बुनियादी फर्क उनके फॉर्मेट का है, जिसके कारण पीएनजी (पोर्टेबल नेटवर्क ग्राफिक्स) को जब कॉम्प्रेस करते हैं तो डेटा लॉस नहीं होता। यानी चित्र में कुछ फर्क आ जाता है, भले ही उसे आप आसानी से देख न पाएं। इसके विपरीत जेपीजी (जॉइंट फोटोग्राफिक एक्सपर्ट ग्रुप) में कुछ फर्क आ जाता है, पर जटिल चित्रों को भी कॉम्प्रेस करने में जेपीजी ज्यादा कुशल है।
द्रोणाचार्य पुरस्कार कब शुरू हुए?
खेल के मैदान में प्रशिक्षकों का यह सबसे बड़ा भारतीय पुरस्कार है। यह हर साल दिया जाता है। पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार सन 1985 में भालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती), ओम प्रकाश भारद्वाज (बॉक्सिंग) और ओएम नाम्बियार (एथलेटिक्स) को दिए गए।
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाना कब से शुरू हुआ?
सन 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने। उस साल उनके कुछ छात्र और मित्र 5 सितम्बर को उनके जन्मदिन का समारोह मनाने के बाबत गए। इस पर डॉ राधाकृष्णन ने कहा, मेरा जन्मदिन यदि शिक्षक दिवस के रूप में मनाओ तो बेहतर होगा। मैं शिक्षकों के योगदान की ओर समाज का ध्यान खींचना चाहता हूँ। और तब से 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस भारतीय परंपरा के अलावा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन युनेस्को ने सन 1994 में निर्णय किया कि हर साल 5 अक्टूबर को विश्व अध्यापक दिवस मनाया जाएगा। तबसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व अध्यापक दिवस मनाया जा रहा है।
दुनिया के पहले एटम बम का कोड नाम क्या था?
पहला एटम बम यानी जिस बम का पहला परीक्षण किया गया। उसका नाम था ‘ट्रिनिटी।’ इसका विस्फोट 16 जुलाई 1945 को अमेरिका की सेना ने सुबह 5.29 बजे किया। 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर जो पहला बम गिराया गया था उसका नाम था ‘लिटिल बॉय।’ हिरोशिमा पर बमबारी के तीन दिन बाद 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नगासाकी पर जो बम गिराया गया उसका नाम था ‘फैट मैन।’ इस बमबारी के बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को समर्पण की घोषणा कर दी।
शक संवत क्या है?
राष्ट्रीय शाके अथवा शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है। इसका प्रारम्भ यह 78 वर्ष ईसा पूर्व माना जाता है। यह संवत भारतीय गणतंत्र का सरकारी तौर पर स्वीकृत अपना राष्ट्रीय संवत है। ईसवी सन 1957 (चैत्र 1, 1879 शक) को भारत सरकार ने इसे देश के राष्ट्रीय पंचांग के रूप में मान्यता प्रदान की थी। इसमें सौर गणना होती है। यानी महीना 30 दिन का होता है। इसे शालिवाहन संवत भी कहा जाता है। इसमें महीनों के नाम विक्रमी संवत जैसे ही हैं। इसके प्रथम माह (चैत्र) में 30 दिन हैं, जो अंग्रेजी लीप ईयर में 31 दिन हो जाते हैं। वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण एवं भाद्रपद में 31-31 दिन एवं शेष 6 मास में यानी आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन में 30-30 दिन होते हैं।
संसद का ‘शून्यकाल’ क्या होता है?
शून्यकाल भारतीय संसदीय व्यवस्था की देन है। आमतौर पर सदन में प्रश्न प्रहर खत्म होने के बाद शुरू होता है। इसमें कोई भी मामला उठाया जा सकता है। साठ के दशक से शुरू हुई यह व्यवस्था अब हमारी संसदीय व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग बन गई है।
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