बॉडी लैंग्वेज या कहें आपके हाव-भाव, एक तरह की शारीरिक भाषा है, जिसमें शब्द भले न हों, लेकिन यह बहुत कुछ कहती है। यह आपके दिल-दिमाग में क्या चल रहा है, बता देती है। मसलन, किसी वक्त आपके अंदर गुस्सा, उदासी, मनोरंजन, खुशी जैसे भावों यह बॉडी लैंग्वेज आसानी से बता सकती है। सबसे महत्वपूर्ण है चेहरे का अध्ययन। चेहरे पर आए भाव नाराजगी, खुशी, जलन, चिंता और चंचलता को सामने ला देते हैं। कुछ पसंद नहीं आ रहा हो तो नाक सिकोड़ते हैं, मुंह फुला लेते हैं। आँखों को बॉडी लैंग्वेज समझने का सबसे अहम हिस्सा कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। अगर आप संतुलित व सीधी अवस्था में हैं, तो यह आपके आत्मविश्वास को दर्शाती है। अगर आप सिर उठाते समय मुस्कराते हैं, तो यह आपके चंचल मन होने की निशानी है। एक अनुमान के अनुसार इंसान चेहरे पर 2,50,000 हाव-भाव उत्पन्न कर सकता है।
अगस्त क्रांति के अलावा 9 अगस्त की तारीख किस बात के लिए मशहूर है?
9 अगस्त काकोरी कांड का स्मृति दिवस भी है। काकोरी कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की मंशा से हथियार खरीदने के लिए ब्रिटिश सरकार का खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो 9 अगस्त 1925 को घटी। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। योजनानुसार दल के एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी ‘आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन’ को चेन खींच कर रोका और राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, चंद्रशेखर आज़ाद व 6 अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 लोगों पर सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई। इस मुकदमे में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।
9 अगस्त काकोरी कांड का स्मृति दिवस भी है। काकोरी कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की मंशा से हथियार खरीदने के लिए ब्रिटिश सरकार का खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो 9 अगस्त 1925 को घटी। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। योजनानुसार दल के एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी ‘आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन’ को चेन खींच कर रोका और राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, चंद्रशेखर आज़ाद व 6 अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 लोगों पर सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई। इस मुकदमे में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।
वायदा बाज़ार क्या होता है?
ऐसा बाज़ार जो भविष्य के किसी वायदे पर चलता हो उसे वायदा बाज़ार कहते हैं। बाज़ार दो तरह के होते हैं। एक वह जिसमें आप जिस समय कोई सौदा करते हैं उसी समय उसकी रक़म अदा करके माल ले लेते हैं। दूसरा वह जिसमें ख़रीदार और विक्रेता भविष्य की किसी तारीख़ के लिए निश्चित राशि पर सौदा तय करते हैं। इससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं को भावी योजना बनाने में सहूलियत होती है और वे भविष्य में दाम बढ़ने या घटने के ख़तरे से बच जाते हैं। हमारे देश में जिंस बाजार में अब वायदा कारोबार भी होता है।
श्रीलंका कब स्वतंत्र हुआ?
श्रीलंका में 1930 के दशक में अंग्रेजी राज के खिलाफ स्वाधीनता आंदोलन तेज हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को देश को संयुक्त राजशाही से पूर्ण स्वतंत्रता मिली। सन 1972 तक इस देश का नाम सीलोन था।
ऐसा बाज़ार जो भविष्य के किसी वायदे पर चलता हो उसे वायदा बाज़ार कहते हैं। बाज़ार दो तरह के होते हैं। एक वह जिसमें आप जिस समय कोई सौदा करते हैं उसी समय उसकी रक़म अदा करके माल ले लेते हैं। दूसरा वह जिसमें ख़रीदार और विक्रेता भविष्य की किसी तारीख़ के लिए निश्चित राशि पर सौदा तय करते हैं। इससे उत्पादकों और उपभोक्ताओं को भावी योजना बनाने में सहूलियत होती है और वे भविष्य में दाम बढ़ने या घटने के ख़तरे से बच जाते हैं। हमारे देश में जिंस बाजार में अब वायदा कारोबार भी होता है।
श्रीलंका कब स्वतंत्र हुआ?
श्रीलंका में 1930 के दशक में अंग्रेजी राज के खिलाफ स्वाधीनता आंदोलन तेज हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 4 फरवरी 1948 को देश को संयुक्त राजशाही से पूर्ण स्वतंत्रता मिली। सन 1972 तक इस देश का नाम सीलोन था।
स्विट्ज़रलैंड में कौन सी भाषा बोली जाती है?
स्विट्ज़रलैंड चार भाषाओं का घर है। यहाँ जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन और रोमांच। रोमांच रोमन साम्राज्य की बोली जाने लैटिन की वारिस है। यह स्विट्ज़रलैंड के दक्षिणी कैंटन की राजभाषा भी है। चारों भाषाओं में स्विट्ज़रलैंड को अलग-अलग तरीके से लिखा जाता है।
राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 27 अगस्त 2017 को प्रकाशित
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व डाक दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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