माउस का आविष्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डगलस एंजेलबार्ट (Douglas Engelbart) ने 1963 में किया था। यह आविष्कार की-बोर्ड युक्त पर्सनल कंप्यूटर के 1977 में हुए आविष्कार के काफी पहले हो गया। शुरू में एंजेलबार्ट ने इसके साथ लगा कॉर्ड इसके पीछे लगाया, जिसके कारण वह दुमदार चूहे जैसा लगने लगा। हालांकि बाद में कॉर्ड को आगे लगा दिया गया और अब तो बगैर कॉर्ड वाले माउस आ रहे हैं, पर इसे माउस कहना शुरू हुआ तो चलता ही रहा।
भारतीय सिनेमा में पहला डबल रोल?
भारतीय सिनेमा में डबल रोल वाली फिल्म थी सन 1917 में बनी दादा साहेब फाल्के की ‘लंका दहन।’ इसे इस साल सौ साल पूरे हो गए हैं। अन्ना सालुंके ने इस फिल्म में राम और सीता दोनों के रोल किए थे। दादा साहेब फ़िल्म में सीता के किरदार के लिए किसी महिला कलाकार की तलाश कर रहे थे, लेकिन उस ज़माने में महिलाओं का फ़िल्मों में काम करना बुरा समझा जाता था। सालुंके इससे पहले उनकी फिल्म राजा हरिश्चंद्र में तारामती का किरदार निभा चुके थे। उस किरदार से उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि फाल्के साहब को उन्हें सीता के रूप में कास्ट करना ही पड़ा।
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है?
नैनो टेक्नोलॉजी का मतलब है पदार्थ की संरचना के एटॉमिक, मॉलीक्यूलर और सुपर मॉलीक्यूलर जैसे बारीक स्तर पर काम करके मैक्रो यानी बड़े स्तर की संरचनाओं को तैयार करना। यानी कि 1 से 100 नैनोमीटर तक की संरचना पर काम करना। पहले आपको एक नैनोमीटर के आकार को समझना होगा। एक नैनोमीटर एक मीटर का एक अरबवाँ अंश यानी कि 0।000000001 मीटर होता है।
शीशे के एक कंचे या गोली को एक नैनोमीटर मानें तो उसके मुकाबले पृथ्वी एक मीटर होगी। डीएनए की चौड़ाई करीबन 2 एनएम होती है। जीव जगत की सबसे छोटी कोशिकाओं, मैकोप्लास्मा जीवाणु का आकार करीब 200 एनएम है। प्रकृति के सूक्ष्मतम परिवेश में जाने के लिए और चिकित्सा, रसायन, भौतिकी और खगोल विज्ञान में आगे बढ़ने के लिए प्रकृति के इतने सूक्ष्म स्वरूप में हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
नेल पॉलिश नाखून में लगते ही क्यों सूख जाती है?
यह गुण नेल पॉलिश के तरल सॉल्वेंट का है। जब यह शीशी के भीतर होती है, तब यह सॉल्वेंट बाहरी दबाव के कारण उड़ता नहीं है। नाखून में लगते ही यह सॉल्वेंट उड़ जाता है।
नारियल के भीतर पानी कहाँ से आता है?
आपने देखा होगा कि नारियल के पेड़ सागर तट से कुछ दूर ज्वार-भाटा क्षेत्र के बाहर होते हैं। ऐसे इलाकों में जमीन के नीचे काफी पानी होता है। यह पानी खारा नहीं होता। ऑस्मॉसिस की क्रिया के माध्यम से पेड़ की जड़ों से यह पानी शिखर तक जाता है। पानी में यदि नमक होता भी है तो वह इस प्रक्रिया में फिल्टर हो जाता है। नारियल के फल में पानी पहुँचने की इस प्रक्रिया को भ्रूणपोष (एंडोस्पर्म) कहते हैं। प्रकृति ने यह व्यवस्था हर तरह के फलों में की है।
माँस-पेशियों में खिंचाव क्यों?
आपने फुटबॉल, क्रिकेट और हॉकी के मैदान में अकसर खिलाड़ियों को माँस-पेशियों के खिंचाव से परेशान देखा होगा। इसकी वजह है माँस-पेशियों की सहन-सीमा का खत्म होना। यह खिंचाव मसल या उसे हड्डी से जोड़ने वाले टेंडंस में होता है। इसके कई स्तर होते हैं। अक्सर मसल के फाइबर को पहुँची क्षति काफी जल्दी दूर हो जाती है, पर कई बार उसे ठीक होने में कई दिन भी लगते हैं।
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