Saturday, October 27, 2012

क्या होती है 4-जी तकनीक

4G क्या है और ये 3G तकनीक से कितना बेहतर है..?
-रामसिंह, इन्दौर
इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन के मानकों के अनुसार वाइड एरिया वायरलेस वॉइस टेलीपोन, मोबाइल इंटरनेट एक्सेस, वीडियो कॉल्स और मोबाइल टीवी वगैरह तीसरी पीढ़ी में शामिल किए जाते हैं। इसे इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस-2000 या आईएमटी-2000 भी कहते हैं। चौथी पीढ़ी यानी 4जी में सुविधाएं और बढ़ जाएंगी यानी मोबाइल अल्ट्रा ब्रॉडबैंड की स्पीड बढ़ेगी, हाई डेफिनीशन और थ्री डी टीवी, गेमिंग डिवाइस बेहतर हो जाएंगी। मोबाइल वायमैक्स 100 मेगाबिट्स प्रति सेकंड और फिक्स्ड लाइन में एक गीगाबाइट प्रति संकंड डेटाट्रांसफर हो सकेगा। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन ने 4जी के जो मानक तैयार किए हैं उन्हें आईएमटी एडवांस्ड (International Mobile Telecommunications Advanced ) कहते हैं।

फूलों में अलग अलग खुशबू और रंग कहां से आते हैं..? -अभय दुबे, जबलपुर

रासायनिक यौगिकों का एक गुण गंध भी है। फूलों में ही नहीं आप जीवन के प्रायः तमाम तत्वों में गंध पाते हैं। आपको भोजन, शराब, फलों, मसालों, सब्जियों वगैरह में गंध मिलती है। फूल देखने में ही सुन्दर नहीं होते उनमें खुशबू भी होती है। हालांकि सभी फूलों में खुशबू नहीं होती। कुछ फूल गंधहीन होते हैं और कुछ दुर्गंध भी देते हैं। गुलाब की खुशबू जेरनायल एसीटेट नामक रासायनिक यौगिक के कारण होती है। चमेली की खुशबू नेरोलायडॉल के कारण होती है।पुराने ज़माने में फूलों से ही इत्र बनता था। फूलों की मुख्य भूमिका प्रजनन में है। एक फूल से परागकण दूसरे में जाते हैं। इसमे हवा के अलावा मधुमक्खियों, तितलियों तथा इसी प्रकार के दूसरे प्राणियों की होती है। उन्हें आकर्षित करने में भी इनके रंग और सुगंध की भूमिका होती है।

आसमानी बिजली क्यों चमकती है.. क्या ये जितनी बार चमकती है.. उतनी बार गिरती है.. इसकी रफ्तार कितनी होती है..? -अंकिता गोयल, जयपुर

हवा, आर्द्रता, रगड़ और वायुमंडल के दवाब से बादलों के भीतर पॉज़ीटिव और निगेटिव चार्ज अलग हो जाते हैं। इससे इलेक्ट्रिकडिस्चार्ज होता है, जिसमें तेज चमक और गर्जन पैदा होता है। यह दो लाख 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है। दुनिया में हर रोज करीब एक करोड़ 60 लाख बार बिजली गिरती है।

भारत का संविधान कब पारित हुआ और कब से प्रभावी हुआ?
-विनोद शर्मा, सीकर 

हालांकि संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान के प्रूप को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया था, पर यह तय किया गया कि इसे 26 जनवरी से लागू किया जाए क्योंकि 26 जनवरी 1930 के लाहौर कांग्रेस-अधिवेशन में पार्टी ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया था और अध्यक्ष पं जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में इसकी माँग की थी। संविधान के नागरिकता, चुनाव और संसद जैसी व्यवस्थाएं तत्काल लागू हो गईं थीं। राष्ट्रीय संविधान सभा ने ध्वज 22 जुलाई 1947 को ही स्वीकार कर लिया था। और वह 15 अगस्त 1947 से औपचारिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज बन चुका था।

राजस्थान पत्रिका के 19 अगस्त 2012 के अंक में प्रकाशित नॉलेज कॉर्नर में 

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