास किस्म का जीन पाया जाता है, उन्हें अगर एक प्रकार का आहार दिया जाए, तो वह उन लोगों के मुकाबले अपना वजन बढ़ा हुआ महसूस करते है, जिनके शरीर में यह जीन नहीं होता है। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि इस जीन को खोज लिया गया है, जो कोशिकाओं में चर्बी जमा होने के लिए जिम्मेदार हैं। इन्हें फिट-1 व फिट-2 (फैट इंड्यूसिंग ट्रांसक्रिप्ट 1-2) जीन कहा जाता है।
प्रशंसक के अर्थ में ‘फैन’ शब्द कैसे बना?
दो साल पहले फिल्म 'फैन' के नायक थे शाहरुख खान। व्यक्तिगत बातचीत में कहीं शाहरुख ने कहा, फैन शब्द मुझे पसंद नहीं। उनका कहना था, फैन शब्द फैनेटिक (उन्मादी) से निकला है। यह कई बार नकारात्मक भी होता है। आप ने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि मैं अमिताभ का फैन हूँ या सचिन तेंदुलकर, रेखा या विराट कोहली का फैन हूँ। कुछ लोग मज़ाक में कहते हैं कि मैं आपका पंखा हूँ, क्योंकि फैन का सर्वाधिक प्रचलित अर्थ पंखा ही है।
‘फैन’ का अर्थ उत्साही समर्थक या बहुत बड़ा प्रशंसक भी होता है, पर इसका यह अर्थ हमेशा से नहीं था। इसका जन्म अमेरिका में बेसबॉल के मैदान में हुआ। इसका पहली बार इस्तेमाल किया टेड सुलीवॉन ने, जो सेंट लुईस ब्राउन्ज़ बेसबॉल टीम के मैनेजर थे। सन 1887 में फिलाडेल्फ़िया की एक खेल पत्रिका ‘स्पोर्टिंग लाइफ़’ में इस शब्द के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि फैन शब्द ‘फैनेटिक’ का संक्षिप्त रूप है।
टेड सुलीवॉन ने बताया, ‘मैं टीम के मालिक क्रिस से बात कर रहा था। क्रिस के निदेशक मंडल में बेसबॉल के दीवाने भी थे जो मेरे कामों में हमेशा दखल देते रहते और क्रिस को यह बताते रहते कि टीम को कैसे चलना चाहिए। मैंने क्रिस से कहा कि मुझे इतने सारे फैनेटिक्स की सलाह की ज़रूरत नहीं है। इसी बातचीत में संक्षेप में फैन्ज़ शब्द बन गया। मैंने कहा कि क्रिस यहां बहुत सारे फैन्ज़ हैं। बाद में अखबारों में यह शब्द चल निकला।’
पहले यह शब्द अमेरिकी खेल प्रेमियों के लिए ही प्रयोग होता रहा, लेकिन बाद में यह दूसरे खेलों और फिर जीवन के सभी क्षेत्रों में छा गया। इस शब्द से फैनडम शब्द बना। फिर फैन मेल, फैन लेटर और फैन क्लब तक बन गए।
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 47वीं पुण्यतिथि - मीना कुमारी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
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