भारत
मे सर्वप्रथम प्रतियोगिता परीक्षा किस विभाग की हुई?
-रोहिताश मीणा, खिँवास (जयपुर)
भारत में सन 1857 की
लड़ाई के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी शासन के स्थान पर अंग्रेजी सरकार का शासन स्थापित
हो गया था। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 के तहत भारत में नागरिक सेवाओं के लिए
अफसरों की नियुक्ति के नियम भी बनाए गए। इस सेवा को पहले इम्पीरियल सिविल सर्विस
और बाद में इंडियन सिविल सर्विस का नाम दिया गया।
शुरुआत में उनकी भरती की परीक्षाएं केवल लंदन में होती थीं। बाद में
इलाहाबाद में भी होने लगीं। नीचे के पदों को भारतीय कर्मचारियों से भरा जाता था। सन
1923 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में स्थानीय भागीदारी के लिए एक
आयोग बनाया जिसके अध्यक्ष थे लॉर्ड ली ऑफ फेयरहैम। इसके पहले इंस्लिंगटन कमीशन और
मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड आयोग ने भी भारतीयों की भागीदारी के लिए सिफारिशें की थीं।
बहरहाल ली आयोग ने सिफारिश की कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में 40 फीसदी ब्रिटिश, 40
फीसदी भारतीय सीधे और 20 फीसदी स्थान प्रादेशिक सेवाओं से प्रोन्नति देकर लाए गए
अफसरों को दिए जाएं। ली आयोग ने भरती के लिए एक लोक सेवा आयोग बनाने की सिफारिश भी
की। इसके बाद सन 1926 में संघ लोकसेवा आयोग की स्थापना हुई। स्वतंत्रता के बाद संविधान
सभा ने अनुच्छेद 315 के तहत इसे एक स्वायत्त संस्था के रूप में संविधान में स्थान
भी दिया।
आईसीयू क्या होता है? रोगियों
को इसकी जरूरत क्यों होती है?
आईसीयू का मोटा मतलब
है इंटेंसिव केयर यूनिट। यानी अस्पताल का वह कक्ष जहाँ मरीज पर गहराई से नजर रखी
जाती है। इसे इंटेंसिव ट्रीटमेंट यूनिट (आईटीयू) इंटेंसिव कोरोनरी केयर यूनिट
(आईसीसीयू) या क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) जैसे नाम भी दिए जाते हैं। मूल बात यह
है कि इस कक्ष में ऐसे उपकरण और सुविधाएं होती हैं जो रोगी की सहायता कर सकें। ये
सुविधाएं लग-अलग आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं। मसलन हृदय का दौरा पड़ने के बाद
अस्पताल में आए रोगी के लिए जो सुविधाएं चाहिए, उससे अलग किस्म की सुविधाएं हृदय
का ऑपरेशन कराने वाले रोगियों को चाहिए। अस्पतालों में अब ये कक्ष विशेषज्ञता के
आधार पर बनाए जाते हैं।
चुनाव के दौरान लगाई जाने वाली स्याही की संरचना क्या है? इसका क्या
अन्यत्र भी इस्तेमाल किया जा सकता है?
भारत में शुरूआती चुनावों में इस स्याही का इस्तेमाल नहीं होता था, पर बाद
में फर्जी मतदान की शिकायतें आने पर सन 1962 से इस स्याही का इस्तेमाल होने लगा। चुनाव
आयोग ने भारतीय कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, राष्ट्रीय
अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर इस स्याही को तैयार किया था। इसका फॉर्मूला
गोपनीय है और इसका पेटेंट राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के पास है। मोटे तौर पर सिल्वर
नाइट्रेट से तैयार होने वाली यह स्याही त्वचा पर एक बार लग जाए तो काफी दिन तक
इसका निशान रहता है। इतना ही नहीं, यह त्वचा पर पराबैंगनी
(अल्ट्रा वॉयलेट) रोशनी पड़ने पर चमकती भी है जिससे इसे छिपाना संभव नहीं। कर्नाटक सरकार के सरकारी प्रतिष्ठान
मैसूर पेंट्स एवं वार्निश लिमिटेड द्वारा बनाई जाने वाली इस स्याही के ग्राहकों
में दुनिया के 28 देश शामिल हैं। इस स्याही को खासतौर से चुनाव के लिए ही बनाया
गया है। इसलिए इसे लोकतांत्रिक स्याही भी कहते हैं। इसका कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं
है।
एक क्यूसेक कितने लिटर के बराबर होता है?
क्यूसेक बहते पानी या तरल का पैमाना है और लिटर स्थिर तरल का। क्यूसेक माने होता है क्यूबिक फीट पर सेकंड। यानी एक फुट चौड़े, एक फुट लम्बे और एक फुट गहरे स्थान से एक सेकंड में जितना पानी निकल सके। सामान्यतः एक क्यूसेक में 28.317 लिटर पानी होता है।
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