आईपीएल के मैचों के रिकॉर्ड्स ट्वेंटी-ट्वेंटी के इंटरनेशनल रिकॉर्ड्स बुक में क्यों नहीं रखे जाते हैं?
आईपीएल को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल से मान्यता प्राप्त है, पर इसके मैच टीट्वेंटी के तहत आते आते हैं टी20 इंटरनेशनल के अंतर्गत नहीं। टी20 की विश्व कप प्रतियोगिता उसके तहत आती है। आईसीसी के नियमों के तहत उसके सदस्य देश एक साल में ज्यादा से ज्यादा 12 टी20 इंटरनेशनल मैच खेल सकते हैं। छह अपने देश में और छह विदेश में। दो देशों की सीरीज़ में ज्यादा से ज्यादा तीन मैच खेले जा सकते हैं।
अगर हम जमीन में सुराख गहरा करते जाएं.. तो सबसे अंत में यानी उस पार क्या मिलेगा?
आप कभी पृथ्वी में गड्ढा करने की कोशिश करें तो बहुत सफल नहीं होंगे। उपकरणों की मदद से भी दुनिया के वैज्ञानिक 8 किमी की गहराई तक के नमूने ले पाए हैं। दुनिया की सबसे गहरी खानें 3 किमी तक गहरी हैं। अलबत्ता वैज्ञानिक जानकारी के अनुसार धरती की सतह से उसके केन्द्र तक की दूरी तकरीबन 6400 किमी है। इसमें चार परतें खासतौर से हैं। सबसे ऊपरी परत को क्रस्ट कहते हैं। यह करीब 15 किमी गहरी है। उसके बाद है मैंटल जो करीब ढाई हजार किमी तक है। इसमें भी चट्टानें हैं, पर जैसे-जैसे गहराई पर जाएंगें चट्टाने गर्म होती जाएंगी। इसके बाद है बाहरी कोर जो पिघले लावा की है। लावा मुख्य रूप से लोहा और निकल है। इसके बाद सबसे अंदर की कोर ठोस लोहे और निकल की है। इस जगह पर तापमान नौ हजार डिग्री से ऊपर होता है। यानी कि सूरज की सतह के तापमान के आसपास।
तरबूज ऊपर से इतना हरा होता है.. और अंदर से गहरा लाल क्यों..।
तरबूज का लाल रंग दर असल लायकोपेन और बीटा कैरोटीन है जो बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट है। इसकी बाहरी हरी और मोटी त्वचा अंदरूनी फल की रक्षा करती है, क्योकि पानी की उपस्थिति के कारण इसका अंदर का हिस्सा नाजुक हो जाता है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। इसका स्वाद भी हर किसी को पसंद आता है और पौष्टिकता के लिहाज से भी यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। तरबूज रक्तचाप को भी संतुलित रखता है और कई बीमारियों से भी बचाता है। इसमें पोटैशियम काफी होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर हार्टबीट को ठीक रखता है। बीटा कैरोटीन कैंसर और कई घातक बीमारियों से बचाता है।
यों तो फल आमतौर पर सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। गर्मियों के फल मौसम के हिसाब से ही प्रकृति ने तैयार किए हैं। खरबूजे और तरबूज सिर्फ पानी की कमी को ही पूरा नहीं करते बल्कि शरीर की तमाम ज़रूरतों को पूरा करते हैं। फालसे, शहतूत, लीची, खुबानी, आड़ू और प्लम में तमाम स्वास्थ्यवर्धक चीजें हैं। सबसे ऊपर है आम जो इस मौसम का राजा है। इन सबके अलावा कच्चा नारियल और नारियल पानी भी उपलब्ध है जो अमृत का काम करता है।
क्या ये सच है कि मोबाइल फोन या ऐसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से फिजिकल और मेन्टल कॉम्पलिकेशन्स होती हैं..।
मोबाइल फोन से रेडिएशन का खतरा है, पर इसके लिए सीमाएं भी निर्धारित हैं। इसे स्पेसिफिक एबसॉर्प्शन रेट या एसएआर लेवल कहते हैं। यह आपके मोबाइल हैंडसेट के अलावा मोबाइल टावरों के लिए भी निर्धारित है। वास्तव में किसी भी प्रकार की टेक्नॉलजी हो उसके जोखिमों का अनुमान लगाने के बाद ही उसके इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले एक्सरे और एमआरआई में भी जोखिम होंगे।
दुनिया के बाकी देशों से कम्पेयर करें तो हमारे देश में इतने कम इन्वेंशन्स क्यों हुए हैं?
