कैबिनेट एक अनौपचारिक
व्यवस्था है, जिसने औपचारिक रूप धारण कर लिया है. संविधान में मंत्रिपरिषद या
कौंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की व्यवस्था है. कैबिनेट शब्द हमने ब्रिटिश संसदीय प्रणाली
से लिया है, जिसमें कुछ वरिष्ठ मंत्री इसके सदस्य होते हैं, जो प्रधानमंत्री के
साथ मिलकर नीतिगत निर्णय करते हैं. पुराने जमाने में ये सदस्य जिस कक्ष में बैठकर
मंत्रणा करते थे, उसे केबिन कहा जाता था. उससे ही कैबिनेट शब्द बना.
दुनिया का चक्कर लगाने वाला पहला व्यक्ति कौन
था?
पुर्तगाली नाविक फर्दिनांद मैगलन को पहली बार
दुनिया का चक्कर लगाने का श्रेय दिया जाता है. हालांकि उसके साथ कुछ और लोग भी थे,
पर टीम लीडर के रूप में उसका नाम ही लिया जाता है. यों उसने यह चक्कर भी पूरा नहीं
किया और रास्ते में उसकी हत्या कर दी गई. पर उसने मुख्य यात्रा-पथ पूरा कर लिया
था. मैगलन और उनकी टीम 20 सितंबर 1519 को स्पेन के राजा के आदेश से 'मसाला द्वीप' (मलेशिया का मलुकु
द्वीप) का पश्चिम से होकर रास्ता खोजने के लिए निकली थी. इस टीम में 250 नाविक थे.
ये लोग यूरोप से अमेरिका होकर प्रशांत महासागर पार करके पूर्वी एशिया में आए थे.
पैसिफिक महासागर नाम
मैगलन ने ही रखा था. गंतव्य तक पहुँचने के पहले इस दल का संघर्ष फिलीपाइंस में
स्थानीय लोगों से हुआ, जिसमें 27 अप्रैल 1521 को मैगलन मारा गया. उसकी मौत के
बावजूद यह टीम यात्रा पूरी करके मसाला द्वीप तक पहुँची. 6 सितंबर 1522 को इस टीम
के बचे-खुचे 17 सदस्य स्पेन पहुँचे. इन्होंने दुनिया का पहला चक्कर लगाया, हालांकि
उनका इरादा ऐसा रिकॉर्ड बनाने का नहीं था.
1-10 संख्याओं को अरेबिक न्यूमरल (अरबी अंक)
क्यों कहते हैं?
इन्हें गलती से अरबी
अंक कहा गया और यह परंपरा चली आ रही है. वस्तुतः इन्हें भारतीय अंक कहा जा सकता
है, क्योंकि इन अंकों का निर्धारण प्राचीन भारत में हुआ था. चूंकि नौवीं सदी तक
ज्यादातर भारतीय ज्ञान दुनिया को अरब देशों के मार्फत ता, इसलिए यह मान लिया गया
कि ये संख्याएं अरबी हैं. ईसवी सन 830 के आसपास फारसी गणितज्ञ अल-ख्वारिज्मी ने इस
अंक पद्धति का इस्तेमाल किया. उन्हें यह जानकारी अरब देशों से मिली थी, इसलिए
उन्होंने इन्हें अरबी अंक लिखा.
अरब लोग इन अंकों को ‘हिंदसा’ यानी भारतीय
कहते थे. धीरे-धीरे इस पद्धति ने रोमन पद्धति की जगह ली. रोमन अंक पद्धति होती है VI, VII, IX, X, L,C वगैरह. ऐसे में संख्याएं लिखने के लिए बहुत ज्यादा जगह
चाहिए और उन्हें पढ़ना भी बहुत कठिन होता है. प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने करीब
2000 साल पहले दाशमिक पद्धति का आविष्कार कर दिया था.
सागर कितना गहरा होता है?
समुद्रों की गहराई
अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है. सारी दुनिया के सागरों की औसत गहराई 12,100 फुट
है. इसकी तुलना सबसे ऊँचे पर्वत शिखर एवरेस्ट से करें जिसकी ऊँचाई 29,029 फुट है. दुनिया
में सबसे गहरा सागर पश्चिमी प्रशांत महासागर के मैरियाना ट्रेंच में है, जिसे
चैलेंजर डीप कहा जाता है. इसकी गहराई को सबसे पहले 1875 में ब्रिटिश पोत एचएमएस
चैलेंजर के नाविकों ने नापा था. यह गहराई 35,755 से लेकर 35,814
फुट (10,898 से लेकर 10,916 मीटर) के बीच है. यानी एवरेस्ट पूरा डूब जाए और फिर भी करीब पौने छह हजार फुट ज्यादा हों.
खिलाड़ी आइसबाथ क्यों
लेते हैं?
आइसबाथ यानी
बर्फस्नान. बर्फ या बर्फ जैसा ठंडा पानी शरीर में सूजन और दर्द को कम करता है.
खिलाड़ी चूंकि लगातार श्रम करते हैं, इससे उनकी माँस-पेशियों में थकान, चोट और
सूजन भी आ जाती है. आइसबाथ इसे ठीक करने में सहायक है और अब यह खिलाड़ियों के बीच
काफी लोकप्रिय होता जा रहा है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
No comments:
Post a Comment