Tuesday, October 23, 2012

गालों में गड्ढे फेशियल मसल्स की डिफॉर्मिटी है

मुस्कराते समय कुछ लोगों के गालों में गड्ढे क्यों पड़ते हैं? सभी के क्यों नहीं?
मनोहर लाल गांधी, गाज़ियाबाद
गालों के गड्ढे फेशियल मसल्स की डिफॉर्मिटी है। कोई कमी रह जाती है गाल की मसल में कि गड्ढा बन जाता है, पर हम इसे सौन्दर्य के रूप में देखते हैं। सभी के इसलिए नहीं पड़ते क्योंकि कुदरत ने सबके गाल जैसे बनाने चाहे वैसे ही बने। कही-कहीं उससे गलती हो गई।

दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी और इसका नाम कैसे पड़ा?
मुहम्मद वायेस, किला कदम शरीफ, नबी करीम, नई दिल्ली
दिसम्बर 1911 में दिल्ली में इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम का दरबार हुआ। कुछ महीने पहले उसी साल इंग्लैंड में वे राजगद्दी पर बैठे थे। दिल्ली दरबार के साथ ही देश की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाने की घोषणा की गई। 15 दिसम्बर 1911 को राजधानी बनाने की आधार शिला रखी गई। सर एडविन लुट्यंस और सर हरबर्ट बेकर दो विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट्स ने इसकी योजना बनाई। सन 1927 में इस नए इलाके का नाम नई दिल्ली रखा गया और 13 फरवरी 1931 में नई दिल्ली के नए निर्माण कार्यों का उद्घाटन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने किया।  
दिल्ली का नाम कैसे पड़ा इस बारे में कईं तरह की कहानियाँ हैं। ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि वर्ष 50 ईसा पूर्व (BC) में मौर्य राजा हुआ करते थे धिल्लु या दिलु। उन्होंने इस शहर का निर्माण किया और इसका नाम दिल्ली पड़ गया। कुछ कहते हैं कि तोमरवंश के राजा ने इस जगह का नाम "ढीली" रखा क्योंकि राजा धव का बनाया हुआ लोहे का खम्बा कमजोर था और उसको बदला गया। यही "ढीली" शब्द बाद में बदल का दिल्ली हो गया। तोमरवंश  के दौरान जिन सिक्कों की परम्परा थी उन्हें "देहलीवाल" कहा करते थे। तो कुछ जानकार दिल्ली को "दहलीज़" का अपभ्रंश मानते हैं। क्योंकि गंगा की शुरुआत इसी "दहलीज़" से होती है यानी दिल्ली के बाद होती है। कुछ का मानना है कि दिल्ली का नाम पहले धिल्लिका था।कुछ इतिहासकारों का यह मानना है कि यह देहली का एक विकृत रूप है, जिसका हिन्दुस्तानी में अर्थ होता है 'चौखट',जो कि इस नगर के सम्भवतः सिन्धु-गंगा समभूमि के प्रवेश-द्वार होने का सूचक है।

दुनिया की सबसे गर्म जगह कौन सी है?
इदरीस सैफी, मुल्ला हीरा गाँव, दिल्ली
डल्लोल शहर
                                     
उत्तरी इथोपिया का डल्लोल शहर दुनिया का सबसे गर्म आबाद स्थान माना जाता है। यहाँ 1960 से 1966 के बीच औसत दैनिक तापमान 34.4 डिग्री सैल्शियस दर्ज कया गया। इस दौरान औसत अधिकतम तापमान 41 डिग्री और किसी-कसी दिन 55 डिग्री से ऊपर चला जाता है। इस शहर के पास मशहूर डल्लोल ज्वालामुखी है। अमेरिका की डैथवैली में 1913 में तापमान 56.7 डिग्री दर्ज किया गया। डेनमार्क के अधीन ग्रीनलैंड प्रायः हर समय बर्फ की चादर से ढका रहता है इसलिए सबसे ठंडा इलाका कह सकते हैं। अलबत्ता कनाडा और रूस दूसरे और तीसरे नम्बर के देश कहे जा सकते हैं जहाँ -5 और -6 डिग्री औसत तापमान होता है।  दुनिया की सबसे ठंडी जगह यों तो अंटार्कटिक में रिज ए मानी जाती है। वहाँ का न्यूनतम तापमान -90 डिग्री सेल्शियस से भी नीचे चला जाता होगा। यह अनुमान है, क्योंकि इस 15000 मीटर ऊँची पहाड़ी पर मनुष्य के पैर आजतक नहीं पड़े हैं। अंटार्कटिक में ही रूस के स्टेशन वोस्तोक में -89.2 डिग्री सेल्शियस तक दर्ज किया गया है। रूस के साखा गणराज्य के गाँव ओमायाकोन को दुनिया का सबसे ठंडा आबाद क्षेत्र माना जाता है। आर्कटिक के पास के इस इलाके में जनवरी में तापमान -50 से -65 डिग्री के बीच रहता है। यों 6 फरबरी 1933 को यहाँ का तापमान -69.2 दर्ज किया गया था, जो दुनिया के किसी भी बसे हुए क्षेत्र का न्यूनतम दर्ज तापमान है।