बाकी देशों से आपका आशय अमेरिका और यूरोप से ही होगा। इन देशों में औद्योगिक क्रांति के साथ ज्ञान-विज्ञान का दौर भी चला है। जिस देश और समाज ने ज्ञान को स्वीकार किया वहाँ आविष्कार भी हुए। हमारे यहाँ ऐसा नहीं हुआ तो हमारी सामाजिक व्यवस्था के दोषों के कारण।
कभी किसी रिमोट एरिया में फंस जाने पर सही दिशा का पता कैसे चलेगा?
दिन में आप सूरज के निकलने और पश्चिम की ओर जाने से दिशा का पता लगा सकते हैं। रात में आप ध्रुव तारे के आधार पर उत्तर दिशा का ज्ञान कर सकते हैं। इसके अलावा एक तरीका यह है कि जमीन पर एक लकड़ी गाड़कर उसके सबसे आगे वाली नोंक को किसी सितारे की सीध में कर दें। फिर इंतजार करें। थोड़ी देर बाद वह तारा लकड़ी की सीध में नहीं रहेगा। यदि वह लकड़ी के ऊपर चला गया है तो आप पूर्व की ओर मुँह करके खड़े हैं। यदि तारा नीचे चला गया है तो आप पश्चिम की ओर मुँह करके खड़े हैं।
इंसान का बिहैवियर उसके थॉटस से तय होता है या उसकी फीलिंग्स से?
इन दोनों के समन्वय से होता है। व्यक्ति का व्यवहार कई बार अचानक हुई क्रिया की प्रतिक्रिया भी होते हैं। जैसे कोई पत्थर ऊपर से गिरे। पर अलग-अलग व्यक्तियों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग होंगी। कोई अपनी जान बचाने को भागेगा तो कोई दूसरेकी जान बचाने को। इसका मतलब है कि उसके सांस्कृतिक विकास की भी महत्वपूर्ण भूमिका इसमें होगी।
कभी कभी किसी की शक्ल, आवाज या उसका जेस्चर किसी से इतना मिलता जुलता क्यों लगता है?
आखिरकार शक्लों, आवाजों और भाव-भंगिमाओं के कुछ वर्गीकरण होते हैं। यानी गोल चेहरा, लम्बे, भारी, दुबले वगैरह-वगैरह। ऐसा ही आवाजों के साथ है। इसमें जेनेटिक और भौगोलिक कारण भी शामिल होते हैं।
हमें पानी में तैरने के लिए स्वीमिंग सीखनी पड़ती है.. पर जानवर के बच्चे पैदा होते ही तैरने लगते हैं.. कैसे?
चार पैरों वाले जानवर अपने हाथ और पैर को समान रूप से चलाते हैं। मनुष्य दो पैरों पर खड़ा होने के कारण पानी पर सहज नहीं होता। अलबत्ता इंसान के छोटे बच्चों को पानी में डाल दिया जाए तो वे जल्दी तैर लेते हैं। फिर यह लाखों साल के विकास का परिणाम भी है। जानवर के बच्चों को वैसी परवरिश नहीं मिलती जैसी मनुष्य के बच्चों को मिलती है।
जब हम किसी तस्वीर को देखते हैं तो ऐसा क्यों लगता है कि वो तस्वीर भी हमें ही देख रही है?
तस्वीरें दो आयाम में होती हैं। उनमें आँख जहाँ चित्रित होती हैं उनकी स्थिति बदलती नहीं। हम किसी भी दिशा में जाएं वे हमें दिखाई पड़ती हैं। वास्तविक जीवन में किसी व्यक्ति को हमें देखने के लिए अपनी आँख की दिशा बदलनी पड़ती है, पर तसवीर के मामले में हमारी आँखों की बदलती स्थिति यह काम कर देती है।
अगर पेड़-पौधों में भी जिंदगी होती हैं.. तो क्या वे बाकी जीवों की तरह आपस में बातचीत भी करते हैं?
समूचा जीव-जगत एक-दूसरे पर निर्भर है। इस जीव जगत का आपसी संवाद हम प्राणियों में देख भी सकते हैं, पर वनस्पतियों का संवाद वैसा नहीं होता, पर वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पौधे भी एक-दूसरे को सूचनाएं देते हैं। खासतौर परजीवियों और शत्रुओं के बारे में पौधे एक-दूसरे को चेतावनी देते हैं। स्ट्रबेरी, क्लोवर (तिनपतिया) और सरकंडे एक-दूसरे से संवाद करते हैं। वैज्ञानिक इस नेटवर्किंग का अध्ययन कर रहे हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन कौन सा है?
न्यूयॉर्क शहर का ग्रैंड सेंट्रल टर्मिनल दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन इस आधार पर माना जा सकता है कि इसमें सबसे ज्यादा 44 प्लेटफॉर्म हैं। इनके साथ 67 ट्रैक जुड़े हैं। ये प्लेटफॉर्म दो मंजिलों पर बने हैं।
लखनऊ की भूल-भुलैया क्यों और कैसे बनी ?
