सेना में फील्ड मार्शल
किसे कहा जाता है? आजकल इस पद पर कौन है?
फील्ड मार्शल पद भारतीय
सेना में एक प्रकार से थल सेना का सम्मान का पद है। हमारी सेना का सर्वोच्च पद
जनरल और चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का होता है। सन 1971 में बांग्लादेश-युद्ध में विजय प्राप्त करने वाले जनरल सैम
मानेकशॉ (3
अप्रेल 1914-27 जून 2008) को 1 जनवरी सन 1973 में
देश का पहला फील्ड मार्शल पद दिया गया। वे भारतीय थलसेना के आठवें चीफ ऑफ स्टाफ थे, पर फील्ड मार्शल बनने वाले पहले सेनाधिकारी थे। सैम मानेकशॉ
को यह पद देने के बाद सन 1986 में जनरल केएम करियप्पा (29 दिसम्बर 1899-15 मई 1993) को फील्ड मार्शल का ओहदा दिया गया। चूंकि सन 1973 में सैम मानेकशॉ को यह पद दिया जा चुका था। इसलिए देर से
ही सही यह ओहदा उन्हें उनके सेवानिवृत्त होने के तकरीबन तीस साल बाद दिया गया। जन
करियप्पा 1947 में
स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे। उन्हें सम्मान देते हुए
फील्ड मार्शल की पदवी दी गई। इस वक्त देश में कोई फील्ड मार्शल नहीं है।
फील्ड मार्शल की तरह
वायुसेना में मार्शल ऑफ एयरफोर्स का एक पद बनाया गया। यह पद सन 2002 में वायु सेना प्रमुख अर्जन सिंह को दिया गया। भारतीय
वायुसेना में यह पद अब तक केवल उन्हें ही दिया गया है। वे वायुसेना में एयर चीफ
मार्शल बनने वाले भी पहले भारतीय थे। उसके पहले तक भारतीय वायुसेनाध्यक्ष का पद था
एयर मार्शल। एयर चीफ मार्शल के कंधे पर चार स्टार लगाए जाते हैं, जबकि मार्शल ऑफ
एयरफोर्स के कंधे पर पाँच स्टार लगते हैं। नौसेना में भी इसके समकक्ष एक पद होता
है एडमिरल ऑफ द फ्लीट। पर भारतीय नौसेना में किसी अधिकारी को यह पद नहीं दिया गया
है।
फील्ड मार्शल का पद
हमारे देश में ही नहीं कुछ और देशों में भी है। जैसे स्पेन, मैक्सिको, पुर्तगाल और ब्राजील में भी है। फ्रांस में इस तरह का रैंक
है,
जिसे ब्रिगेड कमांड रैंक कहा जाता है। पुराने जमाने में
राजा के घुड़सवार दस्ते और सेना के प्रमुख को यह रैंक देने का चलन था। फिर ऐसे
लोगों को यह रैंक दिया जाने लगा, जिन्होंने युद्ध भूमि में विलक्षण बहादुरी दिखाई या सेना का
नेतृत्व करने में सूझ-बूझ का परिचय दिया हो। कई देशों में फील्ड मार्शल जनरल भी
कहते हैं। इसी तरह मार्शल ऑफ एयरफोर्स का रैंक भी है।
रेल की आखिरी बोगी के
आखिर में X क्यों
अंकित होता है?
बंदूक चलाने पर पीछे की तरफ झटका
क्यों लगता है?
न्यूटन का गति का तीसरा नियम है कि
प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। जब बंदूक
की गोली आगे बढ़ती है तब वह पीछे की ओर भी धक्का देती है। गोली तभी आगे बढ़ती है
जब बंदूक का बोल्ट उसके पीछे से प्रहार करता है। इससे जो शक्ति जन्म लेती है वह
आगे की और ही नहीं जाती पीछे भी जाती है। तोप से गोला दगने पर भी यही होता है। आप
किसी हथौड़े से किसी चीज पर वार करें तो हथौड़े में भी पीछे की और झटका लगता है।
राजस्थान पत्रिका के मी नेक्स्ट में प्रकाशित 09 नवम्बर 2014
ज्ञानवर्द्धक और सार्थक जानकारी। आपको सपरिवार नववर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ :- इंटरनेट और हमारी हिन्दी
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यह आर्टिकल इतना अच्छा था की मेने इस आर्टिकल का एक शब्द भी छोड़ा नहीं , इस आर्टिकल को पढ़ते - पढ़ते समय कब बीत गया पता ही नही चल पाया. sir में आपके आर्टिकल रोज पढ़ता हूं और अच्छा लगने पर शेयर भी करता हूं. आपसे सीखकर मेने ट्रेन के डिब्बे के पीछे X का निशान क्यों होता है पर आर्टिकल लिखा है. sir , आप हमेशा आर्टिकल लिख कर हमारी मदद करते हैं और हमारा भी फर्ज बनता है की आपके आर्टिकल ज्यादा से ज्यादा शेयर करे. sir, अब मुझे जाने की इजाजत दीजिए, शुक्रिया।
ReplyDeleteHello,
ReplyDeleteWow, "What a Fantastic Information You have given here".
Keep it Up and Thank you very much for your kind help through this article. You have done your work well as a blogger.
Regards,
Jyotish
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