केबीसी में कैसे हिस्सा लें प्लीज़ बताएं।
रोशन लाल, रोहिणी, दिल्ली
इसके लिए केबीसी देखें और जैसा अमिताभ बच्चन बताएं वैसा करें।

रफी साहब का लास्ट गाना कौन सा था?
सुहेल, कस्बा-औरंगाबाद यूपी
मुहम्मद रफी का आखिरी गीत था फिल्म आस-पास का शाम फिर क्यों उदास है दोस्त। 31 जुलाई 1980 की रात को दिल का दौरा पड़ने से रफी साहब का निधन हुआ। उसके कुछ घंटे पहले ही लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इस गीत को रिकॉर्ड कराया था।

प्रेम चोपड़ा की पहली फिल्म कौन सी थी?
प्रेम चोपड़ा की पहली फिल्म सन 1962 में बनी पंजाबी की चौधरी करनैल सिंह थी। इसके बाद उन्हें कँवारी, डोली और मैं शादी करने चला में कुछ छोटे रोल मिले। पर जब तीसरी मंज़िल और वोह कौन थी में उन्होंने विलेन की भूमिका की तब उनका नाम सामने आया।

हुज़ूर आप बताएं कि ये जो ब्रेक का चलन कब से शुरू हुआ?
स्काई, नई दिल्ली
रेडियो और टीवी पर विज्ञापन चालीस के दशक के आखिरी दिनों में अमेरिकी प्रसारण माध्यमों से शुरू हुए थे। शुरू में इन्हें बम्पर कहा जाता था। अब आप इन्हें ब्रेक कहते हैं।

भूरे इंसान को दिन में कम क्यों दिखाई देता है? क्या वह अपनी आँखें दान कर सकता है?
मुहम्मद सईद अब्बासी, बुलंदशहर उप्र
विटिलाइगो त्वचा का रोग है। इसमें रंग बनाने वाली कोशिकाएं जिन्हें मेलानोसाइट्स कहा जाता है, नष्ट हो जाती हैं। कई बार इसका असर आँख तक होता है। इससे रेटिना के आसपास तक पिंगमेंटेशन प्रभावित होता है। पर इससे आँख की रोशनी कम होती है यह नहीं कहा जा सकता। ऐसी आँख दान करने में भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पर किसी भी व्यक्ति की स्थिति को देखने के बाद ही कोई बात कही जा सकती है।

दुनिया में सबसे पहला मनुष्य कौन और कहाँ हुआ?
कन्हैया खत्री, शिकारनगर, इन्दौर
चूंकि हमारे पास उसका बर्थ सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड उपलब्ध नहीं है इसलिए उसका नाम बताने की स्थिति में हम नहीं हैं, पर इतना ज़रूर है कि सन 1967 में इथोपिया के किबिश नामक स्थान पर एक लाख तीस हजार साल पुराने मनुष्ट की हड्डियाँ मिली थीं। उसके कुछ साल बाद उसी इलाके में एक लाख साठ साल पुरानी हड्डियाँ मिलीं। और अब माना जाता है कि तकरीबन दो लाख साल पहले अफ्रीका में होमो सीपियंस यानी मनुष्य के पूर्वज रहते थे। अभी यह निश्च्त रूप से नहीं कहा जा सकता कि वे सबसे पहले अफ्रीका में ही जन्मे। दुनिया के दूसरे इलाकों में भी ऐसी हड्डियाँ मिलीं हैं।
  
क्रिकेट में एलबीडब्ल्यू की फुल फॉर्म क्या है?
श्रवण प्रजापति, गांधी नगर, दिल्ली
लेग बिफोर विकेट।

महात्मा गांधी के बेटे थे या नहीं? थे तो उनके नाम क्या थे?
निर्मल, वैशाली, गाजियाबाद
गांधी जी के चार बेटे थे। हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास गांधी। एक शिशु का बचपन में निधन हो गया था।

सभी हस्तियों को प्रणाम और शीश नमन। उल्का पिंड क्या होते हैं और ये धरती पर कब गिरते हैं?
दीपक मलहोत्रा, ओम विहार, दिल्ली
हमारे सौरमंडल में बड़े पिंडों के अलावा बड़ी तादाद में छोटे पिंड भी मौज़ूद दैं। आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारेकहते हैं । धरती के वायुमंडल की रगड़ से ये यों भी नहीं बचते पर कई बार छोटे पत्थर के टुकड़े के रूप में ये धरती तक आ जाते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्राय: प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं। इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार ये पिंड ब्रह्माण्डविद्या और भूविज्ञान के बीच संपर्क स्थापित करते हैं।

राष्ट्रपति भवन कब बना था?
गुर बचन सिंह हनी, सदर बाज़ार, दिल्ली
नई दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला 1911 में होने के बाद नए निर्माण कार्य शुरू हुए। नए वायसरॉय भवन का काम सन1912 में शुरू हुआ और वह 1929 में बनकर तैयार हुआ।यही वायसरॉय भवन 1947 के बाद राष्ट्रपति भवन कहलाया।

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