लखनऊ शहर में बड़ा इमामबाड़ा नामक एक ऐतिहासिक इमारत है, इसकी सबसे ऊपर वाली मंजिल पर भूल-भुलैया है। इमामबाड़े का निर्माण नवाब आसफ़उद्दौला ने 1784 में कराया था और इसके संकल्पनाकार 'किफायतउल्ला' थे। जब इसका निर्माण हो रहा था उस समय अवध में भुखमरी और सूखा पड़ा था। इसका निर्माण नवाब आसफुद्दौला ने इस गरज से करवाया था कि भुखमरी और बदहाली से त्रस्त लोग इसके निर्माण में लगें, जिससे उनकी रोजी-रोटी का बंदोबस्त हो जाए और एक इमारत भी बन जाए।
किसी बच्चे को गोद लेना चाहें तो कहाँ सम्पर्क किया जा सकता है?
बच्चे को गोद लेने के अनेक कारण और स्थितियाँ होती हैं। इसके कानूनी पहलू भी हैं। खास तौर से विदेशी नागरिकों के बाबत नियम काफ जटिल हैं। मोटे तौर पर आप बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो उस चुन कर वकील से सलाह लें।
Who is allowed to adopt a child? an Indian, Non Resident Indian (NRI), or a foreign citizen may adopt a child. There are specific guidelines and documentation for each group of prospective adoptive parents. A single female or a married couple can adopt a child. In India, a single male is usually not eligible to be an adoptive parent. An exception to this rule is the noted dance instructor Sandip Soparrkar, who has recently adopted a young boy. This is a special case rather than the norm. A single man desiring to adopt a child may be eligible if he applies through a registered agency. However, he will still only be able to adopt a male child.
What are the conditions to be fulfilled by an adoptive parent? An adoptive parent should be medically fit and financially able to care for a child. A person wishing to adopt a child must be at least 21 years old. There is no legal upper age limit for parents but most adoptive agencies set their own benchmarks with regard to age. For a child who is less than a year old, the adoptive parents can have a maximum combined age of 90 years. Also, neither parent must be older than 45 years.
What are the laws governing adoption? Indian citizens who are Hindus, Jains, Sikhs, or Buddhists are allowed to formally adopt a child. The adoption is under the Hindu Adoption and Maintenance Act of 1956. Under this act, a single parent or married couple are not permitted to adopt more than one child of the same sex. Foreign citizens, NRIs, and those Indian nationals who are Muslims, Parsis, Christians or Jews are subject to the Guardian and Wards Act of 1890. Under this act, the adoptive parent is only the guardian of the child until she reaches 18 years of age.
होलिस्टिक हीलिंग क्या है? क्या इसके कोई फायदे भी हैं?
होलिस्टिक हीलिंग का आशय है आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बजाय वैकल्पिक पद्धति जिसमें शारीरिक पक्ष के अलावा भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू भी होते हैं। इसमें आस्था की भूमिका भी होती है। हम्योपैथी को भी इसी प्रकार की चिकित्सा व्यवस्था माना जाता है। मेडीटेशन, एक्यूपंक्चर, रेकी वगैरह ऐसी पद्धतियाँ हैं। फायदे के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि यह आस्था से जुड़ा मामला है।
बैले डांसिंग क्या है? दिल्ली में कहाँ सीखी जा सकती है?
बैले डांस पन्द्रहवी सदी में इटैलियन रिनेसां के साथ शुरू हुआ था। यह शास्त्रीय संगीत के साथ जुड़ा नृत्य है। पिछली सदी में रूस में इस कला ने काफी बुलंदियों को छुआ। बहुत से लोगों ने अन्ना पावलोवा का नाम सुना होगा। दिल्ली में फिरोजशाह रोड स्थित रशन सेंटर ऑफ साइंस एंड कल्चर से सम्पर्क करना चाहिए। यों अनेक संस्थाएं हैं। डेल्ही डांस एकेडमी, तानसेन संगीत महाविद्यालय, फ्यूज़न प्लेनेट, इंडिया कोरियोग्राफर्स, बाउंस केडमी
छुट्टियों में दिल्ली के आस-पास कौन सी जगह ज्यादा जा सकते हैं?
दिल्ली के आसपास शिमला, मसूरी और नैनीताल भी हैं और आगरा, मथुरा वृन्दावन भी। प्रकृति को और करीब से देखना चाहें तो नैनीताल जिले के कॉर्बेट नेशनल पार्क जाएं। यों दिल्ली से 48 किमी दूर हरियाणा में सुलतानपुर पक्षी विहार है। थोड़ा दूर जा सकें तो भरतपुर में घना पक्षी विहार है।
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