संविधान के अनुच्छेद 124 की व्यवस्था और तीन जजों के केस (1982,1993,1998) के आधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था को कॉलेजियम प्रणाली कहते हैं. राष्ट्रपति द्वारा यह नियुक्ति जजों के एक कॉलेजियम की संस्तुति के आधार पर होती है. इस कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम जज होते हैं. हाईकोर्ट के जजों के तबादले वगैरह के मामलों में संबद्ध हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह ली जाती है. सन 1993 में इस प्रणाली के लागू होने के पहले तक राष्ट्रपति केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर जजों की नियुक्तियाँ करते थे. 1993 से लागू इस सिस्टम के जरिए ही जजों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन का फैसला होता है.
इस सिस्टम को नया रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग(NJAC) बनाया था. यह सरकार द्वारा प्रस्तावित एक संवैधानिक संस्था थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. NJAC में 6 सदस्य रखने का प्रस्ताव था, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज, कानून मंत्री और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं दो जानी-मानी हस्तियों को बतौर सदस्य शामिल करने की बात थी.
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाना कब से शुरू हुआ?
सन 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने. उस साल उनके कुछ छात्र और मित्र 5 सितम्बर को उनके जन्मदिन का समारोह मनाने के बाबत गए. इस पर डॉ राधाकृष्णन ने कहा, मेरा जन्मदिन यदि शिक्षक दिवस के रूप में मनाओ तो बेहतर होगा. मैं शिक्षकों के योगदान की ओर समाज का ध्यान खींचना चाहता हूँ. और तब से 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस भारतीय परंपरा के अलावा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन युनेस्को ने सन 1994 में निर्णय किया कि हर साल 5 अक्टूबर को विश्व अध्यापक दिवस मनाया जाएगा. तबसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व अध्यापक दिवस मनाया जा रहा है.
क्रीमीलेयर क्या होती है?
क्रीमीलेयर का शाब्दिक अर्थ है मलाई की परत, पर व्यावहारिक रूप से इसका इस्तेमाल भारत में ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में किया जाता है. इसका मतलब है आरक्षण का लाभ ले रहे वर्ग में अपेक्षाकृत समृद्ध और शिक्षित व्यक्ति. इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल तमिलनाडु में ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में बनाए गए सत्तनाथन आयोग ने 1970 में किया था. सन 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी बनाम भारतीय संघ केस में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी कई बुनियादी बातों को शामिल किया. इनमें यह बात भी थी कि ‘क्रीमीलेयर’ में आ चुके लोगों को आरक्षण का लाभ न दिया जाए. सन 1973 में एक लाख रुपये या ज्यादा की सालाना आमदनी को क्रीमी लेयर के अंतर्गत माना गया. सन 2004 में इसे 2.5 लाख, 2008 में 4.5 लाख, 2013 में 6 लाख कर दिया गया. अक्तूबर 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसे 15 लाख रुपये करने की संस्तुति की. 23 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने इसे 8 लाख करने की घोषणा की है. क्रीमीलेयर केवल ओबीसी आरक्षण पर लागू होती है. अजा-जजा आरक्षण पर नहीं.
क्या सौरमंडल में ऐसे ग्रह भी हैं, जो ठोस नहीं हैं?
ऐसे ग्रहों को Jovian Planets या गैस दानव भी कहा जाता है. इनमें मिट्टी-पत्थर के बजाय ज़्यादातर गैस ही गैस होती है. इनका आकार बहुत बड़ा होता है. हमारे सौर मण्डल में चार ग्रह इस श्रेणी में हैं-बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून. इनमें पाई जाने वाली गैस ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम होती है, कुछ और गैसें भी मिलती हैं, जैसे कि अमोनिया.
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