Tuesday, December 3, 2019

प्याज सबसे पहले कहाँ उगाया गया?


प्याज को 4,000 साल पहले अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के इलाके में उगाया गया। भारत में इसका आगमन सम्भवतः मुसलमानों के आगमन के काफी पहले हो चुका था। प्राचीन भारतीय चिकित्सकों चरक, वाग्भट्ट और सुश्रुत ने इसके चिकित्सकीय गुणों का वर्णन किया है, पर इसे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा गया। इसका कारण शायद इसकी गंध थी। सन 629 से 645 के बीच भारत यात्रा पर आए चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने लिखा है कि भारत में कई जगह उन्होंने देखा कि प्याज खाने वाले को शहर में आने नहीं देते थे। तीखी गंध के कारण लम्बे समय तक अंग्रेजों को भी प्याज पसंद नहीं आया।सन 1350 में फैली प्लेग के दौरान देखा गया कि प्याज के व्यापारी बीमारी से बचे रहे। इसके बाद अंग्रेजों ने प्याज को स्वीकार किया। 
फास्टैग (FASTag) क्या है?
फास्टैग भारत का इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। इसका संचालन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) करता है। यह प्रणाली रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडैंटिफ़िकेशन (आरएफआईडी) तकनीक पर काम करती है। इसमें प्रीपेड या सेविंग्स एकाउंट से भुगतान स्वतः हो जाता है। इस सिस्टम की शुरुआत 4 नवम्बर 2014 में अहमदाबाद और मुम्बई के बीच स्वर्ण चतुर्भुज राजमार्ग पर हुई थी। जुलाई 2015 में चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग के टोल प्लाजा इसके सहारे भुगतान को स्वीकार करने लगे। इस वक्त देश के 400 से ऊपर टोल प्लाजा फास्टैग भुगतान को स्वीकार कर रहे हैं। दिसम्बर, 2017 के बाद से देश के सभी नए चारपहिया वाहनों में फास्टैग अनिवार्य है। जनवरी, 2019 में सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कम्पनी, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने अपने पेट्रोल पम्पों पर फास्टैग का इस्तेमाल करने के एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
सिक्योरिटी चेक के एक्स-रे स्कैनर
ये एक्स-रे मशीनें स्वास्थ्य की जाँच करने वाली एक्स-रे मशीनों से फर्क होती हैं। ये मशीनें कई तरह की चीजों की अलग-अलग पहचान के लिए बनाई जाती हैं, केवल हड्डियों की पहचान के लिए नहीं। सिद्धांततः सभी एक्स तरंगें एक तरह की नहीं होतीं। इन मशीनों में कई तरह के एनर्जी लेवल की तरंगे छोड़ी जाती हैं। जैविक वस्तुएं कम ऊर्जा वाली तरंगों को रोकती हैं, प्लास्टिक और धातु की वस्तुएं अलग-अलग तरह की तरंगों को रोकती हैं। सामान जब इस मशीन के भीतर से गुजरता है तो कई तरह के फिल्टरों के मार्फत उसकी एक्स-रे तस्वीर बनती है, जिससे पता लग जाता है कि भीतर क्या है?
क्या शहद को हज़ार साल तक रखा जा सकता है?
मेरी जानकारी में शहद की एक्सपायरी डेट नहीं होती। इसका रूप परिवर्तन हो सकता है। मसलन ठंड पड़ने पर यह जम सकता है, हालांकि यह जल्दी जमता भी नहीं है, बल्कि ठंड पड़ने पर गाढ़ा होता जाता है। एक तापमान के बाद इसमें क्रिस्टल बनने लगते हैं। खाने वाली वस्तुओं में संभवतः यह सबसे दीर्घजीवी है। इसका कारण है इसमें पानी की मात्रा का बेहद कम होना। इसमें अम्लीय पीएच स्तर इतना होता है कि इसमें बैक्टीरिया का विकास नहीं हो पाता। दुनिया में पाँच हजार साल पुराने शहद के अंश भी मिले हैं। संभव है लंबे समय तक रहने के बाद पानी की मात्रा होने के कारण इसमें फर्मेंटेशन शुरू हो जाए।






No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...