बारकोड मोटे तौर पर किसी वस्तु के बारे में जानकारी देने
वाले डेटा का मशीन से पढ़े जाने लायक ऑप्टिकल विवरण होता है। मूलतः शुरूआती
बारकोडों में अनेक समांतर रेखाओं की मोटाई और उनके बीच की व्यवस्थित दूरी उस विवरण
को व्यक्त होती थी। यह एक आयामी व्यवस्था थी, अब इनमें चतुष्कोण, पंचकोण, डॉट और
अन्य ज्यामितीय संरचनाओं यानी दो आयामी व्यवस्था का इस्तेमाल भी होने लगा है। शुरू
में बारकोड को पढ़ने के लिए ऑप्टिकल स्कैनरों और बारकोड रीडर आते थे, पर अब
डेस्कटॉप प्रिंटरों और स्मार्टफोनों में भी इसकी व्यवस्था होने लगी है।
साठ के दशक में अमेरिकन रेलरोड्स की एसोसिएशन ने बारकोड का
चलन शुरू किया था। इसका विकास जनरल टेलीफोन एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (जीटीई) ने किया था।
इसके तहत इस्पात की पटरियों की पहचान के लिए उनमें रंगीन पट्टियाँ लगाई जाती थीं।
ये पट्टियाँ उस सामग्री के स्वामित्व, उस उपकरण के टाइप और पहचान नम्बर की जानकारी
देती थीं। गाड़ी के दोनों और ये पट्टियाँ लगी होती थीं। इन प्लेटों को यार्ड के
गेट पर लगा स्कैनर पढ़ता था।
जब सुपरमार्केट में सामान के भुगतान की व्यवस्था में
इस्तेमाल किया गया तो उसमें काफी सफलता मिली। इसके बाद यह व्यवस्था दुनिया भर में
चलने लगी। इसके बाद ऑटोमेटिक आइडैंटिफ़िकेशन एंड डेटा कैप्चर (एआईडीसी) नाम से यह
प्रणाली दूसरे कई कामों में भी शुरू की गई। युनीवर्सल प्रोडक्ट कोड (यूपीसी) नाम
से एक और सिस्टम भी सामने आया। इक्कीसवीं सदी में रेडियो फ्रीक्वेंसी
आइडैंटिफ़िकेशन की शुरूआत भी हुई। अस्पताल में मरीज का पूरा विवरण बारकोड के
मार्फत पढ़ा जा सकता है, किताब के बारे में जानकारी बारकोड से मिल जाती है, हर तरह
के उत्पाद की कीमत बारकोड बताता है।
ऐसा देश जहाँ रविवार की छुट्टी नहीं होती?
रविवार की छुट्टी मूलतः ईसाई परम्परा है। बाइबिल के अनुसार ईश्वर ने पृथ्वी की रचना छह दिन में की। सातवाँ दिन आराम का और ईश्वर की प्रार्थना का दिन है। हर देश में रविवार को छुट्टी नहीं होती। हमारे पड़ोस में नेपाल है, जहाँ शनिवार को साप्ताहिक छुट्टी होती है। बांग्लादेश है जहाँ शुक्रवार को छुट्टी होती है। बड़ी संख्या में इस्लामिक देशों में शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश होता है। भारत में अंग्रेजी राज के आगमन के बाद रविवार की छुट्टी की परम्परा शुरू हुई।
नक्षत्र क्या होते हैं?
नक्षत्र यानी स्टार या सितारे जो ऊर्जा पैदा करते हैं। जैसे हमारा सूर्य। संपूर्ण सूर्य के गोले में 13 लाख पृथ्वियां समा सकती है। सूर्य के बाहरी वातावरण यानी फोटोस्फीयर का तापमान 6000 डिग्री और उसके केंद्र में तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सैल्शियस या उससे भी ज्यादा हो सकता है। इसलिए किसी भी प्राणी या यंत्र का वहाँ तक पहुँचना सम्भव नहीं है। हाँ उसके अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान भेजे जाते हैं। भारत भी अगले कुछ वर्षों में आदित्य नाम से एक यान भेजने की योजना बना रहा है।
आरटीजीएस और आईएफएससी कोड क्या है?
यह बैंकों के धनराशि लेन-देन की व्यवस्था है। भारतीय बैंक
रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी)
प्रणाली के मार्फत काम करते हैं। आमतौर पर धनराशि का ट्रांसफर इलेक्ट्रॉनिक
क्लीयरिंग सर्विसेज (ईसीएस) के मार्फत होता है। इस व्यवस्था के तहत बैंकों की
ब्रांचों को इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (आईएफएससी) प्रदान किए गए हैं। यह कोड
चेक पर लिखा रहता है। आम आदमी को जल्द और सही सेवा देने के लिए ही इन्हें बनाया
गया है।
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