पानी की पाइप लाइन में जमा सफेद पदार्थ क्या है?
इसे चूना जमा हो जाना (लाइम-स्केल या लाइम डिपॉजिट) कहते हैं। केवल पाइपों में ही नहीं बाथरूम की टोंटियों, बॉयलरों, पानी गरम करने वाली केतलियों, गीजर और पानी गरम करने वाले ऐसे ही दूसरे उपकरणों में आप चॉक जैसा जो पदार्थ देखते हैं, वह पानी की कठोरता को बताता है। पानी जितना हार्ड होगा यह जमाव उतना ही ज्यादा नजर आएगा। इस पदार्थ में मुख्यतः कैल्शियम कार्बोनेट होता है। खारे या कठोर पानी में प्रायः कैल्शियम (और मैग्नीशियम) बाइकार्बोनेट या ऐसे ही आयन होते हैं।
धातु पर जमा इस चूने को हटाने के लिए आमतौर पर तेजाबों का इस्तेमाल किया जाता है, जो क्षारीय कार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया करके उन्हें हटाने में मददगार होते हैं। एसिटिक अम्ल एक सरलतम कार्बोक्जीलिक अम्ल है। घरों में इसके तरल विलयन का उपयोग डी-स्केलिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है। पानी को मृदु बनाने वाली तकनीकों का इस्तेमाल करके स्केलिंग को रोका जा सकता है।
अखबार के हाशिए पर रंगीन गोले क्यों बने होते हैं?
ये गोले चार रंग के होते हैं। ये रंग हैं नीला(सायना), लाल(मजेंटा), पीला(यलो) और काला(की या ब्लैक)। इन्हें संक्षेप में सीएमवाईके कहते हैं। अखबारों में छपाई के लिए इन चार रंगों की स्याही इस्तेमाल की जाती है। इन चारों रंगों के संयोग से ही तस्वीरों और अक्षरों के सारे रंग बनते हैं। चारों रंग की प्लेटें ठीक से लगी हैं या नहीं। रंगों का यह मिलान गोलों, क्रॉस के निशानों या ऐसे ही दूसरे निशानों की मदद से किया जाता है। इन गोलों या लकीरों में जब चारों रंग सही जगह पर आ जाते हैं तब माना जाता है कि सभी रंग ठीक जगह हैं। इसे रजिस्ट्रेशन कहने हैं।
कंप्यूटर के हर बटन पर एक अक्षर होता है, लेकिन स्पेस बार पर नहीं। ऐसा क्यों?
कम्प्यूटर की-बोर्ड मूलतः टाइपराइटर के की-बोर्ड पर आधारित है। पर उसके फंक्शन ज्यादा हैं और उनके लिए अलग से निशान हैं। टाइपराइटर में भी स्पेसबार सबसे नीचे होता था और ब्लैंक स्पेस को बढ़ाने का काम करता था। चूंकि शब्दों के बीच ब्लैंक यानी खाली स्पेस के लिए उसका इस्तेमाल होता था, इसलिए उसपर कुछ भी लिखने की जरूरत नहीं थी। खाली यानी खाली स्पेस। शुरुआती मशीनों में यह बार काफी लम्बा होता था, पूरे की-बोर्ड की चौड़ाई वाला। इसका एक लाभ यह था कि किसी भी उँगली से इसे दबाया जा सकता था। अब कंप्यूटर में सबसे नीचे कंट्रोल, फंक्शन, ऑल्ट और विंडोज़ के अलावा नेवीगेशन एरोज़ भी आ गए हैं, इसलिए स्पेसबार छोटा होता जा रहा है।
मिर्च से मुँह क्यों जलता है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके तीखेपन के पीछे ‘कैपसाईपिनोइड’ पदार्थ है जो मिर्च को फफूंद से बचाता है। इसका तीखापन हमारे स्वाद का हिस्सा बन गया है। अलबत्ता मिर्च स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। इसमें अमीनो एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड, सिट्रिक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ्य के साथ–साथ शरीर की त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके तीखेपन के पीछे ‘कैपसाईपिनोइड’ पदार्थ है जो मिर्च को फफूंद से बचाता है। इसका तीखापन हमारे स्वाद का हिस्सा बन गया है। अलबत्ता मिर्च स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। इसमें अमीनो एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड, फॉलिक एसिड, सिट्रिक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ्य के साथ–साथ शरीर की त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
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