कैटेलोनिया स्पेन का एक स्वायत्त क्षेत्र है, जहाँ इन दिनों स्पेन से
स्वतंत्र होने की माँग की जा रही है. मध्ययुग में यह एक अलग राज्य हुआ करता था.
इसकी राजधानी बार्सिलोना है, जो स्पेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. यहाँ हिस्पानी
भाषा के अलावा स्थानीय कातलान भाषा बोली जाती है. मोटे तौर पर यह एक पृथक
राष्ट्रीयता है, जो स्पेन और फ्रांस में विभाजित है.
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 1936-39 के बीच स्पेन में गृहयुद्ध चला, जिसमें जनरल फ़्रैंको
के नेतृत्व में राष्ट्रवादियों की जीत हुई. द्वितीय विश्वयुद्ध में स्पेन औपचारिक
रूप से तटस्थ रहा था, पर उसका झुकाव हिटलर के पक्ष में था. इस वजह से विश्वयुद्ध
खत्म होने के बाद काफी समय तक वह अलग-थलग रहा और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य भी नहीं
बना. अंततः वह पश्चिमी खेमे में शामिल हुआ और 1982 में नेटो का सदस्य भी बन गया.
सन 1975 में फ़्रैंको के निधन के बाद यहाँ लोकतांत्रिक
सुधार भी हुए हैं. सन 1978 में वहाँ नया संविधान लागू हुआ, जिसके तहत वहाँ
राजतंत्रात्मक व्यवस्था है. इस दौरान उसका तेज औद्योगिक विकास हुआ. पर सन 2008 की
वैश्विक आर्थिक मंदी की चपेट में स्पेन भी आ गया. कैटेलोनिया स्पेन का इंडस्ट्रियल हब है. विशेषज्ञ
मानते हैं कि आर्थिक संकट के बाद पैदा हुई बेरोजगारी और कर्ज वृद्धि के लिए
कैटेलोनिया के लोग मैड्रिड को जिम्मेदार मानते हैं.
आजादी
का समर्थन करने वाले मानते हैं कि कैटेलोनिया का इस्तेमाल स्पेन देश के गरीब
क्षेत्रों को उबारने के लिए कर रहा है. बहरहाल कैटेलोनिया में गत 1 अक्तूबर को इस
मसले पर एक जनमत संग्रह हुआ जिसमें करीब 90 फीसदी लोगों ने स्वतंत्रता के पक्ष में
मत दिया. स्पेन की केंद्रीय सरकार और राष्ट्रीय अदालत ने इस रायशुमारी को
गैरकानूनी घोषित किया है.
गांधी
जी के तीन बंदरों की कहानी क्या है?
वर्ष 1617 में जापान के निक्को में बनी तोगोशु की
समाधि पर ये तीन बंदर बने हैं. माना जाता है कि यह बंदर जिन सिद्धांतों की ओर
इशारा करते हैं, वे
बुरा न देखो, बुरा
न सुनो, बुरा
न बोलो को दर्शाते हैं. मूलतः यह शिक्षा ईसा पूर्व के चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस
की थी. यह युनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है. जापानी में इन बंदरों के
नाम हैं मिज़ारू, किकाज़ारू और इवाज़ारू. महात्मा गांधी ने इन तीन बंदरों के मार्फत
नैतिकता की शिक्षा दी, इसलिए कुछ लोग इन्हें गांधी जी के बंदर भी कहते हैं.
भारतीय
सिनेमा में पहला डबल रोल किसने किया?
भारतीय
सिनेमा में डबल रोल वाली फिल्म थी सन 1917 में बनी दादा साहेब फाल्के की ‘लंका दहन.’ इसे इस साल सौ साल पूरे हो गए हैं. अन्ना सालुंके
ने इस फिल्म में राम और सीता दोनों के रोल किए थे. दादा साहेब फ़िल्म में सीता के
किरदार के लिए किसी महिला कलाकार की तलाश कर रहे थे, लेकिन उस ज़माने में महिलाओं
का फ़िल्मों में काम करना बुरा समझा जाता था. सालुंके इससे पहले उनकी फिल्म राजा
हरिश्चंद्र में तारामती का किरदार निभा चुके थे. उस किरदार से उनकी लोकप्रियता
इतनी बढ़ गई थी कि फाल्के साहब को उन्हें सीता के रूप में कास्ट करना ही पड़ा.
पहिया
सबसे पहले कब और कहां बना ?
पहिए
का विवरण मेसोपोटामिया, उत्तरी कॉकेशस, मध्य यूरोप, मिस्र से लेकर सिंध घाटी तक हर जगह मिलता है. यह कहना मुश्किल है कि
सबसे पहले यह कहाँ बना. ऐसा लगता है कि मनुष्य ने सबसे पहले लकड़ी के लट्ठों को
लुढ़का कर उनके सहारे भारी चीजें खिसकाना सीखा. बाद में यही लट्ठा छोटा होकर पहिया
बना.
प्रभात खबर अवसर में 12 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित
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